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This Article is From Oct 25, 2015

सुशील महापात्रा की कलम से : दलितों के दर्द पर घड़ियाली आंसू बहाने की राजनीति में कोई पीछे नहीं

Sushil Kumar Mohapatra
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    अक्टूबर 25, 2015 17:39 pm IST
    • Published On अक्टूबर 25, 2015 17:25 pm IST
    • Last Updated On अक्टूबर 25, 2015 17:39 pm IST
मध्य प्रदेश में एक दलित लड़की की पिटाई हो जाती है क्योंकि उसकी परछाईं से एक सवर्ण अपवित्र हो जाता है, इलाहबाद में चार रुपये खुले को लेकर झगड़ा हो जाती है और दो दलित युवकों की हत्या हो जाती है। एक दलित लड़की का हाथ जला दिया जाता है क्योंकि वह किसी सवर्ण को उसका फोन रिंग टोन कम करने को कहती है। हमारे समाज में कई ऐसी चौंका देने वाली घटनाएं होती रहती हैं।

मीडिया ने चेताया तो कार्रवाई हुई  
पिछले कुछ दिनों में हरियाणा में जिस तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं वह चौंकाने वाली हैं। फरीदाबाद के सुनपेड़ गांव के दो दलित बच्चों की आग लगाकर हत्या कर दी गई। मीडिया ने इस घटना को गंभीरता से लिया जिसकी वजह से प्रशासन से लेकर सरकार तक सबको तुरंत कर्रवाई करनी पड़ी। अन्यथा हमारे देश में रोज ऐसी घटनाएं होती रहती  हैं, लेकिन इन घटनाओं पर न प्रशासन जागता है न ही सरकार। कुछ दिन पहले मध्य प्रदेश में एक गांव के कुछ दलित परिवार सवर्णों के अत्याचार की वजह से गांव छोड़कर चले गए।

दलितों के नाम पर राजनीतिक लाभ के लिए होड़
कांग्रेस की तरह अब बीजेपी सरकार भी दलितों पर हो रहे अत्याचारों को रोकने में नाकामयाब हो रही है। बीजेपी के नेता अनाप-शनाप बयान भी दे रहे हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री खट्टर कह रहे हैं कि ऐसे मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। मैं भी मानता हूं, ऐसे मुद्दे पर राजनीति नहीं होनी चाहिए, लेकिन क्या बीजेपी ऐसे मुद्दों पर राजनीति नहीं करती है ?  बीजेपी ही नहीं हर पार्टी दलितों को लेकर अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने में लगी हुई हैं।

सरकारें बदलीं, इनकी हालत नहीं बदली
फरीदाबाद में राहुल गांधी का गुस्सा सबने देखा होगा। राहुल गांधी ऐसी हरकत कर रहे हैं जैसे कांग्रेस के शासनकाल में कभी दलितों पर अत्याचार नहीं हुए हों। सन 2012 से हिसार के भगाना गांव के कुछ दलित परिवार सवर्णों से तंग आकर जंतर-मंतर पर धरने पर बैठे हुए हैं, लेकिन कोई उनकी सुनने वाला नहीं है। यह लोग राहुल गांधी के साथ-साथ कांग्रेस के कई बड़े नेताओं से भी मिले थे, लेकिन इनकी समस्या का समाधान नहीं हो पाया। पूर्व में हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और केंद्र में भी कांग्रेस की ही सत्ता थी। अब हरियाणा और केंद्र में  बीजेपी की सरकार है। सरकार बदल गई लेकिन इनके हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।

कम नहीं होते दलितों के खिलाफ अपराध
जब इन दलित परिवारों को इंसाफ नहीं मिला तो इन्होंने इस्लाम कबूल कर लिया। इसके बाद विश्व हिंदू परिषद के कुछ कार्यकर्ता उनके गांव में पहुंच गए और समझाने लगे। जो विश्व हिंदू परिषद इनकी समस्या को लेकर आवाज नहीं उठा रहा था वह इसलिए परेशान हो गया क्योंकि इन लोगों ने इस्लाम कबूल कर लिया। पिछले कुछ सालों में देश में दलितों पर अत्याचार बढ़े हैं। सन 2009  से 2013 के बीच देश में करीब 173000 अपराध दलितों के खिलाफ हुए हैं। सरकार कोई भी रही हो, दलितों पर अत्याचार रोकने में सभी नाकामयाब रही हैं। सन 2014 में करीब 47000  अपराध दलितों के खिलाफ सामने आए हैं।

लांछन लगाने से पहले अपना दामन देख लें
मायावती अपने आपको दलितों की नेत्री  मानती हैं। फरीदाबाद में हुई घटना को लेकर मायावती ने काफी नाराजगी जताई। बीजेपी से लेकर कांग्रेस तक सबको धो डाला, लेकिन शायद मायावती भूल गईं कि जब वह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री थीं तब भी दलितों पर अत्याचार हो रहे थे। सन 2009 में उत्तर प्रदेश में दलितों के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध दर्ज किए गए। सन 2009 में पूरे देश में करीब 33400 केस सामने आए थे जिसमें से करीब 22 प्रतिशत केस उत्तर प्रदेश के थे।  

लगभग सभी पार्टियां दलितों को लेकर राजनीति करती रहती हैं। अगर हमारे नेता सच में दलितों को लेकर गंभीर होते तो शायद दलितों पर अत्याचार कम हो गए होते। जब तक राजनैतिक दल वोट बैंक की राजनीति से ऊपर नहीं उठेंगे तब तक ऐसी घटनाएं होती रहेंगी।

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