नई दिल्ली:
विपरीत हालातों से उबरते हुए ये शख्स वर्ष 2015 के सरताज बनकर उभरे। साल के शुरुआत में कोई भी इन्हें तवज्जो नहीं दे रहा था। यहां तक कि इनमें से कई के सितारे तो गर्दिश में ही माने जा रहे थे, लेकिन इन्होंने 'नॉकआउट पंच' जमाते हुए कामयाबी की ऐसी इबारत लिखी कि वर्ष के अंत तक हर किसी की जुबान पर इनका नाम था। आइए नजर डालते हैं, इस वर्ष को अपने नाम करने वाली ऐसी शख्सियतों के बारे में ...
नीतीश कुमार : बिहार के 'सुशासन बाबू'
साल की शुरुआत में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 'पराजित योद्धा' माना जा रहा था। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए गठबंधन से हटने का दांव उलटा पड़ा था और जेडीयू को आम चुनावों में मिली हार का ठीकरा उन पर ही फोड़ा जा रहा था। कुछ भी नीतीश के अनुकूल नहीं था और विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की हार तय मानी जा रही थी। लेकिन नीतीश ने टूटे मनोबल को फिर से संजोया और ऐसी राजनीतिक बिसात बिछाई कि एनडीए चारों खाने चित हो गया। 'सियासत में कोई स्थायी दोस्त अथवा दुश्मन नहीं होता', इस वाक्य को अमलीजामा पहनाते हुए नीतीश ने पुराने साथी लालू यादव और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाया। इस महागठबंधन ने 170 से अधिक सीटें जीतीं और नीतीश ने फिर से बिहार के सीएम की बागडोर संभाल ली।
प्रशांत किशोर : चुनावी कौशल का 'चाणक्य'
चुनाव प्रबंधन में यह शख्स बेजोड़ है। लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और एनडीए के रणनीतिकार बिहार में नीतीश के तारणहार बने। लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी को 'चाय पर चर्चा' का मंत्र देने वाले प्रशांत ने नीतीश को 'परचे पर चर्चा' का सुझाव दिया। इसमें लोगों से बिहार सरकार के 10 साल के कार्यकाल और प्रदर्शन के बारे में फीडबैक देने को कहा गया था। इस चुनाव में एनडीए के खिलाफ प्रशांत ने सोशल मीडिया का बेहद चतुराई से अपने पक्ष में उपयोग किया। बिहार में भाजपा से जुड़े लोग मानते हैं कि प्रशांत का चुनाव प्रबंधन भी बिहार में भाजपा की हार का बड़ा कारण रहा। प्रशांत के कौशल के मुरीद आज हर पार्टी में हैं। ममता बनर्जी की तृणमूल पार्टी के अलावा यूपी में दिन बदलने की उम्मीद लगाए कांग्रेस के नेता भी साथ में काम करने के लिए उनसे संपर्क कर चुके हैं।
लालू यादव : 'किंगमेकर' साबित हुए
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद किंगमेकर बनकर उभरे हैं। बेशक, यह चुनाव महागठबंधन ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करके लड़ा था, लेकिन लालू के राजनीतिक कौशल के बूते आरजेडी 80 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। खांटी राजनेता के तौर पर पहचान रखने वाले लालू ने प्रचार के दौरान एनडीए की हर रणनीति का चतुराई से जवाब दिया। इस जीत के साथ उन्होंने जता दिया कि चारा घोटाला मामले में अदालत की ओर से सुनाई गई सजा के बावजूद 'जनता की अदालत' में उनकी लोकप्रियता जस की तस है। बिहार में राज भले ही नीतीश चलाएंगे लेकिन चलेगी तो लालू की ही।
अरविंद केजरीवाल : 'आप' का ही नहीं, सबका चेहरा
नरेंद्र मोदी के सफलता के 'रथ' को इतनी कामयाबी से रोका कि नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव जैसे राजनीति के दिग्गज भी केजरीवाल के कायल हो गए। मोदी की हर रणनीति का उसी शैली में जवाब दिया। दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान मोदी ने जब आप नेताओं पर 'अराजक' होने का आरोप मढ़ा तो केजरीवाल ने अपने जवाब से भाजपा को रक्षात्मक मुद्रा में ला दिया। दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटें जीतते हुए आम आदमी पार्टी ने दिखा दिया कि मोदी की अगुवाई में सरपट दौड़ रही भाजपा को रोकना संभव है। बहरहाल, जनता के किए गए वादों और भ्रष्टाचार पर सख्ती से रोक लगाने के रूप में अब बड़ी चुनौती केजरीवाल के सामने है और इस दिशा में मिलने वाली कामयाबी ही सियासत में उनका भविष्य तय करेगी।
विराट कोहली : मौके को दोनों हाथों से 'कैच' किया
वर्ल्डकप 2015 में विराट का प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा था। आक्रामक तेवरों और अनुष्का शर्मा के साथ अफेयर की खबरों को लेकर ही उनकी ज्यादा चर्चा हुई। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया दौरे में जब धोनी ने एकाएक टेस्ट से संन्यास की घोषणा कर दी तो विराट की कप्तान के तौर पर कामयाबी को लेकर हर किसी के मन में संदेह था। ऑस्ट्रेलिया में बल्ले से अच्छा प्रदर्शन करने के बाद विराट ने श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज जीतकर अपनी कप्तानी का लोहा मनवाया। महेंद्र सिंह धोनी के विपरीत विराट आक्रामक क्रिकेट खेलने और इसी तरह से रणनीति बनाने में यकीन रखते हैं। धोनी की चार गेंदबाजों के साथ उतरने की थ्योरी को विराट ने बदला और पांच गेंदबाजों के साथ उतरकर विपक्षी टीम के 20 विकेट लेना सुनिश्चित किया।
प्रियंका चोपड़ा : अमेरिका में भी जमाई धाक
बॉलीवुड में अपने कौशल का प्रदर्शन कर सर्वश्रेष्ठ एक्ट्रेस का पुरस्कार जीत चुकी प्रियंका चोपड़ा की लोकप्रियता अमेरिका में भी बढ़ रही है। उनके टीवी शो 'क्वांटिको' की रेटिंग इन दिनों छलांग मार रही है। प्रियंका को कड़ी प्रतिस्पर्धा और ऑडिशन के बाद ही इस शो के लिए चुना गया था। इस शो में वे एफबीआई रंगरूट की भूमिका निभा रही हैं। वैसे भी, प्रियंका इससे पहले फिल्म 'बर्फी' में मंदबुिद्ध लड़की का किरदार निभाकर अपने अभिनय कौशल का सबूत दे चुकी हैं।
सानिया मिर्जा : सफलता का नायाब दौर
कलाई की चोट के बाद सानिया मिर्जा ने जब सिंगल्स मैच खेलना बंद किया तो लगा अब उनका करियर समाप्त होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। लेकिन सानिया के डबल्स मुकाबलों के जोरदार प्रदर्शन ने हर अनुमान को गलत साबित किया। वर्ष 2015 में उन्होंने 10 डबल्स खिताब जीते हैं, इसमें फ्रेंच और अमेरिकन ओपन के रूप में दो ग्रैंड स्लैम भी हैं। मार्टिना हिंगिस के साथ उनकी जोड़ी को इस समय नंबर वन की रैकिंग मिली है। खेल में इन दोनों की कामयाबी का आलम यह है कि पिछले 22 मैचों में इन्हें कोई हरा नहीं सका है।
हार्दिक पटेल : पटेल समाज का युवा चेहरा
आरक्षण की मांग कर रहे पटेल समाज के आंदोलन की इस अंदाज में अगुवाई की कि गुजरात की आनंदीबेन पटेल सरकार मुश्किल में आ गई। 22 साल के हार्दिक पटेल अब ऐसा चेहरा बन चुके हैं जिनके प्रभाव को रोकने में गुजरात सरकार भी नाकाम साबित हो रही है। गुजरात में पटेल समाज को आमतौर पर भाजपा का प्रबल समर्थक माना जाता है, लेकिन अगस्त में हार्दिक की अहमदाबाद के जीएमडीसी ग्राउंड की रैली में 5 लाख से ज्यादा की भीड़ आई। यही नहीं, पुलिस ने जब इस हार्दिक को गिरफ्तार किया तो आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया।
रविचंद्रन अश्विन : फिरकी के उस्ताद
साल 2015 को इस ऑफ स्पिनर ने अपने नाम किया। वर्ल्डकप में मिली कामयाबी के सफर को बढ़ाते हुए इस गेंदबाज ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में 31 विकेट अपने नाम किए। यही नहीं, टेस्ट करियर में वे 5वीं बार 'मैन ऑफ द सीरीज' के खिताब से नवाजे गए। कप्तान ने जब भी विकेट की उम्मीद करते हुए गेंद थमाई, उन्होंने निराश नहीं किया। वर्ष 2015 में 9 टेस्ट मैच खेलकर उन्होंने 62 विकेट चटकाए। बल्लेबाजी में हाथ दिखाने में भी माहिर अश्विन इस समय टेस्ट आलराउंडर की रैंकिंग में भी पहले नंबर पर हैं।
सलमान खान : बॉक्स आफिस के बादशाह
बॉलीवुड के यह स्टार सफलता की गारंटी माना जाता है। उनकी फिल्म रिलीज होते ही थिएटर में भीड़ उमड़ने लगती है। वर्ष 2015 की भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की सबसे कामयाब फिल्म 'बजरंगी भाईजान' ने कमाई के 300 करोड़ के बैरियर को पार किया है। इसे अब तक की सबसे कामयाब हिंदी फिल्म भी माना जा रहा है। फिल्म की कहानी पाकिस्तान की एक बच्ची मुन्नी/शाहिदा के इर्द-गिर्द घूमती है जो बोल नहीं सकती। मां के साथ भारत आई मुन्नी बिछड़ जाती है, जिसे एक भारतीय शख्स तमाम बाधाओं को पार करते हुए घर वापस पहुंचाता है।
राजामौली : फिल्मों के 'बाहुबली'
किसी फिल्म की कामयाबी का श्रेय आमतौर पर इसकी स्टार कास्ट को दिया जाता है, लेकिन राजामौली इसके अपवाद हैं। इनकी डायरेक्ट की हुई फिल्म 'बाहुबली' एक्शन दृश्यों और कमाई के लिहाज से भारतीय फिल्म जगत के लिए मील का पत्थर है। इस फिल्म में कामयाबी के नए आयाम रचे। फिल्म वैसे तो कई भाषाओं में रिलीज हुई, लेकिन हिंदी पट्टी में इसे मिले रिस्पांस को देखें तो इसने 111.38 करोड़ रुपये की नेट कमाई की। रिलीज के 24 दिनों के भीतर 100 करोड़ के क्लब में शामिल होने वाली इस फिल्म ने जमकर तारीफें बटोरीं और ट्रेड पंडितों ने फिल्म को हिट करार दिया।
नीतीश कुमार : बिहार के 'सुशासन बाबू'
साल की शुरुआत में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को 'पराजित योद्धा' माना जा रहा था। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले एनडीए गठबंधन से हटने का दांव उलटा पड़ा था और जेडीयू को आम चुनावों में मिली हार का ठीकरा उन पर ही फोड़ा जा रहा था। कुछ भी नीतीश के अनुकूल नहीं था और विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की हार तय मानी जा रही थी। लेकिन नीतीश ने टूटे मनोबल को फिर से संजोया और ऐसी राजनीतिक बिसात बिछाई कि एनडीए चारों खाने चित हो गया। 'सियासत में कोई स्थायी दोस्त अथवा दुश्मन नहीं होता', इस वाक्य को अमलीजामा पहनाते हुए नीतीश ने पुराने साथी लालू यादव और कांग्रेस के साथ महागठबंधन बनाया। इस महागठबंधन ने 170 से अधिक सीटें जीतीं और नीतीश ने फिर से बिहार के सीएम की बागडोर संभाल ली।
प्रशांत किशोर : चुनावी कौशल का 'चाणक्य'
चुनाव प्रबंधन में यह शख्स बेजोड़ है। लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी और एनडीए के रणनीतिकार बिहार में नीतीश के तारणहार बने। लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी को 'चाय पर चर्चा' का मंत्र देने वाले प्रशांत ने नीतीश को 'परचे पर चर्चा' का सुझाव दिया। इसमें लोगों से बिहार सरकार के 10 साल के कार्यकाल और प्रदर्शन के बारे में फीडबैक देने को कहा गया था। इस चुनाव में एनडीए के खिलाफ प्रशांत ने सोशल मीडिया का बेहद चतुराई से अपने पक्ष में उपयोग किया। बिहार में भाजपा से जुड़े लोग मानते हैं कि प्रशांत का चुनाव प्रबंधन भी बिहार में भाजपा की हार का बड़ा कारण रहा। प्रशांत के कौशल के मुरीद आज हर पार्टी में हैं। ममता बनर्जी की तृणमूल पार्टी के अलावा यूपी में दिन बदलने की उम्मीद लगाए कांग्रेस के नेता भी साथ में काम करने के लिए उनसे संपर्क कर चुके हैं।
लालू यादव : 'किंगमेकर' साबित हुए
बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद किंगमेकर बनकर उभरे हैं। बेशक, यह चुनाव महागठबंधन ने नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट करके लड़ा था, लेकिन लालू के राजनीतिक कौशल के बूते आरजेडी 80 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी। खांटी राजनेता के तौर पर पहचान रखने वाले लालू ने प्रचार के दौरान एनडीए की हर रणनीति का चतुराई से जवाब दिया। इस जीत के साथ उन्होंने जता दिया कि चारा घोटाला मामले में अदालत की ओर से सुनाई गई सजा के बावजूद 'जनता की अदालत' में उनकी लोकप्रियता जस की तस है। बिहार में राज भले ही नीतीश चलाएंगे लेकिन चलेगी तो लालू की ही।
अरविंद केजरीवाल : 'आप' का ही नहीं, सबका चेहरा
नरेंद्र मोदी के सफलता के 'रथ' को इतनी कामयाबी से रोका कि नीतीश कुमार, ममता बनर्जी और अखिलेश यादव जैसे राजनीति के दिग्गज भी केजरीवाल के कायल हो गए। मोदी की हर रणनीति का उसी शैली में जवाब दिया। दिल्ली विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान मोदी ने जब आप नेताओं पर 'अराजक' होने का आरोप मढ़ा तो केजरीवाल ने अपने जवाब से भाजपा को रक्षात्मक मुद्रा में ला दिया। दिल्ली विधानसभा की 70 में से 67 सीटें जीतते हुए आम आदमी पार्टी ने दिखा दिया कि मोदी की अगुवाई में सरपट दौड़ रही भाजपा को रोकना संभव है। बहरहाल, जनता के किए गए वादों और भ्रष्टाचार पर सख्ती से रोक लगाने के रूप में अब बड़ी चुनौती केजरीवाल के सामने है और इस दिशा में मिलने वाली कामयाबी ही सियासत में उनका भविष्य तय करेगी।
विराट कोहली : मौके को दोनों हाथों से 'कैच' किया
वर्ल्डकप 2015 में विराट का प्रदर्शन कोई खास नहीं रहा था। आक्रामक तेवरों और अनुष्का शर्मा के साथ अफेयर की खबरों को लेकर ही उनकी ज्यादा चर्चा हुई। ऐसे में ऑस्ट्रेलिया दौरे में जब धोनी ने एकाएक टेस्ट से संन्यास की घोषणा कर दी तो विराट की कप्तान के तौर पर कामयाबी को लेकर हर किसी के मन में संदेह था। ऑस्ट्रेलिया में बल्ले से अच्छा प्रदर्शन करने के बाद विराट ने श्रीलंका और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ सीरीज जीतकर अपनी कप्तानी का लोहा मनवाया। महेंद्र सिंह धोनी के विपरीत विराट आक्रामक क्रिकेट खेलने और इसी तरह से रणनीति बनाने में यकीन रखते हैं। धोनी की चार गेंदबाजों के साथ उतरने की थ्योरी को विराट ने बदला और पांच गेंदबाजों के साथ उतरकर विपक्षी टीम के 20 विकेट लेना सुनिश्चित किया।
प्रियंका चोपड़ा : अमेरिका में भी जमाई धाक
बॉलीवुड में अपने कौशल का प्रदर्शन कर सर्वश्रेष्ठ एक्ट्रेस का पुरस्कार जीत चुकी प्रियंका चोपड़ा की लोकप्रियता अमेरिका में भी बढ़ रही है। उनके टीवी शो 'क्वांटिको' की रेटिंग इन दिनों छलांग मार रही है। प्रियंका को कड़ी प्रतिस्पर्धा और ऑडिशन के बाद ही इस शो के लिए चुना गया था। इस शो में वे एफबीआई रंगरूट की भूमिका निभा रही हैं। वैसे भी, प्रियंका इससे पहले फिल्म 'बर्फी' में मंदबुिद्ध लड़की का किरदार निभाकर अपने अभिनय कौशल का सबूत दे चुकी हैं।
सानिया मिर्जा : सफलता का नायाब दौर
कलाई की चोट के बाद सानिया मिर्जा ने जब सिंगल्स मैच खेलना बंद किया तो लगा अब उनका करियर समाप्त होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी। लेकिन सानिया के डबल्स मुकाबलों के जोरदार प्रदर्शन ने हर अनुमान को गलत साबित किया। वर्ष 2015 में उन्होंने 10 डबल्स खिताब जीते हैं, इसमें फ्रेंच और अमेरिकन ओपन के रूप में दो ग्रैंड स्लैम भी हैं। मार्टिना हिंगिस के साथ उनकी जोड़ी को इस समय नंबर वन की रैकिंग मिली है। खेल में इन दोनों की कामयाबी का आलम यह है कि पिछले 22 मैचों में इन्हें कोई हरा नहीं सका है।
हार्दिक पटेल : पटेल समाज का युवा चेहरा
आरक्षण की मांग कर रहे पटेल समाज के आंदोलन की इस अंदाज में अगुवाई की कि गुजरात की आनंदीबेन पटेल सरकार मुश्किल में आ गई। 22 साल के हार्दिक पटेल अब ऐसा चेहरा बन चुके हैं जिनके प्रभाव को रोकने में गुजरात सरकार भी नाकाम साबित हो रही है। गुजरात में पटेल समाज को आमतौर पर भाजपा का प्रबल समर्थक माना जाता है, लेकिन अगस्त में हार्दिक की अहमदाबाद के जीएमडीसी ग्राउंड की रैली में 5 लाख से ज्यादा की भीड़ आई। यही नहीं, पुलिस ने जब इस हार्दिक को गिरफ्तार किया तो आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया।
रविचंद्रन अश्विन : फिरकी के उस्ताद
साल 2015 को इस ऑफ स्पिनर ने अपने नाम किया। वर्ल्डकप में मिली कामयाबी के सफर को बढ़ाते हुए इस गेंदबाज ने दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ 4 टेस्ट मैचों की सीरीज में 31 विकेट अपने नाम किए। यही नहीं, टेस्ट करियर में वे 5वीं बार 'मैन ऑफ द सीरीज' के खिताब से नवाजे गए। कप्तान ने जब भी विकेट की उम्मीद करते हुए गेंद थमाई, उन्होंने निराश नहीं किया। वर्ष 2015 में 9 टेस्ट मैच खेलकर उन्होंने 62 विकेट चटकाए। बल्लेबाजी में हाथ दिखाने में भी माहिर अश्विन इस समय टेस्ट आलराउंडर की रैंकिंग में भी पहले नंबर पर हैं।
सलमान खान : बॉक्स आफिस के बादशाह
बॉलीवुड के यह स्टार सफलता की गारंटी माना जाता है। उनकी फिल्म रिलीज होते ही थिएटर में भीड़ उमड़ने लगती है। वर्ष 2015 की भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की सबसे कामयाब फिल्म 'बजरंगी भाईजान' ने कमाई के 300 करोड़ के बैरियर को पार किया है। इसे अब तक की सबसे कामयाब हिंदी फिल्म भी माना जा रहा है। फिल्म की कहानी पाकिस्तान की एक बच्ची मुन्नी/शाहिदा के इर्द-गिर्द घूमती है जो बोल नहीं सकती। मां के साथ भारत आई मुन्नी बिछड़ जाती है, जिसे एक भारतीय शख्स तमाम बाधाओं को पार करते हुए घर वापस पहुंचाता है।
राजामौली : फिल्मों के 'बाहुबली'
किसी फिल्म की कामयाबी का श्रेय आमतौर पर इसकी स्टार कास्ट को दिया जाता है, लेकिन राजामौली इसके अपवाद हैं। इनकी डायरेक्ट की हुई फिल्म 'बाहुबली' एक्शन दृश्यों और कमाई के लिहाज से भारतीय फिल्म जगत के लिए मील का पत्थर है। इस फिल्म में कामयाबी के नए आयाम रचे। फिल्म वैसे तो कई भाषाओं में रिलीज हुई, लेकिन हिंदी पट्टी में इसे मिले रिस्पांस को देखें तो इसने 111.38 करोड़ रुपये की नेट कमाई की। रिलीज के 24 दिनों के भीतर 100 करोड़ के क्लब में शामिल होने वाली इस फिल्म ने जमकर तारीफें बटोरीं और ट्रेड पंडितों ने फिल्म को हिट करार दिया।
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