भारतीय पीएम मोदी से मिलते नवाज शरीफ (फाइल फोटो)
नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के रिश्तों की एक बहुत अहम कड़ी है वाशिंगटन की भूमिका, इसीलिए पठानकोट हमले के बाद जब अमेरिका के विदेश मंत्री जॉन कैरी ने बात की नवाज़ शरीफ़ से तो ये लगने लगा था कि पाकिस्तान की तरफ से कोई नज़र आने वाली कार्रवाई ज़रूर होगी।
इस सिलसिले में मसूद अज़हर एक बार फिर हिरासत में है, लेकिन पहले की घटनाएं ये साबित करती हैं कि पाकिस्तान को पठानकोट से मसूद अज़हर को सीधा जोड़ना होगा ताकि मसूद अज़हर लंबे समय तक कानून के शिकंजे में रहे।
1999 में इंडियन एयरलाइंस के विमान अपहरण के बाद 1994 में गिरफ़्तार हुए मसूद अज़हर को कांधार में 155 यात्रियों को छुड़ाने के लिए छोड़ना पड़ा था। भारत की पार्लियामेंट पर हमले के बाद 2002 में भी मसूद अज़हर को पाकिस्तान में नज़रबंद किया गया लेकिन उसे कभी भी संसद पर हमले का सीधा आरोपी नहीं बनाया गया।
नतीजा ये हुआ कि उसी साल दिसंबर में मसूद अज़हर को लाहौर की अदालत ने रिहा करवा दिया। ऐसे में ये देखना ज़रूरी होगा कि पाकिस्तान की तरफ से की गई ये कार्रवाई रिश्तों को बेहतर बनाने में कितनी पुख्ता होती है या हर बार कोई मसूद अज़हर कुछ समय बाद रिहा हो जाएगा।
अभिज्ञान प्रकाश एनडीटीवी इंडिया के सीनियर एक्जीक्यूटिव एडिटर है
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