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This Article is From Apr 05, 2016

यह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट है एक अलस भोर की, जिसका सूरज चोरी हो गया...

Dr Vijay Agrawal
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अप्रैल 07, 2016 18:59 pm IST
    • Published On अप्रैल 05, 2016 17:14 pm IST
    • Last Updated On अप्रैल 07, 2016 18:59 pm IST
यह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट है एक अलस भोर की, जिसके सूरज की चोरी हो गई है, इसलिए दुपहरी देखे बिना वह अलस भोर काली अंधरी रात में तब्दील होने को मजबूर हो गई।
  • उम्र - 24 साल...
  • व्यवसाय - एक्टिंग...
  • विशेष पहचान - बालिका वधू...
  • स्टेटस - अत्यंत लोकप्रिय...
  • दिखने में - बहुत सुंदर...
  • आर्थिक स्थिति - उच्च-मध्यम वर्ग से थोड़ा नीचे एवं मध्यम वर्ग से थोड़ा ऊपर...
  • निवास - मायानगरी मुंबई...
  • स्वास्थ्य - अच्छा...

आमतौर पर आत्महत्या के जो-जो कारण गिनाए जाते हैंस वे इन्हीं में से किसी एक का अभाव होता है, लेकिन प्रत्यूषा ने ऐसा क्यों किया, यदि हम इसे आत्महत्या मानकर चल रहे हैं तो...?

अब तक की डॉक्टरी रिपोर्ट के अनुसार 'प्रत्यूषा बनर्जी की मौत दम घुटने से हुई...' दम क्यों घुटा...? गर्दन पर दबाव पड़ने से... अब इसी बात की जांच-पड़ताल की जा रही है कि गर्दन पर दबाव प्रत्यूषा के खुद के हाथों ने डाला या किसी अन्य के हाथों ने।

...लेकिन, दम केवल गर्दन पर ही दबाव पड़ने से नहीं घुटता, मन पर दबाव पड़ने से भी घुटता है। सच तो यही है कि मन का यह दबाव ही हाथों को गर्दन की ओर जाने के लिए उकसाता है, अन्यथा 'यूं ही कोई बेवफा नहीं होता, ज़िन्दगी से...

केवल 17 साल की निहायत कच्ची उम्र में, वह भी लड़की, जमशेदपुर जैसे छोटे-से शहर को छोड़कर देश के सबसे बड़े शहर मुंबई और खासतौर से उसमें बसी 'स्वप्न नगरी' का हिस्सा बन जाती है। तब से अब तक के सात साल में उसे बेइंतहा सफलता मिलती है। उसका चेहरा और सिनेमाई नाम घर-घर में दर्ज हो जाता है। इस शोहरत के साथ अकूत धन भी आता है। सुन्दर वह है ही... लेकिन इस सबके बावजूद ऐसा कोई एक भी नहीं, जो उसके साथ हो, जिसे वह अपना कह सके। ढाई करोड़ की आबादी वाली इस भीड़ में वह निहायत अकेली रह रही है। उसे एहसास होता है कि सब कुछ होने के बाद भी मानो, कुछ नहीं है। फलस्वरूप, एक कंधे की तलाश उसे किसी से जोड़ देती है। यह तलाश इतनी प्रबल है कि सही-गलत के चयन का विवेक तक जवाब दे जाता है... और फिर यही अविवेक, जैसा अभी तक अनुमान लगाया जा रहा है, उसके जीवन के अंत का कारण बन जाता है।

यहां इस तथाकथित आत्महत्या से कुछ जबर्दस्त सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक सवाल खड़े होते हैं, जो जवाब चाहते हैं...
  1. क्या इसमें कस्बाई एवं महानगरीय (परम्परागत एवं उत्तर-आधुनिक) चेतना के बीच का जबर्दस्त द्वन्द्व शामिल नहीं है...?
  2. 17 साल की एक लड़की को अभिभावकों द्वारा उस महानगर में बिल्कुल अकेले छोड़ देना उसकी मानसिक अवस्था के कितना अनुकूल था...?
  3. क्या इसमें स्वयं प्रत्यूषा तथा उसके परिवार वालों की धन की लालसा और ग्लैमरस जीवन के प्रति गजब के आकर्षण का भाव एक अव्यावहारिक सीमा तक बढ़ जाने का तत्व नहीं है...?
  4. इतनी कम उम्र में इतनी सफलता और दौलत को संभालने के लिए प्रबंधकीय समझ का अभाव कहीं गलत रास्ते पर चलाकर यहां तक तो नहीं पहुंचा देता...? यह एक प्रकार से घर के खपरैल बदले जाने से पहले हुई तेज बारिश के समान होती है, जो घर के अंदर सब कुछ तहस-नहस कर देती है।
  5. यदि आर्थिक सुदृढ़ता और सामाजिक सफलता किसी महिला को सशक्त नहीं बना सकते, तो फिर इसके लिए क्या किया जाना चाहिए...?
  6. कहीं ऐसा तो नहीं कि यह 'ऊबे हुए सुखी लोगों' की जीवन के प्रति व्यक्त की गई एक चरम प्रतिक्रिया है, तो फिर चिंतित होने की ज़रूरत है कि हम कैसा समाज रच रहे हैं। क्या इसका समाधान 'मिनिस्ट्री ऑफ हैप्पीनेस' बनाने में है, जिसकी आहट सुनाई देने लगी है...?
  7. सामान्यतया इस तरह की दुर्घटनाएं अभिनेत्रियों के साथ होती हैं, अभिनेताओं के साथ नहीं। क्या इस समस्या पर लैंगिक विभाजन के आधार पर भी विचार नहीं किया जाना चाहिए...?

मित्रो, यही कहा जा सकता है कि यह घटना एक है, लेकिन अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई है। हत्यारा कौन है, यदि यह हत्या थी, तो पता लगाया जा रहा है। लेकिन इसके साथ ही बहुत कुछ और भी पता लगाया जाना चाहिए, क्योंकि इस मामले में हम सभी कुछ न कुछ सीमा तक तो कठघरे में खड़े ही हैं।

डॉ. विजय अग्रवाल वरिष्ठ टिप्पणीकार हैं...

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

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