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This Article is From Jul 29, 2016

'आप विधायक गिरफ़्तार' : सुर्खियों के बाद की कहानी

Sharad Sharma
  • ब्लॉग,
  • Updated:
    जुलाई 29, 2016 00:46 am IST
    • Published On जुलाई 29, 2016 00:29 am IST
    • Last Updated On जुलाई 29, 2016 00:46 am IST
आम आदमी पार्टी के दिल्ली के ओखला से विधायक अमानतुल्ला खान को साकेत सेशन कोर्ट से ज़मानत मिल गई है। अमानतुल्ला पर एक महिला ने जान से मारने की नीयत, धमकी, और बदसलूकी का आरोप लगाया था। अमानतुल्ला को दिल्ली पुलिस ने उनके घर से रविवार 24 जुलाई को गिरफ़्तार किया और 4 दिन बाद कोर्ट ने उनको ज़मानत दे दी।

दिल्ली में आम आदमी पार्टी के अब तक 10 विधायक गिरफ़्तार हो चुके हैं। जिसमें से 9 या तो ज़मानत पर बाहर हैं या उनके खिलाफ केस ख़त्म हो गए हैं। जबकि एक एक महरौली से विधायक नरेश यादव धर्मग्रन्थ की बेअदबी और दंगा भड़काने के आरोप में पंजाब की जेल में बंद है।

जून 2015 में केजरीवाल सरकार के कानून मंत्री और त्री नगर से विधायक जीतेंद्र तोमर की गिरफ़्तारी से शुरू हुआ सिलसिला जुलाई 2016 आते आते रफ़्तार में आ गया। 24 जुलाई को एक ही दिन में आम आदमी पार्टी के 2 विधायकों के गिरफ़्तार होने से ये सवाल उठ सकते हैं कि आप विधायकों की गिरफ़्तारी सामान्य घटना है या नहीं।

आरोप सही या गलत हैं, आरोप ठोस हैं या हल्के हैं, गिरफ़्तारी लायक मामला है या नहीं, पुलिस ने जल्दबाज़ी की या नहीं, राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई हुई या नहीं, इस पर अदालत ही अंतिम फैसला दे सकती है और दे भी रही है। लेकिन एक नज़र डालते हैं कि बीते 17 महीने में 10 विधायकों की गिरफ़्तारी के बाद वो मामले कहां पहुंचे जिसमे ये गिरफ्तारियां हुई हैं...

1. त्री नगर विधायक जीतेंद्र सिंह तोमर - सबसे पहले जून 2015 में गिरफ्तार हुए त्री नगर के आप विधायक जीतेंद्र सिंह तोमर। कानून मंत्री हुआ करते थे, कानून की फ़र्ज़ी डिग्री रखने के आरोप में 9 जून 2015 को पुलिस ने घर से गिरफ्तार किया। पहले तो केजरीवाल अपने मंत्री के साथ खड़े रहे लेकिन गिरफ्तारी के बाद अपनी गलती मानी। करीब 44 दिन जेल में रहने के बाद तोमर को कोर्ट ने ज़मानत दी। लेकिन साल भर से ज़्यादा हो चुका है इस मामले में उसके बाद कुछ नहीं हुआ। ना कोई चार्जशीट ना कोई पेशी।

2. कोंडली विधायक मनोज कुमार - 9 जुलाई 2015 को कोंडली के विधायक मनोज कुमार गिरफ्तार हुए। मनोज पर आरोप था कि उन्होंने किसी दूसरे का प्लॉट बेचकर फर्जीवाड़ा किया। 11 दिन बाद कोर्ट ने ज़मानत दी। इस मामले को लगभग एक साल हो गया है। इस दौरान कोर्ट में दो तारीख लगी जिसमें एक में जज साहब नहीं आये। चार्जशीट हो गई है।

3. दिल्ली कैंट विधायक सुरेंदर सिंह - 21 अगस्त 2015 को दिल्ली कैंट के विधायक कमांडो सुरेंदर सिंह गिरफ़्तार हुए। आरोप था कि उन्होंने एनडीएमसी के दलित कर्मचारी के साथ मारपीट की। एक रात थाने में बिताने के बाद अगले दिन कोर्ट में पेशी हुई और कोर्ट ने ज़मानत दे दी। कोर्ट ने कहा कि पुलिस की कारवाई राजनीतिक बदले की भावना से की गई लगती है। इस मामले में 11 महीने बाद कुछ नहीं हुआ है।

4. मालवीय नगर विधायक सोमनाथ भारती - मालवीय नगर के विधायक सोमनाथ भारती पर उनकी पत्नी ने घरेलू हिंसा, जान से मारने की कोशिश का आरोप लगाया। कोर्ट ने सरेंडर के लिए कहा तो 29 सितंबर को सोमनाथ भारती ने सरेंडर किया और गिरफ्तार हुए। एक हफ्ते बाद 7 अक्टूबर को सोमनाथ को ज़मानत मिल गई। इस मामले में कोर्ट में सुनवाई चल रही है चार्जशीट हो गई है।

5. मॉडल टाउन के विधायक अखिलेश त्रिपाठी पर 2013 में एक प्रदर्शन के दौरान दंगा फैलाने का आरोप लगा। दिल्ली पुलिस ने 26 नवम्बर को गिरफ्तार किया और अगले ही दिन 27 नवम्बर को कोर्ट ने जमानत दे दी। कोर्ट ने पुलिस को फटकार लगाई कि आपने बिना आधार के आरोप क्यों लगाए? और अखिलेश पर लगे आरोप खारिज कर दिए। यही नहीं बाद में अखिलेश त्रिपाठी पर एक PWD के फ्लैट के गैर कानूनी इस्तेमाल का दबाव बनाने का आरोप लगा जिसको कोर्ट ने खारिज कर दिया।

6. विकासपुरी विधायक महेन्दर यादव - 29 जनवरी को विकासपुरी के विधायक महेन्दर यादव को पुलिस ने दंगा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। यादव अपने इलाके में एक 4 साल की बच्ची के रेप मामले में पुलिस की 'नाकाफी कारवाई' का विरोध करने समर्थकों के साथ प्रदर्शन करने पुलिस थाने गए थे। 24 घंटे के भीतर महेंद्र यादव को कोर्ट ने ज़मानत दे दी। 6 महीने बाद इस मामले में आगे कुछ नहीं हुआ है।

7. हरिनगर विधायक जगदीप - 29 मई को हरिनगर के विधायक जगदीप को कूड़ा डालने के विवाद में मारपीट करने के आरोप में पुलिस ने गिरफ़्तार कर लिया। करीब साढ़े सात घंटे बाद जगदीप को थाने से ही ज़मानत मिल गई। दो महीने बाद इस केस में कोई आगे बढ़ने की खबर नहीं।

8. संगम विहार विधायक दिनेश मोहनिया - देश के इतिहास में शायद पहली बार कोई विधायक इस तरह गिरफ़्तार हुआ होगा जैसे संगम विहार के विधायक दिनेश मोहनिया को किया गया। 25 जून को जब वो प्रेस कांफ्रेंस कर रहे थे तब एक महिला से छेड़खानी और बदसलूकी के आरोप में पुलिस ने कैमरे के सामने से उठा लिया। 4 दिन बाद कोर्ट ने जमानत दे दी। इसके बाद इस मामले कोई अपडेट नहीं है।

यानी कुल मिलाकर हिसाब किताब कुछ यूं है कि कुल 10 विधायक गिरफ्तार हुए जिनमें से 8 ज़मानत पर हैं, एक जेल में है और एक के खिलाफ केस ख़त्म हो चुका है। और जो 8 लोग ज़मानत पर हैं उनमें 5 के खिलाफ उनकी गिरफ़्तारी के बाद से केस आगे बढ़ा ही नहीं। जबकि केवल 2 मामलों में चार्जशीट दाखिल हुई है और एक विधायक तो अभी ज़मानत पर बाहर आया है।

सवाल उठना स्वाभाविक है कि ज़्यादातर मामलों में गिरफ़्तारी के बाद केस आगे बढ़ते क्यों नहीं दिखाई दे रहे? आम आदमी पार्टी आरोप लगाती है कि उसके विधायकों पर पुलिस और जांच एजेंसियां बहुत तेज़ी से कार्रवाई करती है लेकिन गिरफ़्तारी के बाद ये तेज़ी क्यों नहीं दिखाई दे रही है? क्या पुलिस सभी मामलों में ऐसे ही और इसी तरह कार्रवाई करती है? ये कुछ ऐसे सवाल हैं जो उठा तो आम आदमी पार्टी रही है लेकिन ये सवाल आम जनता के मन भी उठ रहे हैं।

शरद शर्मा एनडीटीवी में वरिष्‍ठ संवाददाता हैं।

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