यह ख़बर 14 फ़रवरी, 2011 को प्रकाशित हुई थी

सजगता रखेगी आपको तनाव से दूर

खास बातें

  • हम सबको तनाव का सामना करना पड़ता है। इससे बचने का तरीका है, जो कुछ भी कर रहे हों, उसे छोड़ कर एक मिनट तक गहरी सांसें लें।
New Delhi:

समय-समय पर हम सबको तनाव का सामना करना पड़ता है। तनाव से बचने का तरीका है, जो कुछ भी कर रहे हों, उसे छोड़ दें और एक मिनट तक गहरी सांसें लें। आप कंधे, हाथ और उंगलियों को भी ढीला छोड़ सकते हैं और फिर कस सकते हैं। सजगता बनाए रखने के लिए थोड़ा अभ्यास जरूरी है। जो भी कर रहे हों अचानक रुक जाएं, कमर और हाथों में आ रहे तनाव को झटक दें और आसपास के माहौल के प्रति सचेत हो जाएं। फिर अपने आपसे पूछें कि कैसा लग रहा है। कई बार आपने महसूस किया होगा कि भूख-प्यास या थकावट महसूस करने पर आपका शरीर प्रतिक्रिया दर्शाता है। मेरी दूसरी बेटी गगनदीप और मुझे भूख व प्यास का पता ही नहीं चलता। इन जरूरतों को पूरा करने के बाद ही पता चलता है कि यही हमारे तनाव व गुस्से की वजह थी। जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, हम अपनी जरूरतों पर ध्यान नहीं दे पाते। इसका हल यही है कि वर्तमान में जिएं, अपने आप से पूछें कि आपके साथ ऐसा क्यों होता रहा है? पूरे दिन में कम से कम 30-40 मिनट का समय अपने लिए निकालें। इस समय कुछ भी अच्छा पढ़ें, ध्यान लगाएं या विश्लेषण करें। मौसम, बढ़ती मंहगाई, बॉस या नेता आदि पर हमारा वश नहीं चल सकता है। हां, आप इन बातों को डायरी में लिख सकते हैं या किसी भरोसेमंद दोस्त के साथ बांट सकते हैं। मैं भी हर रोज डायरी लिखता हूं, वह मेरे जीवन की तरह है जिसमें मैंने हर तरह के मुद्दे पर खुलकर लिखा था। जब यह छपी तो इसके चार संस्करण हाथों-हाथ निकल गए। अंग्रेजी में लिखी पुस्तक का अनुवाद हिंदी व पंजाबी में भी छपा। मेरा मित्र महेश हमेशा नकारात्मक विचारों से घिरा रहता था और हालात के लिए स्वंय को दोषी ठहराता रहता था। नकारात्मक लोगों का साथ और नकारात्मक सोच ने उसके चारो ओर उदासी का ऐसा जाल बुन दिया था कि उसे कहीं भी सफलता नहीं मिलती थी। उसने मुझसे पूछा कि मैं इतना खुश क्यों रहता हूं? मैंने उसे बताया कि वह नकारात्मक चिंतन में जितना समय लगाता है उतना ही समय मैं सकारात्मक चिंतन में लगाता हूं। मैंने उसे बताया कि सकारात्मक सोच के क्या-क्या फायदे हो सकते हैं। परिवार में किसी की मौत, तलाक व नौकरी खोना आदि जीवन के तथ्य हैं, जिन्हें आप बदल नहीं सकते, लेकिन आप इन हालात से निकलने का कोई तरीका खोज सकते हैं। कुछ लोग गंभीरता का लबादा ओढ़कर अपने जीवन को ही कष्टमय बना लेते हैं। कुछ भी गंभीरतापूर्वक न सोचें और अपनी हिम्मत बनाएं रखें। 19 जनवरी, 1966 को मेरी शादी हुई, बारात के ज्यादातर लोग देहाती इलाके से थे। वे लोग चण्डीगढ़ देखने के लालच से साथ आ गए कि दूल्हे को छोड़कर चण्डीगढ़ देखने चले जाएंगे। कुछ लोगों को यह बात बड़ी नागवार गुजरी, लेकिन मैंने इसे गंभीरता से नहीं लिया और बात हंसी में उड़ा दी। ऐसे ही बुरे और उदास मौकों पर आपकी हंसी काम आती है। तनाव के समय ऐसी मजेदार बातों पर ध्यान लगा लें जो आपके जीवन का हिस्सा हों। हमारा सारा अस्तित्व इतना उबाऊ और काम के बोझ से भरा है कि हम केवल यही सोचते हैं कि हमारे साथ क्या बुरा हो रहा है? ऐसे में हम छोटी-छोटी बातों की तारीफ करना तक भूल जाते हैं। बुरे बॉस या सहकर्मियों के बीच हमारी सकारात्मकता कहीं खो सी जाती है। ऐसे हालात में सबसे पहले अपना काम खत्म करें और फिर उन बातों पर ध्यान दें जो जीवन में आपके लिए मायने रखती हैं।


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