पंजाब में चुनाव प्रचार के दौरान अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
अरविंद केजरीवाल की आम आदमी, पार्टी जो कि पंजाब में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के वक्त अस्तित्व में ही नहीं थी, ने कांग्रेस और बीजेपी-अकाली गठबंधन दोनों के ही वोट शेयर में समान रूप से सेंध लगाकर बड़े-बड़ों को पटखनी दे दी है.
आम आदमी पार्टी का गठन नवंबर 2012 में हुआ. उसी साल की शुरुआत में पंजाब ने अकाली-बीजेपी गठबंधन को लगातार दूसरी बार सत्ता सौंपी. दो साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अप्रत्याशित रूप से 4 सीटें जीत लीं. आप के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तभी से राज्य में खास समय दे रहे हैं विशेषकर हाल के दिनों में चुनाव प्रचार के लिए. हालांकि पार्टी ने पंजाब में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है लेकिन पार्टी में कथित रूप से सांसद भगवंत मान को वरियता दी गई है.
2014 में लोकसभा की जो 4 सीटें आप ने जीती थीं वे 33 विधानसभा सीटों के बराबर हैं. इन सीटों को जीतकर आप ने अकालियों को कांग्रेस से भी ज्यादा नुकसान पहुंचाया.
प्रत्येक 100 वोट जो 'आप' को मिलते हैं, उनमें से 35 कांग्रेस से, 45 अकाली दल से और 20 मायावती की बीएसपी व अन्य पार्टियों से हैं. (2012 से 2014 के चुनावों के उतार चढ़ावा पर आधारित).
आप दक्षिण-पूर्वी इलाके में सबसे ज्यादा मजबूत है (पश्चिम में अकालियों की पकड़ है, उत्तर में बीजेपी की और कांग्रेस की उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम में). पंजाब में विधानसभा की 117 सीटें हैं. राज्य के चार क्षेत्रों में से पूर्वी मालवा में सबसे ज्यादा 36 सीटें हैं. और यह वो इलाका है जहां आप को सबसे ज्यादा समर्थन मिल रहा है. तीन अन्य क्षेत्रों माझा, दोआब और पश्चिमी मालवा में से प्रत्येक से 27 सदस्य आते हैं.
हिंदू बहुल क्षेत्रों की तुलना में सिख आबादी वाले इलाकों में आप ज्यादा लोकप्रिय है - पंजाब की आबादी का 57.59 फीसदी हिस्सा सिख हैं जबकि 38.49 फीसदी हिंदू.
पार्टी का वोट शेयर ग्रामीण इलाकों में उसकी वापसी दिखाता है लेकिन शहरी इलाकों से वो अब भी दूर है. ग्रामीण क्षेत्रों में 25 फीसदी वोट शेयर आप को 28 सीटें मिल सकती हैं लेकिन शहरी इलाकों में 24 फीसदी वोट शेयर से केवल 5 सीटें. इसके समर्थकों में कांग्रेस और अकाली दल की तुलना में युवाओं की संख्या कहीं ज्यादा है.
आम आदमी पार्टी का गठन नवंबर 2012 में हुआ. उसी साल की शुरुआत में पंजाब ने अकाली-बीजेपी गठबंधन को लगातार दूसरी बार सत्ता सौंपी. दो साल बाद हुए लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अप्रत्याशित रूप से 4 सीटें जीत लीं. आप के प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तभी से राज्य में खास समय दे रहे हैं विशेषकर हाल के दिनों में चुनाव प्रचार के लिए. हालांकि पार्टी ने पंजाब में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है लेकिन पार्टी में कथित रूप से सांसद भगवंत मान को वरियता दी गई है.
2014 में लोकसभा की जो 4 सीटें आप ने जीती थीं वे 33 विधानसभा सीटों के बराबर हैं. इन सीटों को जीतकर आप ने अकालियों को कांग्रेस से भी ज्यादा नुकसान पहुंचाया.
प्रत्येक 100 वोट जो 'आप' को मिलते हैं, उनमें से 35 कांग्रेस से, 45 अकाली दल से और 20 मायावती की बीएसपी व अन्य पार्टियों से हैं. (2012 से 2014 के चुनावों के उतार चढ़ावा पर आधारित).
आप दक्षिण-पूर्वी इलाके में सबसे ज्यादा मजबूत है (पश्चिम में अकालियों की पकड़ है, उत्तर में बीजेपी की और कांग्रेस की उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पश्चिम में). पंजाब में विधानसभा की 117 सीटें हैं. राज्य के चार क्षेत्रों में से पूर्वी मालवा में सबसे ज्यादा 36 सीटें हैं. और यह वो इलाका है जहां आप को सबसे ज्यादा समर्थन मिल रहा है. तीन अन्य क्षेत्रों माझा, दोआब और पश्चिमी मालवा में से प्रत्येक से 27 सदस्य आते हैं.
हिंदू बहुल क्षेत्रों की तुलना में सिख आबादी वाले इलाकों में आप ज्यादा लोकप्रिय है - पंजाब की आबादी का 57.59 फीसदी हिस्सा सिख हैं जबकि 38.49 फीसदी हिंदू.
पार्टी का वोट शेयर ग्रामीण इलाकों में उसकी वापसी दिखाता है लेकिन शहरी इलाकों से वो अब भी दूर है. ग्रामीण क्षेत्रों में 25 फीसदी वोट शेयर आप को 28 सीटें मिल सकती हैं लेकिन शहरी इलाकों में 24 फीसदी वोट शेयर से केवल 5 सीटें. इसके समर्थकों में कांग्रेस और अकाली दल की तुलना में युवाओं की संख्या कहीं ज्यादा है.
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