
ANI से बातचीत में साधना यादव ने कहा था- मेरे अखिलेश के बीच कोई बात ही नहीं थी.(फाइल फोटो)
Quick Reads
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
साधना गुप्ता के इंटरव्यू के लगाए जा रहे सियासी मायने
उन्होंने अंतिम चरण से एक दिन पहले दिया था इंटरव्यू
कहा था कि कुनबे की कलह का चुनाव नतीजों पर पड़ेगा असर
दरअसल इस इंटरव्यू को सियासी जानकार एक रणनीति का हिस्सा मान रहे हैं. उनके मुताबिक यह सपा में अखिलेश विरोधियों का एक दांव है. इसके पीछे मुख्य कारण यह माना जा रहा है कि यदि अखिलेश यादव चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो पाते हैं तो यह माना जाएगा कि साधना गुप्ता की वह भविष्यवाणी सही साबित होगी जिसमें उन्होंने कहा था कि कुनबे में कलह का कुछ न कुछ असर चुनाव नतीजों पर होगा. इसी आधार पर चुनाव बाद अखिलेश विरोधी शक्तियां फिर से सक्रिय होंगी और पार्टी के भीतर अखिलेश के वर्चस्व को चुनौती दी जाएगी. पार्टी में हाशिए पर पहुंचे शिवपाल यादव ने पहले ही चुनाव नतीजों के बाद अलग पार्टी बनाने की घोषणा की थी लेकिन बाद में वह पलट गए. अखिलेश के हारने की स्थिति में इस तरह की शक्तियां फिर से मुखर होंगी.
इससे पहले यूपी में अंतिम चरण के मतदान से पहले मंगलवार को मुलायम सिंह यादव की पत्नी साधना ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए कहा कि गलत समय पार्टी टूटी. ANI से बातचीत में साधना ने कहा- मेरे अखिलेश के बीच कोई बात ही नहीं थी. हमारी कभी बहस तक नहीं हुई. अखिलेश ने कभी मुझे जवाब तक नहीं दिया. मैंने कभी उसे पराया नहीं माना. पार्टी में जो कुछ हुआ, वह समय ने कराया. रामगोपाल यादव को लेकर साधना ने कहा कि प्रोफेसर जी नेताजी से बहुत प्यार करते थे, लेकिन बीच में पता नहीं क्या हो गया, शायद सब कुछ समय ने कराया. प्रोफेसर साहब की पत्नी जब नहीं रही थीं तो मैंने ही उनके आंसू पोंछे थे. मैंने ही उनके बच्चों की शादियां करवाईं. नेताजी भी प्रोफेसर साहब से पूछे बिना काम नहीं करते थे.
सपा में कलह का असर चुनावों पर कितना पड़ेगा, इससे जुड़े सवाल पर वह बोलीं कि निश्चित तौर पर इसका चुनावों पर असर पड़ेगा. लेकिन मैं चाहती हूं कि हमारी पार्टी दोबारा जीते और अखिलेश यादव सीएम बनें. मुझे नहीं पता अखिलेश को किसने बहकाया है. वह तो मेरा और नेताजी का बहुत आदर करते थे. 1 जनवरी से अखिलेश के साथ मेरी इतनी बातचीत हुई, जितनी पांच सालों में भी नहीं हुई.
राजनीति में आने को लेकर उन्होंने कहा कि नेताजी ने कभी आने नहीं दिया, पर हां पीछे से काम करते रहे हैं, लेकिन अब मैं राजनीति में नहीं आना चाहती, मैं चाहती हूं कि मेरा बेटा प्रतीक राजनीति में आए.
अखिलेश यादव के अलग हो जाने से जुड़े सवाल पर साधना भावुक हो गईं और कहा कि उनके (अखिलेश-डिंपल) कमरे में जाने का ही मन नहीं करता. कैसे उस कमरे में जाएं जिसमें बेटा-बहू रहे हों, बच्चे रहे हों. आज भी कमरे सफाई होने के बाद बंद हो जाते हैं. कभी नहीं सोचा था नेताजी के जीते जी अखिलेश अलग हो जाएंगे.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
अखिलेश यादव, Akhilesh Yadav, सपा, SP, Sadhna Gupta, Khabar Assembly Polls 2017, UP Poll 2017, यूपी विधानसभा चुनाव 2017, साधना यादव, Sadhna Yadav