
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में इस बार जो सबसे दिलचस्प ट्रेंड उभरकर सामने आया है, वह है बगावत की राजनीति यानि टिकट कटने के बाद भी हार न मानने वाले नेता! बड़े दलों ने अंतिम समय में अपने ही कद्दावर चेहरों को किनारे किया लेकिन ये नेता टिकट कटने के दर्द को जनसमर्थन की ताकत में बदलते हुए अब निडर होकर निर्दलीय ही मैदान में उतर चुके हैं. इनमें से कई ऐसे हैं जो पहले से ही विधायक रह चुके हैं तो कईओं की पहचान अपने इलाके के "मसीहा" के रूप में है. आइए ! जानें सबसे चर्चित 6 बागी दावेदारों के बारे में जो इस बार बिहार की चुनावी तस्वीर बदलने का दम रखते हैं.
गोपाल मंडल ग़ुस्से में नहीं, जनसमर्थन में उबलता तज़ुर्बा
गोपालपुर से निर्दलीय मैदान में उतरे हैं. पहले जेडीयू के टिकट पर इसी सीट से जीते थे. चार बार के विधायक और विवादों के बाद भी ज़मीन से जुड़े नेता,गोपाल मंडल को जेडीयू ने इस बार टिकट नहीं दिया. टिकट मिला बुलो मंडल को और यहीं से मंडल जी की बगावत का बिगुल बजा. अब वही गोपाल मंडल जनता की अदालत में निर्दलीय लड़ाई लड़ रहे हैं.उनकी लाइन में कहें तो पार्टी का टिकट छिन गया, जनता के दिल से भरोसा नहीं. यह चुनाव उनका है और फैसला भी वही देंगे.
रितु जायसवाल, महिला शक्ति की ‘निर्दलीय दास्तान'
ग्राम पंचायत से राजनीति की शुरुआत कर लोकप्रियता हासिल करने वाली रितु जायसवाल को RJD ने किनारे कर दिया और टिकट दे दिया गया 'पारिवारिक कनेक्शन' वाली स्मिता पोरबे को. रितु ने इसे अन्याय मानते हुए सीधे जनता में उतरने का फैसला किया. वे इस चुनाव की सबसे मज़बूत महिला निर्दलीय उम्मीदवार मानी जा रही हैं. वो सीतामढ़ी के परिहार सीट से मैदान में हैं. पहले उन्हें आरजेडी ने टिकट दिया था.
मोहम्मद अफ़ाक आलम – कांग्रेस का तिहरा MLA अब आज़ाद मैदान में
तीन बार के विधायक और कद्दावर नेता अफ़ाक आलम का टिकट कांग्रेस ने छीनकर मोहम्मद इरफ़ान आलम को दे दिया. परिणाम? पूर्णिया में कांग्रेस को अब अपने ही घर में बगावती तूफ़ान का सामना करना पड़ रहा है. अफ़ाक का असर कमज़ोर नहीं,वे उत्पन्न कर सकते हैं तीन-तरफ़ा मुकाबला. वो पूर्णिया के कसबा से मैदान में है. वो पहले कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं.
सरोज यादव – RJD के ‘घर के रण' में सबसे बड़ा विद्रोह
एक समय तेजस्वी यादव के नज़दीकी माने जाने वाले सरोज यादव को इस बार RJD ने टिकट नहीं दिया. टिकट गया रामबाबू सिंह को और यहीं से पनपा सबसे बड़ा लालू परिवार विरोध! सरोज यादव ने पार्टी के सभी पद छोड़कर जनता से सीधी अपील की“नेता बदल गया लेकिन आपका बेटा वहीं है. वो भोजपुर के बरहरा से मैदान में हैं. पहले वो आरजेडी की टिकट पर चुनाव लड़ चुके हैं.
सुदर्शन कुमार – दो दल बदले, टिकट कटा तो आज़ाद हो गए
सीट: बरबीघा (शेखपुरा) | पूर्व दल: JDU (पहले कांग्रेस)
विकास के मुद्दों पर पहचान बनाने वाले सुदर्शन कुमार को भी JD(U) ने किनारे कर दिया. उनका टिकट अंतिम समय में कुमार पुष्पांजय को दे दिया गया. अब सुदर्शन कुमार इस सीट पर जेडीयू के लिए सबसे बड़ी टेंशन बने हुए हैं.
जय कुमार सिंह – मंत्री से बागी बनने की कहानी
सीट: दिनारा (रोहतास) | पूर्व दल: JDU
पूर्व मंत्री और प्रभावशाली राजपूत नेता जय कुमार सिंह का टिकट भी NDA के सीट-बॅंटवारे में कट गया. सीट उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी RLM को दे दी गई, पर जय कुमार सिंह ने हार नहीं मानी. जनता की रैली में उमड़ी भीड़ देखकर समझ आता है कि मुकाबला आसान होने वाला नहीं है.
टिकट कटने के बाद भी नहीं रुके ये नेता,अब जनता ही इनकी पार्टी है और जनता ही हाईकमान! इन बागी उम्मीदवारों की एंट्री ने कई सीटों पर मुकाबले को रोमांचक बना दिया है. बड़ी पार्टियां चाहे जो दावा करें, लेकिन इस बार साफ है,चुनाव 2025 में *निर्दलीय फैक्टर* खेल पलट सकता है.
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