आखिरकार बीजेपी का घोषणापत्र जारी हो ही गया। तमाम बड़े नेताओं के एक साथ दिल्ली में न जुट पाने के कारण इस घोषणापत्र को जारी करने में देरी हो रही थी। हालांकि ऐसी भी अटकलें लगाई गईं कि मुरली मनोहर जोशी द्वारा तैयार किए गए घोषणापत्र से पार्टी खुश नहीं थी और इसलिए उसमें कुछ परिवर्तन किए गए। 52 पन्नों के इस घोषणापत्र के जरिए बीजेपी ने अपने एजेंडा देश के सामने रखा है। घोषणापत्र मतदाताओं के प्रति राजनीतिक दलों की प्रतिबद्धता का दस्तावेज होता है, जिसके जरिए लोगों से कहा जाता है कि अगर सरकार बनी तो वह क्या करेंगे।
लेकिन यह नरेंद्र मोदी का एजेंडा है। पिछले एक साल से नरेंद्र मोदी की देश भर में हो रही रैलियों में जो बातें कही गई हैं, उन्हें सिलसिलेवार ढंग से घोषणापत्र में पिरोया गया है। सबसे महत्वपूर्ण है दिल्ली के रामलीला मैदान पर बीजेपी के राष्ट्रीय परिषद की बैठक के अंतिम दिन 19 जनवरी 2014 को दिया गया नरेंद्र मोदी का भाषण। करीब डेढ़ घंटे चले इस भाषण में मोदी ने विकास और सुशासन के जितने भी मंत्र सामने रखे थे, उन्हें घोषणापत्र में शामिल कर लिया गया है।
बीजेपी के घोषणापत्र में सबसे ज्यादा ध्यान पटरी से उतरी अर्थ व्यवस्था पर दिया गया है। बीजेपी ने लोगों के सामने अपने एजेंडे की शुरुआत ही बढ़ती महंगाई को काबू में करने का वादा कर की है। उद्यमिता और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए कई कदमों का एलान। भ्रष्टाचार और काले धन पर अंकुश लगाने के लिए कड़े कदम उठाने का वादा। मजबूत नेतृत्व के जरिए फैसले लेने में आई पंगुता और साख पर आए संकट को दूर करना जैसे वादे कर खुद को यूपीए सरकार के दस ‘विफल’ शासन से अलग दिखाने की कोशिश भी की है।
नरेंद्र मोदी नए सहयोगियों को साथ लेने के लिए केंद्र-राज्य संबंधों, संघीय ढांचे के महत्व और राज्यों की स्वायत्तता पर खास जोर देते रहे हैं और घोषणापत्र में भी यही कहा गया है। छोटे राज्यों के गठन की वकालत की गई है। जम्मू-कश्मीर का विकास और धारा 370 के खात्मे के लिए सभी पक्षों से बातचीत का वादा है। सत्ता का विकेंद्रीकरण और लोगों की भागीदारी बढ़ाने के लिए पीपीपीपी मॉडल यानी पीपुल-पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप की बात कही गई है। ग्राम सभाओं को अधिक अधिकार देने का वादा भी किया गया है।
व्यवस्था के सुधार के लिए मोदी सुशासन की बात करते हैं और घोषणापत्र उनके नारे इंडिया फर्स्ट से ही सुशासन के अध्याय की शुरुआत करता है। प्रशासनिक सुधारों के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय में अलग तंत्र बनाने का वादा है। मोदी जिस तरह का प्रशासनिक ढांचा गुजरात में खड़ा कर वहां सुशासन देने का दावा करते हैं, उसी को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने का वादा है, जिसमें ‘कम सरकार, अधिकतम शासन’ शामिल है। इसके लिए ई-गवर्नेंस पर खास जोर है। प्रशासनिक, न्यायिक, पुलिस और चुनाव प्रक्रिया में बड़े सुधारों के वादे भी किए गए हैं। इनमें लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ करने के लिए आम राय बनाने की बात भी है।
बीजेपी का घोषणापत्र वंचितों, गरीबों और पिछड़ों को घर, बिजली, पानी, शौचालय के आधारभूत ढांचे को मुहैया कराने का वादा करता है। दलित, आदिवासी, पिछड़े और अन्य कमजोर वर्ग के लिए सामाजिक न्याय और समान अवसर देने की बात है। अल्पसंख्यकों के लिए मदरसों के आधुनिकरण और उर्दू को बढ़ावा देने का वादा है। भय रहित वातावरण बनाने का वादा भी किया गया है। नव मध्य वर्ग मोदी की शब्दावली का हिस्सा है, जिसे गुजरात विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल किया गया था। बीजेपी घोषणापत्र इस वर्ग के लिए भी कई सुविधाओँ का वादा करता है। गांवों में शहरों जैसी सुविधा देकर उन्हें ‘शहर-गांव’ बनाना। सौ नए शहरों का निर्माण करना जैसे वादे भी शामिल हैं।
बच्चों, बुजुर्गों, शारीरिक रूप से अशक्त और युवाओं के लिए घोषणापत्र में अलग से कई वादे किए गए हैं। महिलाओं के लिए संसद और विधानसभा में 33 फीसदी आरक्षण का वादा है। सर्व शिक्षा अभियान को मजबूत करने का वादा है। हर राज्य में एम्स जैसे संस्थान बनाने की बात है। कर ढांचे को सुधारने का वादा किया गया है। रिटेल को छोड़ बाकी सभी क्षेत्रों में विदेशी पूंजी निवेश लाने की बात है। किसानों के लिए उपज के जरिए कम से कम पचास फीसदी मुनाफे के लिए रास्ते निकालने के लिए कहा गया है। बड़े उद्योगों के लिए कहा गया है कि नकारात्मक माहौल को दूर किया जाएगा। देश की आजादी की 75वीं वर्षगांठ तक हर परिवार के लिए उसके अपने पक्के मकान का इंतज़ाम करने का वादा है। बीजेपी ने आंतरिक सुरक्षा के मुद्दे पर कई वादे किए हैं इनमें एनआईए को मजबूत करना और कांग्रेस द्वारा मिटा दिए गए आतंकवाद से लड़ने के ढांचे को दोबारा खड़ा करना शामिल है।
अंत में हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों को जगह दी गई है। घोषणापत्र संविधान के दायरे में रह कर अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के गठन के लिए सभी संभावनाओं की तलाश की बात करता है। राम सेतु, गंगा की निर्मलता, गौवंश का संरक्षण और संवर्धन जैसे मुद्दों का जिक्र है। इसमें समान नागरिक संहिता को लागू करने की बात भी कही गई है।
This Article is From Apr 07, 2014
चुनाव डायरी : नरेंद्र मोदी का एजेंडा आया सामने
Akhilesh Sharma
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Updated:नवंबर 20, 2014 13:05 pm IST
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Published On अप्रैल 07, 2014 18:27 pm IST
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Last Updated On नवंबर 20, 2014 13:05 pm IST
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