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This Article is From May 08, 2015

प्रियदर्शन की बात पते की : जान, सलमान और हिंदुस्तान

Priyadarshan
  • Blogs,
  • Updated:
    मई 08, 2015 20:35 pm IST
    • Published On मई 08, 2015 20:27 pm IST
    • Last Updated On मई 08, 2015 20:35 pm IST
ये वो नायक है जिसने अपनी उदास और ऊबी हुई दुनिया में रहने को मज़बूर करोड़ों हिंदुस्तानियों को अपनी तरह की राहत दी, रंगीनी दी, उल्लास के लम्हे दिए।

बहुत सारे लोगों को अपने किशोर दिन याद आते रहे जब अपनी आंखों से कुछ-कुछ कहते रह जाते इस हीरो ने- दूसरों की लिखी हुई ही सही- लेकिन प्रेम की यादगार कहानियां दीं, उछल-कूद से लेकर स्टंट तक ऐसा रोमांच दिया जिस पर यकीन न करते हुए भी लोग रीझते रहे।

हम उससे यह शिकायत नहीं कर सकते कि शराब के नशे में एक रात कुछ लोगों को कुचल डालने के बाद उसने हीरो जैसा सलूक करते हुए सबको बचाने की कोशिश नहीं की, बल्कि वहां से भाग निकला। हम उससे यह शिकायत भी नहीं कर सकते कि देश की कानून व्यवस्था उसे जितना घेर सकती थी, उतना घिरने के बाद वह अपने साधनों और कानून के रास्तों के सहारे उससे निकल गया। हम उससे यह शिकायत नहीं कर सकते कि निकलते हुए उसने उन लोगों की मदद नहीं की जो उसकी वजह से बेसहारा या विकलांग हो गए।

उसके पास यह बताने वाले बहुत सारे लोग हैं कि उसका दिल कितना बड़ा है और सिनेमाघरों के अंधेरे में अपनी चवन्नी उछालने और लगाने वाले गरीबों के रुपयों से उसने जो करोड़ों की दौलत इकट्ठा की है, उससे वह बहुत सारी चैरिटी का काम करता है।

शिकायत सिर्फ इस बात की है कि सलमान ख़ान जैसे नायक को इंसाफ़ दिलाने की जो हड़बड़ी है, उसकी एक चूक को लेकर नाइंसाफ़ी की जो हूक है, वह हमारे आम और ख़ास जनों में सिर्फ तभी जागती है जब किसी ऐसे आदमी का मामला आता है जो बहुत बड़ा हो या उनके वर्गीय हितों का नुमाइंदा हो।

जिस देश में पौने तीन लाख लोग मुकदमा शुरू होने के इंतज़ार में जेलों में सड़ रहे हों, जहां बहुत सारे बेगुनाह लोग अपनी एक पूरी उम्र काट कर जेलों से बाहर आ पाते हैं, वहां अपने नरमदिल नायक के जेल जाने की कल्पना से ही अगर इस देश के बहुत सारे लोग अपने आंसू बहाने लगते हैं तो समझना चाहिए कि उनकी ममता इंसाफ़ को लेकर अंधी है और इंसानियत का अपमान कर रही है।

ये बात पते की सलमान ख़ान पर नहीं, उस हिंदुस्तान पर है जो इसलिए इतने भयानक अन्याय करता और झेलता है और एक अमानवीय गैरबराबरी से आंखें मूंद कर चलता रहता है। बेशक, उसे अपने बॉलीवुड के नायकों का शुक्रगुज़ार होना चाहिए- उसके रंगीन परदे की सपनीली खुशबू न होती तो सच्चाई की ये बजबजाती गली पार करना उसके लिए आसान न होता।

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