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बिहार : महिला कॉलेज को मिला पुरुष प्रिसिंपल, पटना विश्वविद्यालय में 'लॉटरी सिस्टम' से नियुक्तियों पर छिड़ा विवाद

बिहार में कॉलेजों की प्राचार्य नियुक्ति में पहली बार लॉटरी सिस्टम अपनाया गया है. यह नीति पारदर्शितापूर्ण तो है, लेकिन विषय-संगतता और योग्यता पर सवाल खड़े हुए हैं. विशेषकर शिक्षाविदों व चयनित उम्मीदवारों के बीच.

बिहार : महिला कॉलेज को मिला पुरुष प्रिसिंपल, पटना विश्वविद्यालय में 'लॉटरी सिस्टम' से नियुक्तियों पर छिड़ा विवाद
पटना:

बिहार की शिक्षा व्यवस्था फिर से चर्चा में है, इस बार पटना विश्वविद्यालय में प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए अपनाए गए लॉटरी सिस्टम के कारण. पांच कॉलेजों के प्राचार्यों का चयन लॉटरी के माध्यम से किया गया, जिस पर विवाद खड़ा हो गया है. इतिहास के शिक्षक नागेंद्र प्रसाद वर्मा को प्रिंसिपल बनाया गया है, जो एक मगध  महिला कॉलेज के लिए पुरुष प्रिंसिपल होने के कारण विवाद का कारण बना हुआ है.

बाद में राज्य के 13 विश्वविद्यालयों में कुल 116 पदों के लिए भी लॉटरी ड्रॉ का निर्णय लिया गया, जिसमें वेयर-रिकॉर्डिंग और कोड आधारित गुमनामी का भी प्रावधान था. पटना विश्वविद्यालय के पांच कॉलेजों- मगध महिला कॉलेज, पटना कॉलेज, पटना साइंस कॉलेज, वाणिज्य महाविद्यालय, पटना लॉ कॉलेज के प्राचार्य इस बार लॉटरी सिस्टम से चुने गए. ये नियुक्तियां बिहार राज्य विश्वविद्यालय सेवा आयोग द्वारा मेरिट और साक्षात्कार के आधार पर चयनित उम्मीदवारों में से लॉटरी के माध्यम से की गईं.

इन कॉलेज में नियुक्त प्राचार्य की लिस्ट

1.मगध महिला कॉलेज
नागेंद्र प्रसाद वर्मा (इतिहास, जे.पी. विश्वविद्यालय, छपरा)  

2. पटना कॉलेज
अनिल कुमार (रसायन विज्ञान, यूपी स्थित कॉलेज) 

3.पटना साइंस कॉलेज
अलका यादव (होम साइंस, महिला कॉलेज, हाजीपुर) — इस कॉलेज की पहली महिला प्राचार्य 

4.वाणिज्य महाविद्यालय
सुहेली मेहता (होम साइंस, Magadh Mahila College) 

5. पटना लॉ कॉलेज- योगेंद्र कुमार वर्मा

क्यों लाया गया लॉटरी सिस्टम?
राज्यपाल और कुलाधिपति अरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी, सिफारिश‑भ्रष्टाचार से बचाव होगा. नियुक्तियों पर पूर्व में गड़बड़ियों की आरोप लगने के कारण यह कदम उठाया गया है. प्रक्रिया तीन-सदस्य समिति (VC, रजिस्ट्रार व चांसलर प्रतिनिधि) की निगरानी में हुई.

  •     BSUSC ने मेरिट सूची 15 वर्षों के बाद फिर जारी की, जून 2025 में
  • राज्यपाल ने मई 2025 में लॉटरी प्रक्रिया लागू करने का आदेश दिया था
  • 2 जुलाई को लॉटरी निकाली गई और 3 जुलाई को नियुक्ति की पुष्टि हुई

शिक्षाविदों ने आपत्ति जताई कि लॉटरी से चयन से उम्मीदवारों की योग्यता और कॉलेज के विषयगत उपयुक्तता की अनदेखी होती है. उदाहरण स्वरूप, होम साइंस की प्रोफ़ेसर को कॉमर्स कॉलेज व रसायन विज्ञान के शिक्षक को कला कॉलेज देना जैसे फैसले विवादास्पद माने गए. सुहेली मेहता, जो टॉपर थीं. लेकिन लॉटरी से छोटे कॉलेज में चली गईं, उन्होंने ज्वाइनिंग से पहले पद छोड़ने की भी बात कहीं.

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