- पटना में वोटर लिस्ट सत्यापन के मुद्दे पर महागठबंधन के विरोध मार्च में पप्पू यादव को राहुल गांधी और तेजस्वी की गाड़ी में चढ़ने नहीं दिया गया.
- पप्पू यादव बीजेपी के साथ नहीं जा सकते क्योंकि इससे उनके मुस्लिम वोटर नाराज हो जाएंगे और उनकी राजनीतिक जमीन कमजोर होगी.
- पप्पू यादव आरजेडी में शामिल नहीं हो सकते क्योंकि उनके लालू यादव के साथ अच्छे रिश्ते नहीं हैं और वहां तेजस्वी को तवज्जो दी जाती है.
बडे़ बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले. बिहार की सियासत में पप्पू यादव के लिए यह बात सही नहीं है. पटना में वोटर लिस्ट सत्यापन के मुद्दे पर महागठबंधन के विरोध मार्च में पप्पू बेआबरू हो गए. राहुल गांधी और तेजस्वी यादव की गाड़ी में उनको चढ़ने तक नहीं दिया गया. इसका वीडियो बिहार ही नहीं, पूरी दुनिया ने देखा. लेकिन पप्पू यादव इसे अपमान नहीं मानते.
NDTV इंडिया के इंटरव्यू में जब राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव से इस बारे में सवाल किया गया तो उनका कहना था कि सुकरात को भी जहर दिया गया था. शिव ने भी विष पिया था. उन्होंने कहा कि राहुल गांधी हमारे नेता हैं. मेरा उनके प्रति सम्मान है. वह सच्चाई के लिए लड़ते हैं. जानिए क्या हैं वो पांच वजहें, जिनकी वजह से बिहार की सियासत में विष पीकर भी पप्पू यादव 'शिव' क्यों बने हुए हैं? उनकी ऐसी क्या मजबूरियां हैं, जो कथित अपमान का कड़वा घूंट भी चुपचाप पी रहे हैं?
- इसकी पहली वजह तो यह कही जा सकती है कि फिलहाल बिहार की राजनीति में पप्पू यादव के पास विकल्प नहीं हैं. बिहार की मौजूदा सियायत जिस धुरी पर घूम रही है, उसमें उनके लिए जगह सीमित है.
- पप्पू यादव की मुश्किल ये है कि वो भारतीय जनता पार्टी के साथ जा नहीं सकते हैं. अगर वो ऐसा करते हैं तो उनके मुस्लिम वोटर नाराज हो जाएंगे. अगर ऐसा किया तो उनकी राजनीति की पूरी जमीन ही हिल जाएगी.
- पप्पू यादव की एक मजबूरी ये भी है कि वो आरजेडी में नहीं जा सकते हैं. लालू यादव के साथ उनके रिश्ते अच्छे नहीं हैं. लालू यादव के लिए तेजस्वी का हित सबसे ऊपर होगा, और वो तेजस्वी के सामने पप्पू यादव को क्यों खड़ा करेंगे.
- जन अधिकार पार्टी के नेता पप्पू यादव की सियासी मजबूरियां इस कदर जकड़ गई हैं कि वो प्रशांत किशोर के पास भी नहीं जा सकते हैं. वजह ये कि पूर्णिया से बीजेपी के पूर्व सांसद उदय सिंह उर्फ पप्पू सिंह को जन सुराज पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बना दिया गया है.
- इस तरह देखा जाए तो बिहार की सियासत में फिलहाल पप्पू यादव अकेले नजर आ रहे हैं. उन्होंने पहला चुनाव निर्दलीय लड़ा था. आज भी वह उसी धरातल पर खड़े दिख रहे हैं.
पूर्णिया के निर्दलीय सांसद पप्पू यादव अपनी 10 साल पुरानी जन अधिकार पार्टी का कुछ महीने पहले कांग्रेस में विलय कर चुके हैं. पप्पू यहां तक कह चुके हैं कि उनकी शवयात्रा कांग्रेस के झंडे में ही निकलेगी. ऐसे में राहुल गांधी जब बिहार बंद के दौरान पटना आए तो पप्पू यादव उनसे तीन किलोमीटर दूर हाथ में कांग्रेस का झंडा लिए सचिवालय हॉल्ट पर ट्रेन रोकते नजर आए. साफ है कि कांग्रेस उनके लिए मजबूरी बन चुकी है.
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