सबसे ज़्यादा NRI कनाडा व ऑस्ट्रेलिया से आए हैं और 'आप' का प्रचार कर रहे हैं
बठिंडा:
बठिंडा का संगम होटल एक खास मकसद से शहर में पहुंचे हुए लोगों के लिए बैठक करने की जगह बन चुका है, और इन लोगों का मकसद इनकी स्वेटशर्ट पर साफ-साफ लिखा दिख रहा है - 'चलो पंजाब'... इनमें से कुछ लोग पहली बार एक दूसरे से मिल रहे हैं, लेकिन ये सभी अप्रवासी भारतीय हैं... इनमें से ज़्यादातर लोग कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से आए हैं, और ये लोग अगला पूरा हफ्ता सड़कों पर घूम-घूमकर जनता से उस पार्टी को वोट देने की अपील करेंगे, जिसे ये अपने गृहराज्य के लिए सही मानते हैं...
इन लोगों की पहली पसंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) है... टोरंटो में ट्रक चलाने वाले नवी ढिल्लों वर्ष 2007 में पंजाब छोड़कर कनाडा गए थे, लेकिन उनका कहना है, "मैं भले ही वहां रहता हूं, लेकिन मेरा परिवार, दोस्त सब यहीं हैं..." 37-वर्षीय नवी ढिल्लों बताते हैं, "मेरे पिता को दिल का दौरा पड़ा था, और हम उन्हें स्थानीय अस्पताल में ले गए थे... हमने प्राइवेट केयर का खर्च भी किया, लेकिन इसके बावजूद कुछ नहीं हो पाया... जब तक हम उन्हें लेकर चंडीगढ़ स्थित पीजीआई पहुंचे, उनका देहांत हो चुका था..."
नवी ढिल्लों कहते हैं कि उस घटना ने उनकी आंखें खोल दीं, और उन्हें समझ आ गया कि अब बदलाव के लिए लड़ना ज़रूरी है... अब उन्होंने अपने काम से चार हफ्ते की छुट्टी ली है और यहां आकर रिश्तेदारों के पास रह रहे हैं, लेकिन रोज़ घर-घर जाकर लोगों को समझा रहे हैं कि वोट देना क्यों बेहद ज़रूरी है... नवी ढिल्लों कहते हैं, "मैंने अपना वोट कांग्रेसियों को भी दिया है, और अकालियों को भी... सो, अब उन्हें (आप) आज़माकर क्यों न देखें..."
वैसे, ज़्यादातर अप्रवासी भारतीयों के हिन्दुस्तान लौटकर इस चुनाव से इस तरह जुड़ जाने के पीछे कोई न कोई निजी कहानी ज़रूर मौजूद है, जिसकी वजह से वे प्रेरित हुए... वैसे इन सभी की एक साझी परेशानी भूमाफिया है, जो इनके परिवारों को उनके खेत हड़प लेने की धमकियां दे रहे हैं...
26 साल के दर्शन सिंह ने प्रचारक के रूप में काम करने की योजना दो साल पहले मेलबर्न में ही बनानी शुरू कर दी थी, और सात हफ्ते की छुट्टियों की व्यवस्था कर रहे थे... उन्होंने बताया, "बहुत-से लोग हैं, जो डर में जी रहे हैं, क्योंकि भूमाफिया उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज करा देने की धमकियां देते रहते हैं... यह सब किसी भी तरह से सिर्फ उनकी ज़मीनें हड़पने के लिए किया जाता है..."
सोनी शर्मा टोरंटो से आए हैं, और उनका कहना है कि वह पहली ही पीढ़ी के अप्रवासी भारतीय हैं, सो, देश से उनका नाता अब तक बेहद मजबूत है... उन्होंने कहा, "यहां हम सभी के लिए हेल्थ इंश्योरेंस की व्यवस्था क्यों नहीं है, जैसी कनाडा में है... बस, यही हम चाहते हैं..."
चुनाव प्रचार के लिए कुल कितने अप्रवासी भारतीय पंजाब लौटे हैं, इस बारे में कुछ 'आप' वॉलंटियरों द्वारा बताया गया आंकड़ा 10,000 से 50,000 के बीच तैरता रहता है... वैसे, जो 'आप' के लिए प्रचार कर रहे हैं, उनकी तरफ बहुतों का ध्यान गया है, और अकालियों तथा कांग्रेस ने चुनाव आयोग में शिकायत की है एनआरआई को वोट मांगने से रोका जाए, क्योंकि वे 'बाहरी' लोग हैं, और उनका आरोप है कि इन अप्रवासी भारतीयों का 'रिश्ता कट्टरपंथी ताकतों से' है, जिसकी वजह से प्रांत में अशांति फैल सकती है... इस आरोप से एनआरआई गुस्से में हैं... नवी ढिल्लों कहते हैं, "अकाली सरकार हमारे बारे में शिकायत क्यों कर रही है...? हम तो अपने परिवार के लिए सिर्फ बेहतर ज़िन्दगी चाहते हैं..."
इन लोगों की पहली पसंद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (आप) है... टोरंटो में ट्रक चलाने वाले नवी ढिल्लों वर्ष 2007 में पंजाब छोड़कर कनाडा गए थे, लेकिन उनका कहना है, "मैं भले ही वहां रहता हूं, लेकिन मेरा परिवार, दोस्त सब यहीं हैं..." 37-वर्षीय नवी ढिल्लों बताते हैं, "मेरे पिता को दिल का दौरा पड़ा था, और हम उन्हें स्थानीय अस्पताल में ले गए थे... हमने प्राइवेट केयर का खर्च भी किया, लेकिन इसके बावजूद कुछ नहीं हो पाया... जब तक हम उन्हें लेकर चंडीगढ़ स्थित पीजीआई पहुंचे, उनका देहांत हो चुका था..."
अकालियों व कांग्रेस ने चुनाव आयोग से NRI को रोकने की अपील की है
नवी ढिल्लों कहते हैं कि उस घटना ने उनकी आंखें खोल दीं, और उन्हें समझ आ गया कि अब बदलाव के लिए लड़ना ज़रूरी है... अब उन्होंने अपने काम से चार हफ्ते की छुट्टी ली है और यहां आकर रिश्तेदारों के पास रह रहे हैं, लेकिन रोज़ घर-घर जाकर लोगों को समझा रहे हैं कि वोट देना क्यों बेहद ज़रूरी है... नवी ढिल्लों कहते हैं, "मैंने अपना वोट कांग्रेसियों को भी दिया है, और अकालियों को भी... सो, अब उन्हें (आप) आज़माकर क्यों न देखें..."
वैसे, ज़्यादातर अप्रवासी भारतीयों के हिन्दुस्तान लौटकर इस चुनाव से इस तरह जुड़ जाने के पीछे कोई न कोई निजी कहानी ज़रूर मौजूद है, जिसकी वजह से वे प्रेरित हुए... वैसे इन सभी की एक साझी परेशानी भूमाफिया है, जो इनके परिवारों को उनके खेत हड़प लेने की धमकियां दे रहे हैं...
26 साल के दर्शन सिंह ने प्रचारक के रूप में काम करने की योजना दो साल पहले मेलबर्न में ही बनानी शुरू कर दी थी, और सात हफ्ते की छुट्टियों की व्यवस्था कर रहे थे... उन्होंने बताया, "बहुत-से लोग हैं, जो डर में जी रहे हैं, क्योंकि भूमाफिया उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज करा देने की धमकियां देते रहते हैं... यह सब किसी भी तरह से सिर्फ उनकी ज़मीनें हड़पने के लिए किया जाता है..."
आम आदमी पार्टी की कुल फंडिंग का 20 फीसदी हिस्सा NRI से ही आता है
सोनी शर्मा टोरंटो से आए हैं, और उनका कहना है कि वह पहली ही पीढ़ी के अप्रवासी भारतीय हैं, सो, देश से उनका नाता अब तक बेहद मजबूत है... उन्होंने कहा, "यहां हम सभी के लिए हेल्थ इंश्योरेंस की व्यवस्था क्यों नहीं है, जैसी कनाडा में है... बस, यही हम चाहते हैं..."
चुनाव प्रचार के लिए कुल कितने अप्रवासी भारतीय पंजाब लौटे हैं, इस बारे में कुछ 'आप' वॉलंटियरों द्वारा बताया गया आंकड़ा 10,000 से 50,000 के बीच तैरता रहता है... वैसे, जो 'आप' के लिए प्रचार कर रहे हैं, उनकी तरफ बहुतों का ध्यान गया है, और अकालियों तथा कांग्रेस ने चुनाव आयोग में शिकायत की है एनआरआई को वोट मांगने से रोका जाए, क्योंकि वे 'बाहरी' लोग हैं, और उनका आरोप है कि इन अप्रवासी भारतीयों का 'रिश्ता कट्टरपंथी ताकतों से' है, जिसकी वजह से प्रांत में अशांति फैल सकती है... इस आरोप से एनआरआई गुस्से में हैं... नवी ढिल्लों कहते हैं, "अकाली सरकार हमारे बारे में शिकायत क्यों कर रही है...? हम तो अपने परिवार के लिए सिर्फ बेहतर ज़िन्दगी चाहते हैं..."
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