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This Article is From Feb 27, 2014

चुनाव डायरी : मोदी, मुस्लिम और माफी...

Akhilesh Sharma
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  • Updated:
    नवंबर 20, 2014 13:17 pm IST
    • Published On फ़रवरी 27, 2014 11:56 am IST
    • Last Updated On नवंबर 20, 2014 13:17 pm IST

राष्ट्रीय मुस्लिम मंच और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के अल्पसंख्यक मोर्चे के एक कार्यक्रम में पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने बेहद प्रभावी भाषण दिया, और इस दौरान उन्होंने बीजेपी और देश के सबसे बड़े अल्पसंख्यक तबके मुसलमानों के बीच के तनावपूर्ण रिश्तों को अपने ही ढंग से नए सिरे से परिभाषित करने की भी कोशिश की। राजनाथ सिंह ने बीजेपी को लेकर मुस्लिमों की आशंकाओं को दूर करने का प्रयास किया और नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए उनका समर्थन मांगा।

लेकिन मीडिया का पूरा ध्यान राजनाथ सिंह के माफी वाले बयान पर रहा। यह स्वाभाविक भी है, क्योंकि एक बड़े तबके को लगता है कि जब तक बीजेपी मुसलमानों को लेकर अपने रवैये को नहीं बदलती, मुसलमान उन पर भरोसा नहीं कर सकते। बीजेपी और मुसलमानों के बीच अविश्वास की खाई इतनी गहरी है कि पार्टी के कई बड़े नेता यह कहते मिल जाएंगे कि पार्टी चाहे सिर के बल खड़ी हो जाए, उसे मुसलमानों का वोट कभी नहीं मिल सकता।

वहीं, कई मुस्लिम नेता भी यह कहते हैं कि बीजेपी चाहे कुछ कर ले, मुसलमान हमेशा उसी पार्टी को रणनीतिक ढंग से वोट करेगा जो बीजेपी को हरा सके। क्या कभी ऐसा हो सकता है कि बीजेपी और मुसलमानों के बीच अविश्वास की यह खाई भर पाए...?

बीजेपी बीच-बीच में ऐसे संकेत देती भी है कि वह अपनी ओर से पूरी कोशिश कर रही है, लेकिन हकीकत यही है कि जब भी उसने ऐसी कोशिश की है, पार्टी पर हावी कट्टरपंथी खेमा उसे अपने कदम पीछे खींचने के लिए मजबूर कर देता है। राजनाथ सिंह के माफी वाले बयान के बाद पार्टी की ओर से दी गई सफाई को इसी तरह देखा जा रहा है।

बीजेपी के उदारवादी नेता मानते हैं कि राजनाथ सिंह के बयान से न सिर्फ पार्टी ने मुसलमानों की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया था, बल्कि ऐसे संभावित सहयोगियों को भी इशारा किया था, जो नरेंद्र मोदी की कट्टरपंथी छवि के कारण बीजेपी के साथ नहीं आना चाह रहे हैं।

मुसलमानों को साथ लेने की बीजेपी की कोशिशें इसलिए भी ज्यादा गंभीर नहीं दिखती हैं, क्योंकि पार्टी चुनाव के वक्त ही उन्हें लुभाने का प्रयास करती दिखती है। बीजेपी के प्रति मुसलमानों के अविश्वास की एक बड़ी वजह बीजेपी के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के साथ अटूट रिश्ते हैं। यह बात अलग है कि खुद आरएसएस मुसलमानों से रिश्तों को मधुर करने के प्रयासों में लगा है। राजनाथ सिंह जिस कार्यक्रम में बोले, उसके आयोजकों में से एक राष्ट्रीय मुस्लिम मंच दरअसल आरएसएस का ही एक अंग है।

आज राष्ट्रीय अंग्रेज़ी दैनिक 'इंडियन एक्सप्रेस' में गुजरात बीजेपी की वापी इकाई का एक दिलचस्प विज्ञापन छपा है, जिसमें तीन प्रमुख मुस्लिम शख्सियतों के बयानों का जिक्र कर देश भर के मुसलमानों से कहा गया है कि वे नरेंद्र मोदी पर भरोसा करें, क्योंकि गुजरात में उनकी तरक्की हुई है। यह विज्ञापन और राजनाथ सिंह का माफी वाला बयान बताता है कि बीजेपी लोकसभा चुनाव 2014 के मद्देनज़र एक बार फिर मुसलमानों को लुभाने में लगी है, लेकिन इसके लिए वह कितनी गंभीर है, इसका संकेत शायद इस बात से भी मिले कि उसके उम्मीदवारों की सूची में कितने मुसलमान रहते हैं।

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