देश में स्वाइन फ़्लू के बढ़ते ख़तरे के बीच एमआईटी ने एक और चिंता पैदा कर दी है। एमआईटी के एक नए रिसर्च के मुताबिक़, H1N1 वायरस में कुछ नए बदलाव पाए गए हैं, जिससे यह वायरस और ख़तरनाक हो चुका है, हालांकि स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत आने वाले नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायोलॉजी यानी एनआईवी ने इस दावे का खंडन किया है।
एनआईवी का कहना है कि अगर शोध के दावे सच होते तो बीमारी 2015 की बजाय 2014 में ही महामारी में तब्दील हो जाती।
वायरस में बदलाव?
-अमेरिकी शोध ने 2014 के वायरस में तीन नए म्यूटेशंस का दावा किया है
-इनमें से एक वायरस को इंसानी कोशिकाओं से मजबूती से जोड़ता है
-दूसरे बदलाव वायरस को मौजूदा टीके के मुकाबले ज्यादा प्रतिरोधी बना सकते हैं।
आंकड़ों पर एक नजर-
-2013 में कुल 5253 मामले आए, जिनमें 699 मौतें हुईं
-2014 में सिर्फ 937 मरीज़ आए और 218 लोग मौत का शिकार बने
-इस साल अभी तक 25 हजार केस आए हैं और 1400 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं
स्वाइन फ़्लू से 25000 लोग बीमार हुए हैं, लेकिन बोस्टन एमआईटी के दो वैज्ञानिकों का जो दावा है वह कहीं ज़्यादा ख़तरनाक है। उनका कहना है कि भारत में 2014 में स्वाइन फ़्लू के H1N1 वायरस में बदलाव देखे गए हैं। क्या ये मरीज़ स्वाइन फ्लू के नए और ज्यादा ख़तरनाक वायरस के शिकार हैं।
दूसरी तरफ नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे और स्वाइन फ्लू वायरस पर नजर रख रहे हैं। नेशनल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल, दिल्ली का कहना है खतरा इतना बड़ी नहीं जितना कहा जा रहा है। अगर अमेरिकी शोध के दावे सच होते तो बीमारी 2015 की बजाय 2014 में ही महामारी में तब्दील हो जाती।
वहीं स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक वायरस में कोई बहुत ज्यादा तब्दीली नहीं आई है और ना ही उनमें टैमीफ्लू दवा के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता ही विकसित हुई है। ये भी कहा जा रहा है कि जागरूकता और बेहतर बचाव ही इसका सबसे अच्छा और आसान इलाज है।
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