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नल-चापाकल सब सूखे, 2 KM दूर चलकर कुएं से पानी निकाल रहीं महिलाएं; बिहार के इस इलाके में भीषण जलसंकट

गर्मी की शुरुआत के साथ ही बिहार के भी कई हिस्सों में पानी की भीषण किल्लत देखने को मिल रही है. महिलाएं कई किलोमीटर दूर से माथे पर पानी ढोकर ला रही हैं.

नल-चापाकल सब सूखे, 2 KM दूर चलकर कुएं से पानी निकाल रहीं महिलाएं; बिहार के इस इलाके में भीषण जलसंकट
माथे पर पानी ढोकर लाती महिलाएं.

गर्मी की शुरुआत के साथ ही कई जगहों से भीषण जल संकट की खबरें सामने आने लगी है. यूं तो बिहार कई नदियों वाला प्रदेश है. यहां बारिश के महीने में कई जिले बाढ़ की चपेट में रहते हैं. लेकिन गर्मी की शुरुआत के साथ ही बिहार के भी कई हिस्सों में पानी की भीषण किल्लत देखने को मिल रही है. बिहार के हर घर तक पेयजल की पहुंच सुनिश्चित करने के उद्देश्य से सरकार ने सात निश्चय योजना के तहत हर घर नल जल योजना चलाई थी. करोड़ों के खर्च के बाद बताया गया कि इस योजना से बिहार के लोगों की प्यास बुझ रही है. लेकिन अब जो तस्वीरें सामने आई है, वो नल-जल योजना की पोल भी खोल रही है. 

यह कहानी है बिहार के रोहतास जिले के कैमूर पहाड़ी के गांवों की. इन गांवों में पानी के लिए चापाकल, नल जल योजना के नल तो हैं, लेकिन इनसे पानी की एक बूंद तक नहीं निकल रही है. ऐसे में यहां के लोग 2 किमी दूर स्थित एक कुएं से पानी निकालकर अपनी प्यास बुझाने को विवश हैं. 

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रोहतास के कई गांवों में पानी के लिए भीषण मारामारी

दरअसल रोहतास प्रखंड के दर्जनों गांव में पानी के लिए मारामारी की स्थिति है. नल जल योजना का तमाम सिस्टम यहां फेल हो गया है और महिलाएं डेढ़ से 2 किलोमीटर दूर जाकर माथे पर पानी लेकर आ रही हैं. यह तस्वीर देखकर आपको ऐसा लगेगा कि हम कई दशक पीछे चले आए हैं. लेकिन यह आज की तस्वीर है. 

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बोरिंग पंप सेट में भी नहीं आ रहा पानी

तेज गर्मी के कारण तमाम जल स्रोत लगभग सूख गए हैं. पहाड़ पर लगाए गए बोरिंग पंप सेट में पानी नहीं आ रहा है. ऐसे में कहीं-कहीं पुराना कुआं ही सहारा बना है. लोग कुएं का पानी भरकर 2 किलोमीटर माथे पर तसला लेकर आ रहे है. तब जाकर घर का चूल्हा जलता है.  

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पिपरा हीड, रोहतास गढ़ पंचायत के गांवों में सबसे खराब हालत

पिपरा डीह, रोहतास गढ़ पंचायत के लोगों की समस्या सबसे अधिक है. सोलर सिस्टम से पंप सेट चलाने की व्यवस्था की गई थी. लेकिन अब वह सब भी खराब पड़ा है. ऐसे में रोहतास के बुधुआ, रेहल और औराई, कुप्पा, सोली आदि गांव की स्थिति काफी दयनीय है. 

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बैसाख में ये हाल, जेठ में क्या होगा?

इन गांवों में जल संकट की समस्या कितनी विकराल है, वो इन तस्वीरों को देखकर आप खुद समझ गए होंगे. लोगों का कहना है कि अभी बैसाख के महीने में यह हाल है, तो जेठ की गर्मी में क्या हालत होगी, यह समझ ही सकते हैं.

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