बिहार में चुनाव के दौरान की तस्वीर...
पटना:
अगर यकीन नहीं आता तो आप नौजवान पीढ़ी से बात करके देख लें, बदले हुए बिहार की आवाज सुनाई पड़ जाएगी। 'अगर कोई मुस्लिम उम्मीदवार है, लेकिन अगर अच्छा काम करेगा तो मैं उसे वोट दूंगा', यह कहना है अमन का, जो पटना साइंस कॉलेज में पढ़ते हैं।
हमने पोस्ट मंडल पीढ़ी के कई नौजवानों से बात की। उन सबकी एक ही राय थी कि जितने भी चुनावों में उम्मीदवार हैं, उनमे से आम जनता की भलाई कोई नहीं चाहता। जात-धर्म इन सबके लिए कोई मायने नहीं रखता।
"मैं अनुसूचित जाति का हुं, लेकिन कहता हुं कि आरक्षण जात के आधार पर नहीं, बल्कि आर्थिक आधार पर होना चाहिए। रितेश जो zoology पढ़ते हैं, उनका कहना है कि आज के बिहार में 58 फीसदी आबादी अभी 25 साल से नीचे की है और वह हर चीज को लेकर नया नजरिया रखती है।
ज्यादतर नौजवानों को राजनीतिक पार्टियों के वादे से कुछ लेना-देना नहीं है। उन्हें चुनावी स्कूटर या साइकिल नहीं लुभाते। वे कहते हैं कि सब खुद खरीद लेंगे। सरकार कोई भी हो शिक्षा का स्तर और बिहार को बेहतर बनाने की जरूरत है। रोजगार के मौके मिलने चाहिए। ज्यादातर नौजवानों की शिकायत है कि पढ़ाई के लिए उन्हें लोन बहुत महंगा मिलता है। उसकी दर कम करने की जरूरत है।
अंकित ने बताया कि हमें लोन 14 फीसदी की दर पर मिलता है। इसे हम कैसे अदा करेंगे। उनके मुताबिक, राजनीतिक पार्टियों को बीफ से बहस छोड़कर यह बताना चाहिए कि उन जैसे बच्चों के लिए वे क्या कर रहे हैं?
बिहार के शिक्षा के स्तर को लेकर यह युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा चिंतित है। स्कूल-कॉलेज सभी का स्तर खराब है। बीरेंद्र कुमार की शिकायत है कि आज हमारे यहां टीचिंग स्टाफ कम है, नॉन टीचिंग स्टाफ ज्यादा है। टीचर पूरा कुछ पढ़ा ही नहीं पाते।
यह 1990 के बाद की पीढ़ी है, जिनके लिए जाति कोई आधार नहीं, इनकी प्राथमिकताएं साफ हैं। 2005 का चुनाव लालू के जंगलराज के खिलाफ था तो 2010 में नीतीश को विकास के नाम पर एक और मौका मिला। 2014 में मोदी की लहर चली पर इस बार किसकी सरकार होगी। रितेश का कहना है कि सब ठगते हैं। ज्यादा टिकट बाहूबलियों को मिले, दागियों को मिले, कोई युवा, किसान या जो मुद्दे आम जनता के लिए अहम हैं, उन पर बात नहीं कर रहा।
शाहनवाज जूलॉजी की तीसरे साल की पढ़ाई कर रहे हैं। उनका कहना है कि आरक्षण को खत्म कर देना चाहिए। आरक्षण पूरी तरह से आर्थिक रूप से जो कमजोर हैं, उन्हें मिलना चाहिए। महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा भी अहम है। नीतू का कहना है कि सब कहते हैं, नौजवान पीढ़ी, लेकिन इस पीढ़ी के लिए कुछ तो करो। लड़कियों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
परवेज ने कहा कि ये हिन्दू-मुस्लिम क्या है, हम सब एक हैं, उम्मीद करें कि ये पीढ़ी राजनीति में बदलाव लाने में कामयाब रहेगी।
हमने पोस्ट मंडल पीढ़ी के कई नौजवानों से बात की। उन सबकी एक ही राय थी कि जितने भी चुनावों में उम्मीदवार हैं, उनमे से आम जनता की भलाई कोई नहीं चाहता। जात-धर्म इन सबके लिए कोई मायने नहीं रखता।
"मैं अनुसूचित जाति का हुं, लेकिन कहता हुं कि आरक्षण जात के आधार पर नहीं, बल्कि आर्थिक आधार पर होना चाहिए। रितेश जो zoology पढ़ते हैं, उनका कहना है कि आज के बिहार में 58 फीसदी आबादी अभी 25 साल से नीचे की है और वह हर चीज को लेकर नया नजरिया रखती है।
ज्यादतर नौजवानों को राजनीतिक पार्टियों के वादे से कुछ लेना-देना नहीं है। उन्हें चुनावी स्कूटर या साइकिल नहीं लुभाते। वे कहते हैं कि सब खुद खरीद लेंगे। सरकार कोई भी हो शिक्षा का स्तर और बिहार को बेहतर बनाने की जरूरत है। रोजगार के मौके मिलने चाहिए। ज्यादातर नौजवानों की शिकायत है कि पढ़ाई के लिए उन्हें लोन बहुत महंगा मिलता है। उसकी दर कम करने की जरूरत है।
अंकित ने बताया कि हमें लोन 14 फीसदी की दर पर मिलता है। इसे हम कैसे अदा करेंगे। उनके मुताबिक, राजनीतिक पार्टियों को बीफ से बहस छोड़कर यह बताना चाहिए कि उन जैसे बच्चों के लिए वे क्या कर रहे हैं?
बिहार के शिक्षा के स्तर को लेकर यह युवा पीढ़ी सबसे ज्यादा चिंतित है। स्कूल-कॉलेज सभी का स्तर खराब है। बीरेंद्र कुमार की शिकायत है कि आज हमारे यहां टीचिंग स्टाफ कम है, नॉन टीचिंग स्टाफ ज्यादा है। टीचर पूरा कुछ पढ़ा ही नहीं पाते।
यह 1990 के बाद की पीढ़ी है, जिनके लिए जाति कोई आधार नहीं, इनकी प्राथमिकताएं साफ हैं। 2005 का चुनाव लालू के जंगलराज के खिलाफ था तो 2010 में नीतीश को विकास के नाम पर एक और मौका मिला। 2014 में मोदी की लहर चली पर इस बार किसकी सरकार होगी। रितेश का कहना है कि सब ठगते हैं। ज्यादा टिकट बाहूबलियों को मिले, दागियों को मिले, कोई युवा, किसान या जो मुद्दे आम जनता के लिए अहम हैं, उन पर बात नहीं कर रहा।
शाहनवाज जूलॉजी की तीसरे साल की पढ़ाई कर रहे हैं। उनका कहना है कि आरक्षण को खत्म कर देना चाहिए। आरक्षण पूरी तरह से आर्थिक रूप से जो कमजोर हैं, उन्हें मिलना चाहिए। महिलाओं की सुरक्षा का मुद्दा भी अहम है। नीतू का कहना है कि सब कहते हैं, नौजवान पीढ़ी, लेकिन इस पीढ़ी के लिए कुछ तो करो। लड़कियों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए जाने चाहिए।
परवेज ने कहा कि ये हिन्दू-मुस्लिम क्या है, हम सब एक हैं, उम्मीद करें कि ये पीढ़ी राजनीति में बदलाव लाने में कामयाब रहेगी।
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