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This Article is From Oct 06, 2015

जमुई : यहां दुश्मन से ज्यादा दोस्त पड़ेंगे भारी, बीजेपी-एलजेपी आमने-सामने

जमुई : यहां दुश्मन से ज्यादा दोस्त पड़ेंगे भारी, बीजेपी-एलजेपी आमने-सामने
जमुई: जमुई की लड़ाई बेहद दिलचस्प होने जा रही है। एनडीए के घटक बीजेपी और एलजेपी बिहार में भी मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं, लेकिन जमुई में दोनों ने एक-दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार खड़े किए हैं।

जब एनडीटीवी इंडिया की टीम जमुई पहुंची तो जमुई में बीजेपी दफ़्तर के बाहर विश्वजीत सिंह मिले। विश्वजीत जमुई में घूम-घूमकर और गाने गाकर बीजेपी के लिए वोट मांग रहे हैं। उनके गाने के बोल भी काफी दिलचस्प थे - 'मोदी कब दूर बिहार से, मोदी कब दूर पटना से, ये बंधन तो एनडीए का बंधन है, मोदी का संगम है। नेता के मंदिर की है तू मोदी प्यारी मूरत, भगवान नजर आता है जब देखें तेरी सूरत।'

विश्वजीत ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा, 'मैं गाने भी लिखता हूं। आजकल बीजेपी के लिए प्रचार कर रहा हूं', विश्वजीत ने बताया कि उनके हर गाने पर लोग भी काफी उतसहित दिख रहे हैं। जब विश्वजीत हमें गाना सुना रहे थे, तभी वहां इलाके के विधायक अजय प्रताप सिंह भी पजेरो गाड़ी में पार्टी के दफ्तर पहुंच गए।

अजय प्रताप पहले JDU में थे। अब जीतन राम मांझी की पार्टी HUM का हिस्सा हैं, लेकिन BJP के टिकट पर चुनावी मैदान में हैं। उनका कहना है जमुई में मुद्दा विकास है - 'जमुई की लड़ाई हमेशा दिलचस्प रही है। यहां सबका इक्वेशन फ़ेल हो जाता है। लोग मोदी को जानते हैं, इसीलिए वोट हमें ही देंगे'।

हालांकि जब उनसे पूछा गया कि बीजेपी वाले उन्हें नहीं चाहते तो उन्होंने कहा ऐसा नहीं है। लेकिन वे इस बात पर भी कुछ सफाई नहीं दे पाए कि एलजेपी ने आखिर क्यों उनके खिलाफ अपना उमीदवार खड़ा किया, जबकि एलजेपी-बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है।

लेकिन अजय प्रताप ने एक बात साफ कर दी कि जमुई की चार सीटों पर लड़ाई महागठबंधन और एनडीए में ही नहीं, बीजेपी और एलजेपी में भी है। अजय प्रताप सिंह को इलाक़े के 20 फीसदी राजपूत वोटों से उम्मीद है। इनके अलावा 10 फीसदी मुस्लिम हैं, करीब 15 फीसदी बनिया और 10 फीसदी भूमिहार। हालांकि बात लोग सत्ता और विकास की कर रहे हैं। दरअसल एलजेपी ने भी अपना उम्मीदवार जमुई से निर्दलीय के तौर पर खड़ा किया है, आखिर ऐसा क्यों, ये समझने के लिए एलजेपी के उमीदवार अनिल सिंह से भी हमने बात की।

उन्होंने कहा, 'ऐसा है कि एनडीए गठबंधन ने चकई में हमारे उमीदवार विजय कुमार के खिलाफ नरेंदर सिंह के बेटे को चुनाव लड़ाया। इसलिए अब मैं एलजेपी का प्रदेश महासचिव उनके विरोध में जमुई से निर्दलीय के रूप में मैदान में हूं। उन्होंने बताया दरअसल लड़ाई मौजूदा सांसद चिराग पासवान और नरेंदर सिंह के बीच की है।

चिराग नहीं चाहते थे कि नरेंदर सिंह के बेटों को टिकट मिले, लेकिन बीजेपी ने टिकट दे दिया। अनिल सिंह ने खुले आम बिगुल बजाते हुए कहा, 'गड़बड़ है तो ऊपर के लोगों को सोचना चाहिए, जनता स्वीकार नहीं करेगी, जब रिजल्ट आएगा तब समझ में आएगा कि जमुई की लड़ाई क्या है।'

उधर आरजेडी को दोनों की लड़ाई रास आ रही है। आरजेडी महासचिव गोपाल प्रसाद गुप्ता का कहना है कि ये छुटका और बड़का का लड़ाई है। दरअसल जमुई नक्सल प्रभावित इलाकों में आता है, बिजली की समस्या यहां सबसे बड़ी समस्या है।

एक नजर में जमुई में
  • 1126 बूथ हैं।
  • 1000 से ज्यादा क्रिटिकल की श्रेणी में आतें हैं।
  • यहां औसतन 50 फीसदी वोट पड़ते हैं।

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