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This Article is From Mar 12, 2017

उत्तर प्रदेश चुनाव परिणाम 2017 : बीजेपी की लहर में भी '56 इंची सीना' ताने खड़े रहे ये बाहुबली

उत्तर प्रदेश चुनाव परिणाम 2017 : बीजेपी की लहर में भी '56 इंची सीना' ताने खड़े रहे ये बाहुबली
मोदी लहर भी राजा भैया और मुख्तार अंसारी को नहीं रोक पाई....
नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश में मोदी लहर का ही कमाल था कि बीजेपी ऐतिहासिक जीत दर्ज करने में कामयाब रही. कई बाहुबलियों को जनता के किनारे कर दिया वहीं सूबे के कई बाहुबली प्रचंड मोदी लहर के बावजूद अपना फौलादी सीना ताने खड़े रहे और विधानसभा में पहुंचने में कामयाब हो गए. मोदी लहर भी उनको नहीं रोक पाई. बीजेपी ने काफी जोर लगाया लेकिन उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकी. आइए एक नजर ऐसे बाहुबलियों पर डालते हैं जो जीत का परचम लहराने में कामयाब रहे.   

रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया बने सबसे बड़े लड़इया
सपा की वर्तमान सरकार में मंत्री रहे रघुराज प्रताप सिंह कुंडा से जीत दर्ज करने में सफल रहे. उन्होंने अपने सहयोगी विनोद कुमार को भी बाबागंज से चुनाव जिता दिया है. राजा भैया सबसे बड़े लड़इया साबित हो रहे हैं. वर्ष 1993 से राजनीति में कदम रखने वाले राजा भैया लगातार कुंडा क्षेत्र से निर्दलीय चुनाव जीत रहे हैं. रघुराज प्रताप सिंह ने इस बार अपनी डबल हैट्रिक पूरी कर ली है. एक लाख से अधिक मतों से रिकार्ड जीत दर्ज कराने वाले रघुराज ने भाजपा और सपा की सरकारों में साझीदारी तो जरूर निभाई लेकिन वह कभी किसी दल से चुनाव नहीं लड़े. निर्दल न केवल खुद जीते बल्कि अपने सहयोगी विनोद कुमार को भी चुनाव जिताते आ रहे हैं. रघुराज की राह रोकने में कभी बसपा तो कभी भाजपा ने ताकत लगाई लेकिन कामयाबी नहीं मिली. रघुराज अपराजेय साबित हुए हैं.

मऊ से मुख्तार अंसारी फिर पहुंचे विधानसभा
मऊ सीट से मुख्तार अंसारी एक बार फिर से जीत दर्ज करने में सफल रहे. हालांकि उनके बेटे अब्बास को घोसी और भाई सिबगतुल्लाह को मुहम्मदाबाद में हार का सामना करना पड़ा है. मुख्तार की पार्टी कौमी एकता दल का विधानसभा चुनाव से पहले बसपा में विलय कर दिया गया था. मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी मऊ जिले की घोसी सीट से जबकि भाई सिबगतुल्ला अंसारी गाजीपुर जिले की मुहम्मदाबाद (यूसुफपुर) सीट से चुनाव लड़ रहे थे, मगर इन दोनों को ही हार का मुंह देखना पड़ा. मुख्तार ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के सहयोगी दल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के महेंद्र राजभर को 7464 मतों से हराया.

विजय मिश्रा ज्ञानपुर से जीते
विजय मिश्रा को अखिलेश यादव ने पार्टी से निकाल दिया था. उनके खिलाफ जमकर प्रचार किया लेकिन ज्ञानपुर सीट से विजय मिश्र मोदी लहर के बावजूद भी अपना वजूद बचाने में कामयाब रहे. उन्होंने निर्बल शोषित दल जैसी छोटे दल के टिकट पर चुनाव लड़ा और कामयाब रहे.

अमनमणि त्रिपाठी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीते
चुनाव नतीजों में सबसे ज्यादा अमनमणि त्रिपाठी की जीत ने चौकाया है. अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में जेल में बंद अमनमणि को किसी से भी पार्टी से टिकट न मिलने के बाद निर्दलीय रूप से मैदान में थे. नौतनवां से चुनाव लड़ रहे अमनमणि त्रिपाठी को जीत मिल गई है. कुछ ऐसा ही हाल सैयदराजा में बाहुबली एमएलसी बृजेश सिंह के भतीजे सुशील सिंह का रहा. सुशील सिंह फिर से चुनाव जीत गए हैं. उन्होंने दबंग पूर्व एमएलसी विनीत सिंह को चुनाव हरा दिया.

ये बाहुबली हारे
हालांकि कई बाहुबलियों को हार का मुंह देखना पड़ा है. सुलतानपुर की इसौली सीट से राष्ट्रीय लोकदल के उम्मीदवार रहे यशभद्र सिंह मोनू चुनाव हार गए हैं. मुख्तार अंसारी के करीबी अतुल राय भी जमनिया से शिकस्त खा बैठे. लोनी से मदन भैया की चुनावी नैया पार नहीं लग सकी. मड़ियाहूं में माफिया मुन्ना बजरंगी की पत्नी सीमा सिंह को फिर पराजय झेलनी पड़ी. गोसाईगंज में बाहुबली विधायक अभय सिंह भी हार गए.

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