राज्य में सात चरणों में चुनाव होने हैं जिसका पहला चरण 11 फरवरी को होगा.
नई दिल्ली:
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव में पहले चरण में 11 फरवरी को मतदान होने वाला है. राज्य में सात चरण में होने वाले चुनाव में लगभग 13.8 करोड़ मतदाता हिस्सा लेंगे. इनमें से 40 प्रतिशत मतदाता ऐसे हैं जो अभी तक इस निर्णय पर नहीं पहुंच पाए हैं कि वे किस राजनीतिक पार्टी को वोट देंगे. डाटा विश्लेषक फर्म इंडियास्पेंड के लिए फोर्थलायन टेक्नोलॉजी की ओर से कराए गए मत सर्वेक्षण में यह नतीजा सामने आया है.
सर्वे में उत्तर प्रदेश के 2,513 पंजीकृत मतदाताओं से टेलीफोन पर उनकी राय पूछी गई. फर्म का कहना है कि सर्वेक्षण का यह नमूना ग्रामीण व शहरी मतदाताओं और मतदाताओं की आर्थिक, सामाजिक, उम्र, लिंग, जाति की स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है. यह सर्वेक्षण 24 जनवरी से 31 जनवरी के बीच किया गया था.
सर्वेक्षण में शामिल 28 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अगर चुनाव अभी तुंरत हों तो वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वोट देंगे जबकि 18 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे समाजवादी पार्टी (सपा) को वोट देंगे. चार प्रतिशत लोगों ने ही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को वोट देने और केवल एक प्रतिशत लोगों ने कांग्रेस को वोट देने की बात कही.
फोर्थलायन-इंडियास्पेंड के सर्वेक्षण में शामिल मतदाताओं से गत विधानसभा चुनाव एवं लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीट जीतने वाली चार पार्टियों के बारे में पूछा गया. सर्वेक्षण इस बात पर केंद्रित नहीं था कि कौन पार्टी कितनी सीट जीतेगी. इसमें केवल विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के लिए लोकप्रिय समर्थन दिखलाया गया है. इसे चुनाव परिणाम के संकेत के तौर पर नहीं देखा जा सकता. किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे लगभग 40 प्रतिशत मतदाताओं ने इस बात की ओर इशारा किया कि किसी भी पार्टी को ज्यादा लोकप्रिय समर्थन मिल सकता है.
सर्वेक्षण के मुताबिक महिलाओं में से आधी संख्या इस बारे में किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाई है. इनमें 30 से 44 साल की 45 प्रतिशत महिलाएं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली 42 फीसदी महिलाएं हैं. जातिगत आधार पर सर्वेक्षण से सामने आया कि अनिर्णय का शिकार महिला मतदाताओं में से 43 प्रतिशत दलित, 44 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की हैं जबकि 43 प्रतिशत गरीब महिलाएं थीं. गरीबी का आधार वाहनों के मालिकाना हक को लेकर मापा गया.
नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के वरिष्ठ सदस्य नीलंजन सरकार ने कहा, "लोग अभी यह बताना नहीं चाह रहे हैं कि वे किस पार्टी के पक्ष में मतदान करेंगे, इसलिए कह रहे हैं कि उन्होंने अभी तक इस संबंध में कोई निर्णय नहीं किया है. अधिकतर मतदाता जीतने वाली पार्टी के पक्ष में मतदान करना चाहते हैं ताकि चुनाव के बाद वे फायदे की स्थिति में रहें. या, मतदाता अपने परिजनों एवं दोस्तों से इस संबंध में बात कर रहे होंगे और चुनाव से एक या दो दिन पहले वे किसी पार्टी को वोट देने को लेकर अपना मन बनाएंगे."
राज्य में सात चरणों में चुनाव होने हैं जिसका पहला चरण 11 फरवरी को होगा. संभव है कि कई मतदाता शुरुआती चरणों में रुझान को भांपने के बाद उसे वोट दें जो उनके हिसाब से चुनाव जीतने जा रहा हो.
चुनाव नतीजों पर नजर रखने वाली संस्था सी वोटर के संस्थापक यशवंत देशमुख ने बताया, "अधिकतर मतदाता चुनाव से काफी पहले ही मन बना लेते हैं कि वे किसे वोट देंगे. कुछ बहुत ही अलग घटित होने पर ही वे अपना मन बदलते हैं. कुछ मतदाता जो धर्म और जाति को लेकर संवेदनशील होते हैं, तब तक इंतजार करते हैं जब तक उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं हो जाती."
सर्वेक्षण के मुताबिक, भाजपा का समर्थन करने वाले 33 प्रतिशत लोगों में अधिकतम ओबीसी वर्ग से थे. 11 प्रतिशत मुसलमानों ने और 22 प्रतिशत दलितों ने भाजपा का समर्थन किया. सर्वेक्षण के मुताबिक, सपा का समर्थन करने वालों में 29 प्रतिशत मुस्लिम व 14 प्रतिशत दलित थे. बसपा के साथ 28 प्रतिशत दलित, 22 प्रतिशत ओबीसी और 16 प्रतिशत मुस्लिम दिखे. 2012 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में सपा ने 224 सीट जीती थी. भाजपा ने 47 सीट और बसपा एवं कांग्रेस ने क्रमश: 80 और 28 सीटों पर जीत हासिल की थी. अन्य के खाते में 24 सीटें गई थीं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
सर्वे में उत्तर प्रदेश के 2,513 पंजीकृत मतदाताओं से टेलीफोन पर उनकी राय पूछी गई. फर्म का कहना है कि सर्वेक्षण का यह नमूना ग्रामीण व शहरी मतदाताओं और मतदाताओं की आर्थिक, सामाजिक, उम्र, लिंग, जाति की स्थिति का प्रतिनिधित्व करता है. यह सर्वेक्षण 24 जनवरी से 31 जनवरी के बीच किया गया था.
सर्वेक्षण में शामिल 28 प्रतिशत लोगों ने कहा कि अगर चुनाव अभी तुंरत हों तो वे भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को वोट देंगे जबकि 18 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे समाजवादी पार्टी (सपा) को वोट देंगे. चार प्रतिशत लोगों ने ही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को वोट देने और केवल एक प्रतिशत लोगों ने कांग्रेस को वोट देने की बात कही.
फोर्थलायन-इंडियास्पेंड के सर्वेक्षण में शामिल मतदाताओं से गत विधानसभा चुनाव एवं लोकसभा चुनाव में सबसे ज्यादा सीट जीतने वाली चार पार्टियों के बारे में पूछा गया. सर्वेक्षण इस बात पर केंद्रित नहीं था कि कौन पार्टी कितनी सीट जीतेगी. इसमें केवल विभिन्न राजनीतिक पार्टियों के लिए लोकप्रिय समर्थन दिखलाया गया है. इसे चुनाव परिणाम के संकेत के तौर पर नहीं देखा जा सकता. किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे लगभग 40 प्रतिशत मतदाताओं ने इस बात की ओर इशारा किया कि किसी भी पार्टी को ज्यादा लोकप्रिय समर्थन मिल सकता है.
सर्वेक्षण के मुताबिक महिलाओं में से आधी संख्या इस बारे में किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पाई है. इनमें 30 से 44 साल की 45 प्रतिशत महिलाएं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली 42 फीसदी महिलाएं हैं. जातिगत आधार पर सर्वेक्षण से सामने आया कि अनिर्णय का शिकार महिला मतदाताओं में से 43 प्रतिशत दलित, 44 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की हैं जबकि 43 प्रतिशत गरीब महिलाएं थीं. गरीबी का आधार वाहनों के मालिकाना हक को लेकर मापा गया.
नई दिल्ली स्थित सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च के वरिष्ठ सदस्य नीलंजन सरकार ने कहा, "लोग अभी यह बताना नहीं चाह रहे हैं कि वे किस पार्टी के पक्ष में मतदान करेंगे, इसलिए कह रहे हैं कि उन्होंने अभी तक इस संबंध में कोई निर्णय नहीं किया है. अधिकतर मतदाता जीतने वाली पार्टी के पक्ष में मतदान करना चाहते हैं ताकि चुनाव के बाद वे फायदे की स्थिति में रहें. या, मतदाता अपने परिजनों एवं दोस्तों से इस संबंध में बात कर रहे होंगे और चुनाव से एक या दो दिन पहले वे किसी पार्टी को वोट देने को लेकर अपना मन बनाएंगे."
राज्य में सात चरणों में चुनाव होने हैं जिसका पहला चरण 11 फरवरी को होगा. संभव है कि कई मतदाता शुरुआती चरणों में रुझान को भांपने के बाद उसे वोट दें जो उनके हिसाब से चुनाव जीतने जा रहा हो.
चुनाव नतीजों पर नजर रखने वाली संस्था सी वोटर के संस्थापक यशवंत देशमुख ने बताया, "अधिकतर मतदाता चुनाव से काफी पहले ही मन बना लेते हैं कि वे किसे वोट देंगे. कुछ बहुत ही अलग घटित होने पर ही वे अपना मन बदलते हैं. कुछ मतदाता जो धर्म और जाति को लेकर संवेदनशील होते हैं, तब तक इंतजार करते हैं जब तक उम्मीदवार के नाम की घोषणा नहीं हो जाती."
सर्वेक्षण के मुताबिक, भाजपा का समर्थन करने वाले 33 प्रतिशत लोगों में अधिकतम ओबीसी वर्ग से थे. 11 प्रतिशत मुसलमानों ने और 22 प्रतिशत दलितों ने भाजपा का समर्थन किया. सर्वेक्षण के मुताबिक, सपा का समर्थन करने वालों में 29 प्रतिशत मुस्लिम व 14 प्रतिशत दलित थे. बसपा के साथ 28 प्रतिशत दलित, 22 प्रतिशत ओबीसी और 16 प्रतिशत मुस्लिम दिखे. 2012 में उत्तर प्रदेश में हुए विधानसभा चुनाव में सपा ने 224 सीट जीती थी. भाजपा ने 47 सीट और बसपा एवं कांग्रेस ने क्रमश: 80 और 28 सीटों पर जीत हासिल की थी. अन्य के खाते में 24 सीटें गई थीं.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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