भारी भीड़...चलती ट्रेन.. कुछ आवाज़ें और फिर पिटाई. जो पिटाई नहीं कर रहे वो तामशबीन ज़्यादा खटकने लगे हैं. क्या देश के अलग-अलग हिस्सों में चलता भीड़तंत्र लोकतंत्र को चुनौती नहीं दे रहा है. जिसे जहां मन करे पकड़ो, एक अफ़वाह उड़ाओ और फिर मार डालो. किसी की किस्मत रही तो बच जाए, वरना मारने वाले कहां ज़िंदा रहने के लिए पीटते हैं. एक ट्रेन चलती है, सीट पर विवाद होता है. जिससे विवाद वो एक धर्म का है, इसलिए सबसे आसान जो अफ़वाह है वो फैला दी गई और फिर पिटाई शुरू हो गई. बचाने वाला कोई नहीं था लेकिन पीटने वाले कम नहीं थे. एक ने दम तोड़ दिया और बाकी तीन अस्पताल में हैं. ये गुंडागर्दी का नया तरीका है. अभी पिछले महीने की बात है कि झारखंड में बच्चा चुराने की अफ़वाह उड़ा दी गई. जगह-जगह लोगों की हत्या भीड़ करने लगी. 19 मई को तो झारखंड में दो जगहों पर सात लोगों को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला. कुछ लोगों ने रिश्तेदारों के यहां छिपने की कोशिश की तो रिश्तेदारों को कहा गया उन्हें सौंप दो नहीं तो पूरे घर में आग लगा देंगे. आखिरकार भीड़ को पिटाई के लिए मजबूर मिल गए और फिर उन्हें मारकर फेंक दिया गया.
ये हैरान नहीं परेशान ज़्यादा करता है. जानवरों से भरे ट्रक पकड़े जाने लगे और फिर कुछ कथित गोरक्षक पीटने लगते. हर बार इस तरह की पिटाई के पक्ष में तर्क आने लगते हैं. अलवर में पहलू ख़ान को मार दिया गया. खूब बवाल मचा, जांच बिठा दी गई, कड़ी कार्रवाई का आश्वासन मिल गया लेकिन क्या कुछ बदला है? कम से कम जो हालात हैं उसे देखकर तो ऐसा बिल्कुल नहीं लगता है.
राजस्थान में जून महीने में तो तमिलनाडु के पशु विभाग के कर्मचारियों तक को गुंडों ने नहीं बख़्शा. उनके पास जानवर ख़रीद के सारे पेपर थे. लेकिन पेपर देखता कौन है, जब मकसद सिर्फ़ पीटना और डर पैदा करना हो. पिछले साल जुलाई में गुजरात के गिर सोमनाथ में जिस तरह दलितों को गाड़ी से बांधकर पीटा गया वो हिला देने वाला है. वो चमड़े का काम करते थे, लेकिन उन्हें गाय को मारने वाला बता दिया गया और फिर पीटने का सिलसिला शुरू हो गया.
ऐसा नहीं है कि ये किसी एक राज्य तक सिमटा है. दायरा बढ़ रहा है, डर बढ़ रहा है. उनमें नहीं जो गुंडागर्दी कर रहे हैं, उनमें जो सही हैं लेकिन भीड़ कहीं भी पकड़ सकती है, पीट सकती है, हत्या कर सकती है. ये भीड़तंत्र ख़तरा बन रहा है. मुझे गोरक्षा पर प्रधानमंत्री की कही बात सबसे ज़्यादा पसंद है. उन्होंने कथित गोरक्षकों को आइना दिखाया था. अगर राज्य उसपर अमल करें तो ये घटनाएं तुरंत बंद हो सकती हैं. लेकिन क्या वो ऐसा कर रहे हैं? तब तक मुझे मत मारो... मैं भी इंसान हूं.
मिहिर गौतम एनडीटीवी इंडिया में एसोसिएट न्यूज़ एडिटर हैं.
डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है. इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं. इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है.
This Article is From Jun 24, 2017
मुझे मत मारो... मैं भी इंसान हूं...
Mihir Gautam
- ब्लॉग,
-
Updated:जून 24, 2017 23:11 pm IST
-
Published On जून 24, 2017 23:11 pm IST
-
Last Updated On जून 24, 2017 23:11 pm IST
-
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं