प्रियदर्शन
-
हिंदी दिवस विशेष: हिंदी तेरे कितने रूप
एक और हिंदी का चलन इन दिनों मीडिया में बढ़ा है जिसमें अंग्रेज़ी शब्दों के इस्तेमाल पर ज़ोर है. यह हिंदी लेकिन अमूमन बहुत सपाट और स्मृतिविहीन जान पड़ती है.
- सितंबर 14, 2025 15:20 pm IST
- Written by: प्रियदर्शन
-
देवेन्द्र राज अंकुर को मिलेगा 'कारवां-ए-हबीब सम्मान' 2025
समिति ने बहुमत से इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिये देवेन्द्र राज अंकुर जी के नाम का चयन किया. 'कारवां-ए-हबीब' सम्मान की सलाहकार समिति के सदस्यों सुप्रसिद्ध साहित्यकार और नाटककार असग़र वजाहत, वरिष्ठ साहित्यकार उदयप्रकाश, वरिष्ठ रंग-निर्देशक, अभिनेता और रा. ना. वि. के पूर्व निदेशक रामगोपाल बजाज ने सर्वसम्मति से इस प्रतिष्ठित सम्मान के लिये देवेन्द्र राज अंकुर जी के नाम का अनुमोदन किया.
- सितंबर 08, 2025 17:24 pm IST
- Reported by: प्रियदर्शन
-
अब हिंदी में आई यह दलित-कथा ज़रूर देखी जानी चाहिए
'धड़क 2' को देखना भारत में जातिगत उत्पीड़न के उन प्रत्यक्ष और परोक्ष अनुभवों से आंख मिलाना है, जिसे वृहत्तर भारतीय समाज पहचानने से भी इनकार करता है- यह कहता हुआ कि यह तो किसी पुराने ज़माने या पिछड़े इलाक़े की बात लगती है.
- अगस्त 04, 2025 22:57 pm IST
- प्रियदर्शन
-
World Emoji day: क्या एक दिन शब्दों को बेदखल कर देंगे इमोजी?
क्या धीरे-धीरे इमोज़ी ही हमारी भाषा बनती चली जाएगी? उसका अपना व्याकरण स्थिर हो जाएगा? क्या हम अक्षरों और शब्दों की दुनिया को पीछे छोड़ मुद्राओं और तस्वीरों से अपनी नई भाषा बनाएंगे?अभी यह बहुत दूर का सवाल है, लेकिन ताज़ा सच्चाई यह है कि अपने डिजिटल संवाद में हम लगातार इमोजी-निर्भर होते जा रहे हैं.
- जुलाई 17, 2025 08:00 am IST
- Reported by: प्रियदर्शन, Edited by: मनोज शर्मा
-
टेनिस खेलती, गोली खाती लड़की
कात्यायनी की कविता में वह शुक्रवार का दिन था. लेकिन इक्कीसवीं सदी के तीसरे दशक में टेनिस खेलने और सबको सिखाने का सपना देख रही राधिका यादव के जीवन में शुक्रवार नहीं आया.
- जुलाई 12, 2025 14:18 pm IST
- Written by: प्रियदर्शन
-
पूर्णिया का डायन कांड... और रेणु की 'परती परिकथा', जहां परती बढ़ी, परिकथा बदल गई...
लेकिन क्या पूर्णिया में सोमवार को जो कुछ हुआ, उसे रेणु की ग्राम कथा से जोड़ा जा सकता है? निश्चय ही नहीं. बस यह घटना यही बताती है कि हमारे समाज में पुरानी विकृतियां और अंधविश्वास किस तरह अब भी बने हुए हैं...
- जुलाई 08, 2025 22:43 pm IST
- Written by: प्रियदर्शन
-
रोशनी और अंधेरे के बीच गुरु दत्त
'साहब बीवी और गुलाम' का वह बहुचर्चित दृश्य बार-बार याद आता है जिसमें छोटी बहू अपने हाथ के झटके से गुरु दत्त को निकलने का आदेश देती है और कैमरा इस तरह छिटक कर दूर चला जाता है जैसे वह डर कर पीछे हट गया हो.
- जुलाई 10, 2025 16:23 pm IST
- Written by: प्रियदर्शन, Edited by: आनंद कश्यप
-
‘सैटेनिक वर्सेज़’ पर नहीं चलेगी पाबंदी - किसी भी रचना पर नहीं चलती
उम्मीद करनी चाहिए कि इस बार सलमान रुश्दी की किताब पर नए सिरे से पाबंदी नहीं लगेगी. हमारा समाज और हमारी सरकारें अब यह सयानापन दिखाती हैं कि जो भी पाबंदी हो, वह अलिखित हो, अदृश्य हो. ऐसी कई पाबंदियों का दबाव हमारे लेखक और संस्कृतिकर्मी महसूस करते रहे हैं.
- दिसंबर 26, 2024 19:51 pm IST
- प्रियदर्शन
-
श्याम बेनेगल: प्रतिरोध का सिनेमा बनाने वाले फिल्मकार
Shyam Benegal: 1973 में अंकुर जैसी फिल्म आई तो दर्शकों ने पहली बार देखा कि सिनेमा भी इस तरह भी बन सकता है- ज़िंदगी के इतने करीब- सच को सच की तरह कहने वाला.
- दिसंबर 24, 2024 20:00 pm IST
- Written by: प्रियदर्शन
-
अलविदा कॉमरेड: टूट गया मार्क्सवादी आंदोलन का एक और सितारा, सीताराम येचुरी का निधन
1992 में सीताराम येचुरी सीपीएम की पोलित ब्यूरो में चुने गए. 2015 में सीपीएम के महासचिव चुने गए 2018 और 2022 में उन्हें दूसरी और तीसरी बार सीपीएम के इस सर्वोच्च पद के लिए चुना गया.
- सितंबर 12, 2024 22:36 pm IST
- Written by: प्रियदर्शन
-
प्रिया वर्मा को कविता संग्रह 'स्वप्न से बाहर पांव' के लिए मिला 2024 का भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार
उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में जन्मी प्रिया वर्मा अंग्रेजी साहित्य में स्नातकोत्तर हैं और पिछले 14 वर्ष से अध्यापन कर रही हैं. उनका संग्रह रज़ा फ़ाउण्डेशन से प्रकाशित है.
- अगस्त 02, 2024 20:15 pm IST
- Reported by: प्रियदर्शन, Edited by: बिक्रम कुमार सिंह
-
एक ख़त कमाल के नाम
कमाल साहब, हम दोनों को जो चीज़ जोड़ती थी, वह भाषा भी थी- लफ़्ज़ों के मानी में हमारा भरोसा, शब्दों की नई-नई रंगत खोजने की हमारी कोशिश और अदब की दरबानी का हमारा जज़्बा. पत्रकारिता के सतहीपन ने आपको भी दुखी किया और मुझे भी.
- जनवरी 13, 2023 20:56 pm IST
- प्रियदर्शन
-
सूर्य कुमार यादव की जाति के बहाने
बेशक, यह स्थिति भी स्थायी नहीं रहेगी. सूर्य कुमार यादव या ऐसे दूसरे खिलाड़ियों का उदय बता रहा है कि पुरानी शक्ति-संरचनाएं टूट रही हैं और नई सामाजिक शक्तियां अपनी आर्थिक हैसियत के साथ अपना हिस्सा मांग और वसूल रही हैं. यह स्थिति सिर्फ किसी खेल में नहीं, हर क्षेत्र में देखी जा सकती है.
- जनवरी 12, 2023 21:54 pm IST
- प्रियदर्शन
-
अब एक और हिंदी दिवस आ गया!
दिलचस्प यह है कि एक तरफ़ हिंदी के मसाले में रेत की यह मिलावट जारी है और दूसरी ओर शुद्धतावाद और पवित्रतावाद का प्रपंच भी चल रहा है.
- जनवरी 10, 2023 21:21 pm IST
- प्रियदर्शन
-
अब विदेशी विश्वविद्यालयों से भी लीजिए ज्ञान!
उच्च शिक्षा के निजीकरण के बाद उसके भूमंडलीकरण की इस कोशिश के कुछ निहितार्थ तो स्पष्ट हैं. उच्च शिक्षा अब ग़रीबों की हैसियत से बाहर होने जा रही है. क्योंकि वे जिन सरकारी स्कूलों, कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में पढ़ाई करते हैं, वे धीरे-धीरे आर्थिक और बौद्धिक रूप से विपन्न बनाए जा रहे हैं. यह सच है कि भारत के विश्वविद्यालय कभी भी बहुत साधन-संपन्न नहीं रहे.
- जनवरी 06, 2023 21:12 pm IST
- प्रियदर्शन