परसौली में विकास न होने के कारण गांव वालों ने चुनावों का बहिष्कार कर दिया
अमेठी:
चुनावों के समय लुभावने वादों की बौछार और फिर चुनाव होते ही गायब हो जाने वाले नेताओं का सबक सीखाने के मकसद से अमेठी के परसौली गांव के लोगों ने चुनावों का ही बहिष्कार कर दिया है. परसौली गांव में करीब एक हज़ार मतदाताओं में से कोई भी वोट डालने नहीं गया.
अमेठी के बूथ नंबर 120 में आज चुनाव के दौरान सन्नाटा पसरा रहा. गांव वालों का कहना है कि 1971 से ही उनके यहां विकास का काम रुका हुआ है. महिलाएं शौचालय नहीं होने की शिकायत कर रही हैं तो पुरुष ख़राब सड़कों का रोना रो रहे हैं. यहां के लोग हर पार्टी से नाराज़ हैं.
यहां से राहुल गांधी लंबे समय से सांसद हैं और गायत्री प्रजापति विधायक होने के साथ प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे हैं. वीआईपी एरिया होने के बाद भी यह इलाका विकास की दौड़ में सबसे पीछे है.
गांव वालों का कहना है कि प्रदेश सरकार ने आसपास के गांवों को लोहिया गांव बनाकर विकसित कर दिया, लेकिन उनके गांव में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत भी काम नहीं हुआ.
गांव वालों ने मिलकर तय किया कि विकास नहीं तो वोट भी नहीं. इसलिए सभी ने मिलकर चुनावों का बहिष्कार किया है. गांव वालों के बहिष्कार की सूचना पर जिलाधिकारी गांव में पहुंचे. उन्होंने गांव वालों को मतदान करने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन गांव वालों की सख्त रवैए के चलते वे सफल नहीं हुए.
अमेठी के बूथ नंबर 120 में आज चुनाव के दौरान सन्नाटा पसरा रहा. गांव वालों का कहना है कि 1971 से ही उनके यहां विकास का काम रुका हुआ है. महिलाएं शौचालय नहीं होने की शिकायत कर रही हैं तो पुरुष ख़राब सड़कों का रोना रो रहे हैं. यहां के लोग हर पार्टी से नाराज़ हैं.
यहां से राहुल गांधी लंबे समय से सांसद हैं और गायत्री प्रजापति विधायक होने के साथ प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे हैं. वीआईपी एरिया होने के बाद भी यह इलाका विकास की दौड़ में सबसे पीछे है.
गांव वालों का कहना है कि प्रदेश सरकार ने आसपास के गांवों को लोहिया गांव बनाकर विकसित कर दिया, लेकिन उनके गांव में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत भी काम नहीं हुआ.
गांव वालों ने मिलकर तय किया कि विकास नहीं तो वोट भी नहीं. इसलिए सभी ने मिलकर चुनावों का बहिष्कार किया है. गांव वालों के बहिष्कार की सूचना पर जिलाधिकारी गांव में पहुंचे. उन्होंने गांव वालों को मतदान करने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन गांव वालों की सख्त रवैए के चलते वे सफल नहीं हुए.
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