मनीष शर्मा की नज़र से : गुमशुदगी का दूसरा नाम राहुल गांधी

नई दिल्ली:

पिछले एक महीने से राहुल गांधी की गुमशुदगी चर्चा का विषय बनी हुई है। यूनियन बजट से लेकर भूमि अधिग्रहण जैसे ज़रूरी बिलों पर बहस के दौरान राहुल गांधी लोकसभा से नदारद रहे हैं। उनकी गुमशुदगी के पोस्टर यूपी की दीवारों पर लग रहे हैं। पर ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब राहुल गांधी की अनुपस्थिति ने लोगों का ध्यान खींचा हो।

28 दिसंबर 2014 को कांग्रेस की 130 स्थापना दिवस के मौके पर कांग्रेस के सभी छोटे बड़े नेता कांग्रेस मुख्यालय में मौजूद थे सिवाय उपाध्यक्ष राहुल गांधी के। समारोह की अध्यक्षता सोनिया गांधी ने की और समारोह में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, एके एंटनी, अंबिका सोनी, मोतीलाल वोरा सहित पार्टी के अनेक वरिष्ठ नेताओं ने हिस्सा लिया।

15 मई 2014 में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के सम्मान में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपने आवास 10, जनपथ में विदाई भोज दिया, जिसमें उनकी काफी प्रशंसा की गई। इस रात्रिभोज में पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी को छोड़कर अनेक पार्टी नेता और केंद्रीय मंत्री शामिल हुए। राहुल के अनुपस्थित रहने को लेकर राजनैतिक भृकुटियां तन गईं थीं।

16 जून 2013 को उत्तराखंड में आई भयानक बाढ़ से भले ही देश और दुनिया को झकझोर के रख दिया था लेकिन राहुल गांधी इस सब से बेखबर विदेश में छुट्टियां मना रहे थे।

16 दिसंबर 2012 के दिल्ली गैंगरेप के दौरान राहुल गांधी की चुप्पी सबको खली। देश के सभी राजनीति दल और उनके शीर्ष नेता इस घटना पर अपनी राय दे रहे थे, लेकिन कांग्रेस के युवराज और अगले चुनाव में प्रधानमंत्री पद के दावेदार राहुल गांधी इस पूरे घटनाक्रम में कहीं नजर नहीं आए।

और जब दिल्ली गैंगरेप के असर के कारण 19 मार्च 2013 में एंटी रेप बिल लोक सभा में पास हुआ तो उस समय भी राहुल गांधी सदन में मौजूद नहीं थे।

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

यह सिर्फ कांग्रेस जैसी सबसे ओल्ड पार्टी में ही संभव हो सकता है कि उसका सबसे यंग वारिस ज़रूरी मुद्दों पर गायब रहे और उसकी कोई जवाबदेही न बने। अब सूत्रों के हवाले से खबर आई है की राहुल गांधी 20 अप्रैल से पहले दिल्ली लौट आएंगे लेकिन वो सोनिया गांधी की किसान रैली में शामिल नहीं होंगे।