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This Article is From Jul 29, 2015

एक ही मैदान में तीसरी बार हार गया Google, जंग अब भी बाकी है....

Written by Digpal Singh
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  • Updated:
    जुलाई 29, 2015 09:24 am IST
    • Published On जुलाई 29, 2015 09:16 am IST
    • Last Updated On जुलाई 29, 2015 09:24 am IST
दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन Google एक बार फिर सोशल नेटवर्किंग की जंग 'हार' गया है। जी हां, गूगल हार गया। सुनने में भले अजीब लगे, लेकिन ये सच है। और याद रहे कि यहां बात उस गूगल की हो रही है, जिसका रुतबा इंटरनेट की दुनिया में 'दादा' का है। कई बार तो लोग यह कहते हुए भी सुनाई देते हैं कि भगवान और गूगल के पास हर सवाल का जवाब है। ऐसा रुतबा रखने वाला गूगल हार गया, हैरत की बात तो ये है कि गूगल को एक ही मैदान में तीसरी बार हार का मुंह देखना पड़ा। गूगल हमारी जिंदगी में इस तरह से रच-बस गया है कि लगता है अपने ही घर का कोई व्यक्ति हार गया।

ये खबर तो आपके पास पहुंच ही गई होगी कि गूगल अपनी सोशल नेटवर्किंग साइट google+ को विदाई देने की तैयारी कर चुका है। गूगल ने G+ को चार साल पहले बड़ी उम्मीदों के साथ शुरू किया था। उसके कर्ताधर्ताओं को उम्मीद थी कि वह दुनिया की नंबर 1 सोशल नेटवर्किंग साइट Facebook व ऐसी ही तमाम वेबसाइटों और माइक्रो ब्लॉगिंग साइट ट्विटर को गंभीर चुनौती देगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हो पाया। गूगल प्लस चार साल की अल्प आयु में विदायी ले रहा है, लेकिन इस दौरान कभी ऐसा मौका नहीं आया जब यह फेसबुक के आसपास भी पहुंच पाया हो।

ओरकुट
ऐसा पहली बार नहीं है जब गूगल सोशल नेटवर्किंग की जंग हार गया हो। ऐसा लगातार तीसरी बार हुआ है। Orkut तो याद ही होगा आपको? सोशल मीडिया से हमारी पहली पहचान ओरकुट ने ही कराई थी। दोस्तों के साथ इंटरनेट पर फोटो शेयर करना, बातें करना ये सब ओरकुट ने ही हमें पहली बार सिखाया था। दोस्तों से बार-बार कहकर टेस्टिमोनियल लिखवाना और इसके लिए उन पर जबरदस्त दबाव डालना कैसे कोई भूल सकता है। सोशल नेटवर्किंग से पहली पहचान कराने वाला ओरकुट गूगल की सबसे ज्यादा और लंबे समय तक चलने वाली सेवा थी। उस समय ओरकुट का कोई प्रतिस्पर्धी भी नहीं था, बाद में फेसबुक आया और उसने धीरे-धीरे ओरकुट की पूरी जमीन हड़प ली। अंतत: यूजर्स की उपेक्षा झेल रहे ओरकुट को बंद करना पड़ा।

गूगल बज
Buzz के जरिए फेसबुक को चुनौती देने की गूगल की कोशिश नाकाम ही साबित हुई। यह सोशल नेटवर्किंग, माइक्रोब्लॉगिंग और मैसेजिंग टूल था। कहा जा सकता है कि गूगल बज एक तरह से फेसबुक और ट्विटर दोनों का मेल था, लेकिन यूजर्स को यह पसंद ही नहीं आया। अच्छी बात ये थी कि यह यूजर्स के जी-मेल में ही इनबिल्ट था, तो इसके लिए अलग ले लॉगइन बनाने की जरूरत नहीं थी और ना ही अलग विंडो खोलने की जरूरत थी। लेकिन कुछ लोगों को इससे दिक्कत भी हुई।

खैर हम सब ये भी जानते हैं कि गूगल आगे भी कोशिश जारी रखेगा। आज गूगल प्लस को बंद किए जाने की खबर के बीच भी मुझे उम्मीद है कि गूगल जरूर कुछ ना कुछ ऐसा लेकर आएगा, जो उम्मीद की नई किरण दिखाएगा। मुझे ठीक उसी तरह से उम्मीद है, जैसे अपने बच्चे के ठोकर खाकर गिरने पर फिर उठ खड़े होने की उम्मीद होती है।

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