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This Article is From Jan 03, 2018

पाकिस्तान के ख़िलाफ़ ट्रंप ज़िंदाबाद तो भारत के ख़िलाफ़...?

Ravish Kumar
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जनवरी 03, 2018 14:59 pm IST
    • Published On जनवरी 03, 2018 14:29 pm IST
    • Last Updated On जनवरी 03, 2018 14:59 pm IST
जब ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सैनिक मदद रोकी तो हमारा मीडिया नाचने लगा और ट्रंप ट्रंप करने लगा. भारत का मीडिया गीत गाने लगा कि मोदी की जीत है. 1 और 2 जनवरी को लगा कि ट्रंप और मोदी पार्टनर बन गए हैं. ऐसे फैसलों की बारीक़ी को मीडिया ने ट्रंप मोदी की जुगलबंदी में समेट दिया. दो दिन बीते नहीं कि अब ख़बर ऐसी आ रही है जो भारतीयों के लिए अच्छी नहीं है. उम्मीद है भारत के चैनल अब ट्रंप और मोदी को साथ साथ यानी अगल बगल में नहीं दिखाएंगे. दोनों को आमने सामने दिखाएंगे. ये सब करेंगे मगर कोई आपको शर्तें लागू वाले प्रावधान नहीं बताएगा.

ट्रंप प्रशासन प्रस्ताव है कि जो लोग स्थायी निवास (permanent residnecy) के लिए H-B1 वीज़ा का विस्तार हासिल करना चाहते हैं, उन्हें विस्तार न मिले. अगर यह प्रस्ताव लागू हो गया तो करीब पांच लाख भारतीयों को वापस आना होगा. चीन के नागरिक भी प्रभावित होंगे, मगर सबसे ज़्यादा असर भारतीयों पर पड़ेगा. ट्रंप की जीत के लिए हवन करने वाले प्लीज़ हवन री-स्टार्ट करें, ताकि ट्रंप के भेजे में बुद्धि का आगमन हो और ऐसा न हो. चैनलों को तुरंत ट्रंप के ख़िलाफ़ मोर्चा खोल लेना चाहिए और प्रधानमंत्री मोदी से कहना चाहिए कि एक बार और जीत कर दिखाएं. पाकिस्तान को सैनिक मदद रोकवा दी, अब ये वीज़ा वाला प्रस्ताव रोकवा दें.

Permanent Residency मिल जाने से आप अमरीका में रहकर किसी भी कंपनी में काम कर सकते हैं. बार-बार वीज़ा लगाने की ज़रूरत नहीं होती है. किसी प्रायोजक की ज़रूरत नहीं होती है. नागरिकता के लिए आपको अमरीका में इम्तहान देना पड़ता है. कुतर्कियों और मूर्ख राष्ट्रवादियों की तरह कहा जा सकता है कि भारत में पैदा होकर कोई दूसरे मुल्क की नागरिकता कैसे ले सकता है. नागरिकता और स्थाई निवास अलग है. अब मैं उनकी बात कर रहा हूं जो दूसरे देश की नागरिकता ले लेते हैं. ऐसे लोगों को भारत आ ही जाना चाहिए. मैं इस तरह की राय को सही नहीं मानता. लेकिन भारत की नागरिकता को छोड़ चुके लोगों को मतदान का अधिकार देने की बात को भी सही नहीं मानता. क्यों भाई जब नागरिकता छोड़ दी तो मतदान का अधिकार क्यों लोगे?

एन आर आई कोटे से मेडिकल और इंजीनियरिंग कालेजों में एडमिशन क्यों लोगे? यह कोटा मेरिट से मिलता है या पैसा देकर? जो भी बहस हो, अंध विरोध की तरह न हो. सोच विचार कर, सबका पक्ष सुनते हुए होनी चाहिए.
माइग्रेशन दुनिया की एक सच्चाई है. दुनिया इसी तरह से बसी है. आगे भी ऐसे ही बसेगी. हम और आप अपने ही देश में एक भौगोलिक इलाके से दूसरे भौगोलिक इलाके में पलायन करते रहते हैं. सदियों से दूसरे देशों में पलायन करते रहे हैं. बांध कर भी ले जाए गए हैं.

पलायन करना अवसरों का लाभ उठाना है. हम सभी को माइग्रेट करने या पलायन करने के अधिकारों का पक्ष लेना चाहिए और जीवन में पलायन करना चाहिए. दुनिया भर में माइग्रेशन को लेकर कुतर्कों का जाल बिछा हुआ है. इसे समझने के लिए आपको ज़्यादा से ज़्यादा पढ़ना चाहिए. धारणाओं के आधार पर कुतर्क न गढ़ें. नौकरी मिल जाने और शादी हो जाने के बाद भी पढ़ते रहें.

ईसाई धर्म गुरु पोप फ्रांसिस ने अपने नए साल के संदेश में दुनिया से अपील की है कि लोग अपने प्रवासियों और शरणार्थियों को गले लगा लें. उनके दिलों में आशा की किरणों को बुझने न दें. पोप फ्रांसिस लगातार इस बात पर बोलते रहते हैं. ट्रंप लगता है पोप की भी बात नहीं सुनते. बहुत से देश नहीं सुनते हैं. हमारे धर्म गुरु जो भारत को विश्व गुरु बनाने निकले हैं, उनका माइग्रेशन और रिफ्यूजी पर क्या मत है, कभी ठीक से जानने को नहीं मिला. अगर कुछ है तो ज़रूर अवगत कराएं. मैं अपनी अज्ञानता दूर करना चाहता हूं.

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.

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