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This Article is From Dec 22, 2017

इस लड़की का तंग रिलीफ कैंप में देखा गया बड़ा सपना साकार हुआ

राहत कैंप में मुश्किलों से भरा बचपन बिताने वाली नेहा पंडित ने कश्मीर प्रशासनिक सेवा परीक्षा में चौथी रैंक हासिल की

इस लड़की का तंग रिलीफ कैंप में देखा गया बड़ा सपना साकार हुआ
नेहा पंडित ने कश्मीर प्रशासनिक सेवा परीक्षा में चौथा स्थान हासिल किया है.
नई दिल्ली: कश्मीर के राहत कैंप में मुश्किल भरा बचपन बिताने वाली एक आम लड़की आज खास बन गई है. इसका नाम है कश्यप नेहा पंडित. नेहा ने कश्मीर प्रशासनिक सेवा परीक्षा में इस बार चौथी रैंक हासिल की है. उनकी इस सफलता के पीछे उनकी खुद की मेहनत के अलावा माता- पिता और परिवार के दूसरे लोगों का सहयोग भी रहा है. आर्गेनिक केमिस्ट्री से एमएससी कर चुकीं नेहा ने एनडीटीवी इंडिया से बातचीत में अपने संघर्ष की कहानी बताई.      

साल 1990 उनके परिवार के लिए मुश्किलों भरा था. उसी साल नेहा का जन्म हुआ था और दक्षिण कश्मीर में इंसरजेंसी की वजह से परिवार को घर छोड़ना पड़ा. नेहा का बचपन भी राहत कैंप वाले तम्बू में ही बीता. थोड़े दिनों बाद सरकार ने थोड़ा बेहतर आशियाना दिया. पर वह भी एक कमरे वाला घर था. एक ही कमरे में नेहा अपने तीन भाई-बहनों और माता-पिता के साथ रहती थीं. रोशनी का ठीक से इंतज़ाम नहीं था. जाहिर है 12-14 घंटे की पढ़ाई में उन्हें मुश्किल होती थी.
 
neha pandit

नेहा के परिवार को रिलीफ कैंप में 10 हजार रुपये गुजारा करने को मिलता था लिहाज़ा हमेशा पैसे की भी दिक्कत रहती थी. हालांकि नेहा के पिता ने अपने बच्चों को पढ़ाई के लिए हर कोशिश की. बड़े भाई को जब नौकरी मिली तो घर की स्थिति थोड़ी बेहतर हुई.

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नेहा के संघर्ष में परिवार के अलावा जिन दो लोगों ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई उनका नाम है शबीह और मुजावर. पैसे की तंगी की वजह से नेहा कोचिंग नहीं कर सकती थी पर पढ़ाई से जुड़ी लगभग हर जरूरतों का वह ध्यान रखते थे. नेहा को कई बार अपना सिविल सर्विस परीक्षा का सपना मुश्किल लगता था लेकिन हर बार शबीह और मुजावर ने उनकी मुश्किलों में सहारा दिया. नेहा कहती हैं कि मैं मां-पिता के बाद उनको खुदा का दर्ज़ा देती हूं.

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