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क्या फिर डोल रहा है नीतीश का मन? बिहार में खरमास के बाद होगा बड़ा 'खेल'

28 जनवरी 2024 को नीतीश कुमार ने बड़ा राजनीतिक कदम उठाते हुए इंडिया ब्लॉक को छोड़कर एनडीए में शामिल होने का निर्णय लिया था. इसके साथ ही उन्होंने महागठबंधन सरकार को गिरा दिया और भाजपा के सहयोग से नई सरकार बनाने का दावा पेश किया. बिहार में सत्ता परिवर्तन को लेकर फिर से अटकलों का बाजार गर्म हो गया है.

क्या फिर डोल रहा है नीतीश का मन? बिहार में खरमास के बाद होगा बड़ा 'खेल'
लालू का एक बयान और सियासत में हलचल

बिहार की सियासत में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन की अटकलें तेज हो गई हैं. इस बार भी सबकी नजरें बिहार के CM नीतीश कुमार पर टिकी हुई हैं और राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि खरमास खत्म होते ही बिहार की राजनीति में कोई बड़ा मोड़ आ सकता है. नेताओं और विश्लेषकों का मानना है कि अगले कुछ दिनों में राज्य में कोई नई राजनीतिक दिशा देखने को मिल सकती है.

लालू का एक बयान और सियासत में हलचल
आरजेडी प्रमुख लालू यादव के एक बयान ने बिहार के सियासी माहौल में हलचल मचा दी है. हाल ही में, लालू यादव ने कहा था कि नीतीश कुमार के लिए उनके दरवाजे हमेशा खुले हैं और उन्हें भी अपने दरवाजे खुला रखना चाहिए. उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर नीतीश कुमार आते हैं, तो क्यों नहीं उनका साथ लिया जाएगा, हम उनका साथ भी लेंगे. इस बयान के बाद से बिहार की राजनीति में उत्सुकता और अटकलें तेज हो गई हैं. राजनीतिक दलों के बीच इस बात की चर्चा है कि बिहार में खरमास के बाद सत्ता में बड़ा परिवर्तन हो सकता है.

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नीतीश-तेजस्वी की तस्वीर के कई मायने
नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की एक तस्वीर ने बिहार की सियासत में नई चर्चाएं शुरू कर दी हैं. इस तस्वीर में सीएम नीतीश कुमार तेजस्वी यादव की ओर हाथ बढ़ाते हुए उनका हाथ पकड़ते हुए मुस्कुरा रहे हैं. वहीं, तेजस्वी यादव नीतीश कुमार का हाथ जोड़कर अभिवादन कर रहे हैं, जबकि नीतीश कुमार उन्हें सहारा देते हुए उनके कंधे को थपथपा रहे हैं. इस तस्वीर को लेकर बिहार की सियासी गलियारों में तरह-तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं और इसे सत्ता के नए समीकरणों से जोड़कर देखा जा रहा है.

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2024 में खरमास के बाद बदली थी बिहार की सियासत
28 जनवरी 2024 को नीतीश कुमार ने बड़ा राजनीतिक कदम उठाते हुए इंडिया ब्लॉक को छोड़कर एनडीए में शामिल होने का निर्णय लिया था. इसके साथ ही उन्होंने महागठबंधन सरकार को गिरा दिया और भाजपा के सहयोग से नई सरकार बनाने का दावा पेश किया. 14 जनवरी के बाद खरमास का समापन होता है और 2024 में बिहार की राजनीति में खरमास के बाद एक बड़ा बदलाव देखने को मिला. अब, इस घटनाक्रम के बाद बिहार में सत्ता परिवर्तन को लेकर फिर से अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. साल 2024 में खरमास 15 दिसंबर से शुरू होकर 14 जनवरी, 2025 को खत्म होगा.

अमित शाह का एक बायन और शुरू हुआ कयासों का दौर
बिहार विधानसभा चुनाव में मुश्किल से 7-8 महीने का समय बचा है. इस राजनीतिक चर्चा की शुरुआत तब हुई जब एक कॉन्क्लेव के दौरान गृह मंत्री अमित शाह से पूछा गया कि बिहार में बीजेपी की रणनीति क्या होगी और नेता कौन होगा? इस सवाल पर अमित शाह ने कहा कि इस पर फैसला बीजेपी का पार्लियामेंट बोर्ड करेगा. यह बयान चौंकाने वाला इसलिए था क्योंकि इससे पहले एनडीए और बीजेपी के नेता बार-बार यह कहते आए थे कि बिहार में एनडीए के नेता नीतीश कुमार ही रहेंगे. अमित शाह के इस बयान के बाद जेडीयू के नेताओं में संशय पैदा हो गया.

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'बिहार में बीजेपी की अपनी सरकार हो...'
इससे पहले जब देश भर में अटल बिहारी वाजपेयी का 100वां जन्मदिन मनाया जा रहा था, उस समय बिहार के उपमुख्यमंत्री विजय सिन्हा के एक बयान ने राजनीतिक हलचल मचा दी. विजय सिन्हा ने कहा कि बिहार में बीजेपी की अपनी सरकार हो, यह अटल बिहारी वाजपेयी का सपना था और इसे हम पूरा कर सकते हैं. इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में एक बार फिर से चर्चा तेज हो गई. हालांकि, बाद में विजय सिन्हा ने इस बयान पर स्पष्टीकरण दिया और कहा कि बिहार में नेतृत्व नीतीश कुमार के पास ही रहेगा. लेकिन उनके पहले बयान ने एनडीए गठबंधन और जेडीयू-बीजेपी के रिश्तों पर सवाल खड़े कर दिए.

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एनडीए से नीतीश का पुराना रिश्ता
नीतीश कुमार और बीजेपी का रिश्ता अटल बिहारी वाजपेयी के जमाने से ही काफी पुराना है. 1998 में एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) की स्थापना के समय से ही यह गठबंधन अस्तित्व में है. उस समय जेडीयू, जो पहले समता पार्टी के नाम से जानी जाती थी, बीजेपी के साथ गठबंधन में थी. जॉर्ज फर्नांडिस को एनडीए का संयोजक भी बनाया गया था.

कम सीटें, फिर भी CM बनें नीतीश
पिछले विधानसभा चुनाव के नतीजों पर नजर डालें तो जेडीयू (जनता दल यूनाइटेड) ने बीजेपी से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा था, लेकिन उसे भारी नुकसान उठाना पड़ा. जेडीयू को काफी कम सीटें मिली थीं, जबकि बीजेपी का प्रदर्शन काफी बेहतर रहा था. बीजेपी का स्ट्राइक रेट हमेशा की तरह शानदार रहा और वह नंबर दो की पार्टी बनकर उभरी थी. पिछले चुनाव के नतीजों के बावजूद, बीजेपी ने कम सीटें जीतने के बाद भी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री पद देने का निर्णय लिया था. यह निर्णय एनडीए गठबंधन की मजबूती और बीजेपी-जेडीयू के रिश्तों की गहराई को दर्शाता था. लेकिन अब चर्चाएं इसलिए तेज हो रही हैं क्योंकि महाराष्ट्र में हाल ही में कुछ ऐसा हुआ, जिसने बिहार की राजनीति में संभावनाओं को जन्म दिया है.

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