भारतीय चुनाव नतीजे अक्सर चौंकाते हैं. कई बार तमाम एक्ज़िट पोल और ओपिनियन पोल गलत साबित होते हैं और सियासी पंडितों की भविष्यवाणियां गलत निकलती हैं. इसकी एक मिसाल सोमवार को महाराष्ट्र के ग्राम पंचायत चुनाव नतीजों में देखने मिली. इन नतीजों ने दो तरह से चौंकाया. एक - भारतीय जनता पार्टी (BJP) सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, और दूसरा – तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति (BRS) का महाराष्ट्र में खाता खुला.
हाल ही में मराठा आरक्षण का जिन्न फिर एक बार बोतल से बाहर निकल आया, जिसकी वजह से राज्य के कई इलाकों में हिंसा हुई. फिलहाल आंदोलनकारियों के नेता मनोज जरांगे पाटिल ने सरकार को 24 दिसंबर तक की मोहलत दी है कि आरक्षण की अधिसूचना जारी की जाए. दो हफ़्ते तक चले आंदोलन में राज्य की एकनाथ शिंदे सरकार तो निशाने पर थी ही, लेकिन सबसे ज़्यादा शाब्दिक हमले हुए BJP पर और उनके दिग्गज नेता और राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस पर.
फडणवीस इस वजह से निशाने पर थे, क्योंकि सितंबर में पहली बार जब जरांगे पाटिल जालना में भूख हड़ताल पर बैठे थे, तब उनका अनशन खत्म करवाने के लिए पुलिस भेजी गई थी. पुलिसकर्मियों की आंदोलनकारियों के साथ हिंसक झड़प हुई थी, जिसके बाद उन पर लाठियां बरसाई गईं. चूंकि गृहमंत्रालय भी फडणवीस के पास है, इसलिए आंदोलकारियों ने उन्हीं पर पुलिसिया अत्याचार करवाने का आरोप लगाया. बीते हफ़्ते जब कुछ आंदोलनकारियों ने दो विधायकों के घर आगज़नी की, तो फडणवीस ने उन पर हत्या की कोशिश का मामला दर्ज करने का आदेश दिया.
फडणवीस और BJP के प्रति दिखाई दे रही मराठा आंदोलकारियों की नाराज़गी के मद्देनज़र कई विश्लेषकों को लगा कि ग्राम पंचायत के चुनाव में BJP मुंह की खाएगी. मराठा आंदोलन का असर ज़्यादातर ग्रामीण इलाकों में ही था, किसान वर्ग के बीच. सोमवार शाम तक जब नतीजे आए, तो उनमें BJP सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. BJP ने यह चुनाव राज्य की सत्ता में साझीदार बाकी दोनो पार्टियों - शिवसेना और NCP (अजीत) - से गठबंधन के बिना लड़ा था. अब BJP में इन नतीजों को आने वाले लोकसभा चुनाव के लिए शुभ संकेत के तौर पर देखा जा रहा है.
इन नतीजों में दूसरा आश्चर्य था, KCR की पार्टी BRS का महाराष्ट्र में खाता खुलना. इस विश्लेषण के लिखे जाने तक BRS राज्य के तीन जिलों – बीड, भंडारा और सोलापुर - में 16 ग्राम पंचायतों पर वर्चस्व स्थापित कर चुकी थी. यह पार्टी बीते साल भर से महाराष्ट्र के किसानों के बीच पैठ बनाने की कोशिश कर रही थी. BRS ने किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन नहीं किया है और उसका इरादा आने वाले विधानसभा चुनाव में सभी 288 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारना है. चुनाव के लिए उसने नारा भी तैयार कर लिया है – 'अबकी बार, किसान सरकार'
BRS दक्षिण भारत की दूसरी ऐसी पार्टी है, जिसने महाराष्ट्र में खाता खोला है. इससे पहले ओवैसी बंधुओं की पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) ने साल 2014 में खाता खोला था, जब उसके दो विधायक चुने गए थे. साल 2019 में औरंगाबाद की संसदीय सीट भी इसी पार्टी ने जीती थी. AIMIM की तरह ही BRS से भी कांग्रेस को ही ज़्यादा नुकसान पहुंचने का अंदेशा जताया जा रहा है. इसे NCP के दोनों धड़ों के लिए भी खतरे की घंटी माना जा रहा है, जिनकी ग्रामीण इलाकों में पैठ है.
जीतेंद्र दीक्षित मुंबई में बसे पत्रकार तथा लेखक हैं...
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