महीना भर भी नहीं हुआ और किरण बेदी का राजनीतिक करियर ख़त्म होता लग रहा है। बीजेपी ने बड़े अरमानों से उन्हें दिल्ली के मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया था, लेकिन वह अपनी सीट तक नहीं बचा पाईं।
दिल्ली के नतीजे की सुबह अपने घर की बालकनी पर अकेली खड़ी किरण बेदी। यह अकेलापन बता रहा था कि दिल्ली के नतीजों का कुछ-कुछ अंदाज़ा उनको और उनकी पार्टी को हो चुका है। लेकिन तब भी किसी ने नहीं सोचा था कि किरण बेदी अपनी सीट तक नहीं बचा पाएंगी। नतीजों के बाद उन्होंने पार्टी से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि मैं पार्टी और कार्यकर्ताओं से माफ़ी मांगती हूं।
किरण बेदी को बीजेपी ने बहुत तामझाम से पार्टी में शामिल किया। इसे उसका मास्टर स्ट्रोक बताया गया। लगा कि केजरीवाल के मुकाबले पार्टी को एक चेहरा मिल गया है, लेकिन बीजेपी का ये दांव पूरी तरह उल्टा पड़ा।
किरण बेदी के लिए यह निजी हार भर नहीं है। बीजेपी ने उनको जिताने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक दी। नरेंद्र मोदी और अमित शाह तक प्रचार करते रहे, लेकिन कुछ काम नहीं आया। अब किरण का राजनीतिक करियर ही सवालों से घिर गया है, क्योंकि जब पार्टी का सीएम पद का उम्मीदवार अपनी सीट भी नहीं बचा पाए तो हार वाक़ई बहुत बड़ी हो जाती है।
किरण बेदी ने तो हार की पूरी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले ली, लेकिन अब बीजेपी को सोचना है कि आख़िर कहां चूक हुई कि पार्टी 32 से सीधे 3 सीटों पर पहुंच गई।
This Article is From Feb 10, 2015
अदिति राजपूत की कलम से : क्या बीजेपी की हार की वजह सिर्फ बेदी हैं?
Aditi Rajput, Saad Bin Omer
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Updated:फ़रवरी 10, 2015 17:55 pm IST
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Published On फ़रवरी 10, 2015 17:46 pm IST
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Last Updated On फ़रवरी 10, 2015 17:55 pm IST
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