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This Article is From Jul 13, 2016

आईएसआईएस के वीडियो में मुझे हिंदू राष्‍ट्र का एजेंट कहा गया: असदुद्दीन ओवैसी

Asaduddin Owaisi
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 14, 2016 19:52 pm IST
    • Published On जुलाई 13, 2016 22:44 pm IST
    • Last Updated On जुलाई 14, 2016 19:52 pm IST
मैं शेख मुहम्‍मद अल याकूबी के इस उद्धरण से अपनी बात शुरू करूंगा, "इस्‍लाम को इतनी चुनौती कभी भीतर से नहीं मिली, जितनी इस वक्‍त मिली है।" सीरिया के इस इस्‍लामिक विद्वान ने यह भी कहा, ''आईएसआईएस की विचारधारा भ्रांत तर्कों की उस जटिल व्‍यवस्‍था पर आधारित है जोकि पवित्र ग्रंथ के मूल संदर्भ से इतर गढ़े गए हैं और चयनित कानूनों की मन मुताबिक व्‍याख्‍या करने वाले ऐसे प्रपंचों से युक्‍त हैं जो उनकी विकृत मानसिकता को तुष्‍ट करते हैं।''

यह न ही इस्‍लामिक है और न ही यह स्‍टेट है। यह ऐसे पथभ्रष्‍ट गैंगस्‍टरों का समूह है जो क्रोध और घृणा के माध्‍यम से सत्‍ता की लालसा रखते हैं और अपने लक्ष्‍यों को हासिल करने के लिए इस्‍लाम का सहारा ले रहे हैं।  

इस्‍लाम का बुनियादी आचार दया, विवेक और न्‍याय पर आधारित है। अल्‍लाह के पैगंबर को भी दया और विवेक का प्रचार करने के लिए भेजा गया। उन्‍होंने कहा दयावान अल्‍लाह सिर्फ उन्‍हीं के लिए दयालु है, जो दूसरों के प्रति दया का भाव रखते हैं। इसलिए इस क़ायनात में सभी के प्रति दया का भाव रखना चाहिए और इसके बदले अल्‍लाह की आप पर मेहरबानी रहेगी।   

आईएसआईएस केवल खुद को इस्‍लाम का सच्‍चा अनुयायी मानता है और खुद पर अंगुली उठाने वालों या विरोध करने वालों की भर्त्‍सना करता है। इसलिए जो भी उनका विरोध करता है, वे उसको काफिर करार देते हैं।

पैगंबर मुहम्‍मद के प्रति भी उनकी कोई श्रद्धा नहीं है। आईएसआईएस के एक शख्‍स कमाल जारुक ने शुक्रवार की नमाज के बाद खुलेआम उनके प्रति अविश्‍वास प्रकट करते हुए मुहम्‍मद साहब की निर्लज्‍जता से तौहीन करने का काम भी किया। उसने यह भी कहा, ''यदि मुहम्‍मद हमारे साथ होते तो वे आईएसआईएस ज्‍वाइन कर लेते।''

उसने बेहद यक़ीन के साथ अपनी बात कही और यह कहकर जाहिर भी किया, ''मैं इस बयान के लिए परेशान नहीं हूं। सिर्फ इतना ही नहीं निस्‍संदेह मुझे यक़ीन है कि हम सत्‍य की राह पर हैं।'' इस तरह का बयान ही इस्‍लाम के खिलाफ अविश्‍वास को दर्शाता है और यह मुहम्‍मद साहब की तौहीन है जिसकी कोई माफी नहीं है।  

हालांकि आईएसआईएस खुद को पैगंबर मुहम्‍मद का अनुयायी मानता है लेकिन इस तरह के बयान बिला शक उनके प्रति अविश्‍वास को दर्शाता है। आईएसआईएस बुनियादी तौर पर ''ख्‍वारिज़'' (पथभ्रष्‍ट और अल्‍लाह और पैगंबर के अवज्ञाकारी) है। इसीलिए मैंने आईएसआईएस को ''ज़हन्‍नुम के कुत्‍ते'' कहा।

इन्‍होंने जो अत्‍याचार किए हैं, उनकी व्‍याख्‍या नहीं की जा सकती। जनवरी 2015 में इन्‍होंने जॉर्डन के एक पायलट को जला दिया। इस्‍लामिक कायदे के मुताबिक आप किसी इंसान को जला नहीं सकते। सीरिया और इराक में अनेक विद्वानों की हत्‍या करना, महिलाओं के साथ बलात्‍कार करना, वसूली के लिए अपहरण करना और गैर-मुस्लिमों को गुलाम बनाना एकदम नाजायज़ है। इस्‍लामिक विद्वानों की सर्वसम्‍मति से इस बात पर सहमति है कि गुलाम बनाना असंगत है और इस्‍लाम में इसकी अनुमति नहीं है। यह एक बुराई है जिसको रोका जाना चाहिए। यह पूरी मानव जाति के लिए खतरा है।

लेकिन भारत में जांच एजेंसियों को तब तक युवा मुस्लिम लड़कों को परेशान नहीं करना चाहिए और गिरफ्तार नहीं करना चाहिए जब तक उनके कथित रूप से आईएस के साथ संबंधों के बारे में उनके पास ठोस सबूत नहीं हों। एजेंसियों को बेहद सतर्कता बरतनी चाहिए। यदि गिरफ्तारी की जाती है तो उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने में देरी नहीं होनी चाहिए और जल्‍द से जल्‍द ट्रायल शुरू किया जाना चाहिए ताकि जल्‍द से जल्‍द निर्णय आ सके।   

यह इसलिए क्‍योंकि राष्‍ट्रीय जांच एजेंसी ने जिस तरह से 2006 और 2008 के मालेगांव बम धमाकों के केस को हैंडल किया है, उसके बाद से उनकी विश्‍वसनीयता काफी गिरी है। उसमें उन्‍होंने कहा है कि कुछ प्रमुख आरोपियों के खिलाफ उनके पास कोई ठोस सबूत नहीं है। यह 2008 के मक्‍का मस्जिद धमाकों की जांच से एकदम भिन्‍न स्थिति है क्‍योंकि उसमें उन्‍होंने आरोपी की जमानत के खिलाफ अपील की थी।    

वास्‍तव में आईएसआईएस अस्तित्‍व में नहीं आता यदि जॉर्ज बुश और टोनी ब्‍लेयर ने इराक पर हमला करने के बाद  उसको खंडहर बनाकर नहीं छोड़ा होता। आईएसआईएस की सैन्‍य क्षमता को तो हरा दिया जाएगा लेकिन उसकी विचारधारा को मिटाना बड़ी चुनौती होगी।  

युवाओं को आईएसआईएस के बेहतरीन सोशल मीडिया अभियान के झांसे में नहीं आना चाहिए। यदि वे वास्‍तव में इस्‍लाम के बारे में जानने के इच्‍छुक हैं तो उनको क्‍लासिक इस्‍लामिक विद्वानों के पास जाना चाहिए। इन युवाओं को आईएस के कथित जिहाद के झांसे में नहीं आना चाहिए। सबसे बड़ा जिहाद आप की खुद की कमजोरियों के खिलाफ है जिसे जिहाद अल-अकबर कहा जाता है।

मेरी युवाओं से विनम्र गुजारिश है कि हमको दहेज प्रथा, अशिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍याओं जैसी सामाजिक बुराईयों को मिटाने का संकल्‍प लेना चाहिए। यदि आप शिक्षित हैं तो इसका उपयोग मुस्लिमों को शिक्षित करने में कीजिए। यदि आप आर्थिक रूप से मजबूत हैं तो मुस्लिम लड़कियों की शादी में मदद करें।  

यह बेहद जरूरी है कि हम आईएसआईएस नाम की इस समस्‍या को समझें और स्‍वीकार करें। सऊदी जेल में बंद आईएसआईएस के एक शख्‍स ने कहा कि जिस क्षण हमको परमाणु हथियार मिल जाएगा, हम उसका इस्‍तेमाल करेंगे। यह इनकी मानसिकता को दर्शाता है। इसने मुस्लिमों के दूसरे सबसे पवित्र स्‍थल मदीना में एक आत्‍मघाती हमलावर को भेजा। उसने पैगंबर की मस्जिद से महज 200 मी दूरी पर खुद को उड़ा दिया। इससे सभी को यह समझना चाहिए कि इस आतंकी संगठन का इस्‍लाम से कोई लेना-देना नहीं है।

आईएसआईएस ने जो वीडियो जारी किया है उसमें मौलाना महमूद मदनी, मौलाना अरशद मदनी, बदरुद्दीन अजमल और मेरी फोटो दिखाते हुए कहा गया है कि ये हिंदू राष्‍ट्र के एजेंट हैं। इस तरह वे अपना अभियान चला रहे हैं। मेरी मुस्लिम युवाओं को सलाह है कि इस्‍लाम के लिए जियो, अल्‍लाह एवं पैगंबर के लिए जियो और भारत को मजबूत बनाने के लिए प्रयत्‍नशील रहो। अपने देश की धर्मनिरपेक्षता को बरकरार रखने के लिए संजीदा रहो।

इस्‍लाम मौत का नहीं बल्कि जिंदगी का धर्म है। इस्‍लाम आईएसआईएस को खारिज करता है। अल्‍लाह के पैगंबर मुहम्‍मद साहब आईएसआईएस को खारिज करते हैं। विद्वान आईएसआईएस को खारिज करते हैं।

(असदुद्दीन ओवैसी आल इंडिया मजलिस-ए-इत्‍तेहादुल मुस्लिमीन पार्टी (एआईएमआईएम) के अध्‍यक्ष और लोकसभा सदस्‍य हैं।)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण) : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं। इस आलेख में दी गई किसी भी सूचना की सटीकता, संपूर्णता, व्यावहारिकता अथवा सच्चाई के प्रति एनडीटीवी उत्तरदायी नहीं है। इस आलेख में सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई हैं। इस आलेख में दी गई कोई भी सूचना अथवा तथ्य अथवा व्यक्त किए गए विचार एनडीटीवी के नहीं हैं, तथा एनडीटीवी उनके लिए किसी भी प्रकार से उत्तरदायी नहीं है।

 

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