विज्ञापन
This Article is From Nov 23, 2018

मध्य प्रदेश चुनाव: बसपा से हाथ न मिला 2013 की गलती कांग्रेस ने फिर दोहराई? ऐसे समझें आंकड़ों का खेल

मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर 28 नवंबर को मतदान होगा.

मध्य प्रदेश चुनाव: बसपा से हाथ न मिला 2013 की गलती कांग्रेस ने फिर दोहराई? ऐसे समझें आंकड़ों का खेल
बसपा प्रमुख मायावती.
नई दिल्ली: पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश का चुनाव (Madhya Pradesh assembly elections 2018) काफी रोचक होने वाला है. कांग्रेस राज्य में पिछले तीन बार से सत्ता में काबिज भाजपा का किला ध्वस्त करने की कोशिश में लगी हैं, वहीं शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर बहुमत पाने के लिए जोर-शोर से लगे हुए हैं. कांग्रेस का कहना कि राज्य में सत्ता विरोधी लहर है, क्योंकि शिवराज सरकार नई नौकरियां पैदा करने, किसानों की स्थिति में सुधार करने और बेहतर कानून व्यवस्था बनाने में नाकाम रही है. वहीं भाजपा का दावा है कि वह दोबारा बहुमत हासिल करेगी. इन विधानसभा चुनाव को लोकसभा चुनाव के सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है. इनसे पार्टियों की ताकत का अंदाजा लग जाएगा.

मध्य प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस अलग-अलग चुनाव में उतरी हैं. पहले दोनों के साथ आने की काफी संभावना जताई जा रही थी, लेकिन दोनों में गठबंधन नहीं हो पाया. एनडीटीवी के प्रणव रॉय के चुनावी विश्लेषण के मुताबिक अगर दोनों पार्टियां साथ आ जाती तो चुनाव के परिणामों पर इसका असर देखने को मिलता. कांग्रेस ने साल 2013 के विधानसभा चुनाव में भी बसपा से हाथ नहीं मिलाने की गलती की थी. विश्लेषण में बताया गया है कि अगर साल 2013 के विधानसभा चुनाव में बसपा और कांग्रेस एक साथ आ जाती तो उन्हें 41 सीटें और मिल सकती थीं. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस वहीं पुरानी गलती फिर दोहरा रही है?

खत्म होगा MP में कांग्रेस का वनवास? ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बताया कैसे 2013 से अलग है 2018 की राह

आंकड़ों के मुताबिक बसपा को पिछले करीब 20 साल से एमपी में 6 से 9 फीसद के बीच ही वोट मिल रहे हैं. स्विंग फैक्टर कांग्रेस की मदद कर सकता है. साल 2013 के चुनाव के आंकड़ें देखें तो कांग्रेस केवल 5 फीसदी वोट स्विंग की मदद से विधानसभा चुनाव जीत सकती थी. कांग्रेस को साल 2013 में 230 सीटों में से 58 सीटें मिली थी. अगर वह बसपा के साथ चुनाव लड़ती तो बसपा का वोट शेयर भी कांग्रेस के हिस्से में आ जाता. कांग्रेस को पांच फीसद वोट और मिलते तो उसके हिस्से में 117 सीटें जा सकती थीं और भाजपा 108 सीटों पर सिमट जातीं. वहीं यह पांच फीसद वोट भाजपा की तरफ चले जाते तो वह 204 सीटें हासिल कर सकती थीं, ऐसे में कांग्रेस केवल 22 सीटें ही जीतने में कामयाब रहती.

'करो या मरो' की जंग पर ज्योतिरादित्य सिंधिया बोले- पद का मोह नहीं, पहले जीत, फिर राहुल तय करेंगे CM कौन

मायावती ने क्यों छोड़ा साथ?
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की ओर से मुख्यमंत्री पद के संभावित दावेदारों में शुमार और पूर्व केंद्रीय मंत्री कमलनाथ ने चुनाव प्रचार के दौरान एनडीटीवी से बातचीत में बताया कि बसपा के साथ एक तो सीटों की संख्या और दूसरे विशेष सीटों की मांग पर मतभेद रहे. बसपा की ओर से जो सीटें मांगीं जा रहीं थीं, उन पर जीत की न कोई उम्मीद दिख रही थी, न कोई फार्मूला. ऐसी सीटें बसपा मुखिया मायावती ने मांग लीं, जहां हजार वोट से ज्यादा उन्हें नहीं मिल पाते. कांग्रेस ने बहुजन समाज पार्टी को 25 सीटें ऑफर कीं थीं. मगर मायावती 50 सीटों से कम पर समझौते को तैयार ही नहीं थीं. उन्होंने कहा कि बसपा मुखिया मायावती एक सीट छिंदवाड़ा और एक सीट इंदौर में चाहती थीं. छिंदवाड़ा लोकसभा क्षेत्र से कमलनाथ नौ बार से सांसद चुने जाते रहे हैं. कमलनाथ के मुताबिक यहां वे एक हजार से ज्यादा वोट नहीं पा सकतीं थीं.

कभी थे आतंक का पर्याय, अब भिंड की सियासत में है इन 2 खूंखार डाकुओं का दबदबा

मध्य प्रदेश में राज परिवारों का हमेशा रहता है दबदबा, देखें- खास रिपोर्ट

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
पीएम मोदी ने कहा- वाम और कांग्रेस एक ही सिक्‍के के दो पहलू, 'दिल्‍ली में दोस्‍ती, त्रिपुरा में कुश्‍ती' नहीं चलेगी
मध्य प्रदेश चुनाव: बसपा से हाथ न मिला 2013 की गलती कांग्रेस ने फिर दोहराई? ऐसे समझें आंकड़ों का खेल
कर्नाटक चुनाव परिणाम: सिद्धारमैया का सबसे बड़ा दांव क्या कांग्रेस पर ही पड़ा भारी? BJP की जीत के 10 बड़े कारण
Next Article
कर्नाटक चुनाव परिणाम: सिद्धारमैया का सबसे बड़ा दांव क्या कांग्रेस पर ही पड़ा भारी? BJP की जीत के 10 बड़े कारण
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com