Solar System से दूर वैज्ञानिकों ने खोजा Planet X
वैज्ञानिकों ने सौरमंडल के किनारे बाहरी भाग में सबसे अधिक दूरी पर स्थित ऐसे पिंड का पता लगाया है जो प्रत्येक 40,000 वर्ष में सूर्य की एक परिक्रमा पूरा करता है. वैज्ञानिकों की इस खोज से ग्रह ‘एक्स’ की मौजूदगी को बल मिला है. नये पिंड का नाम ‘2015 टीजी 387 रखा गया है. यह सूर्य से करीब 80 खगोलीय यूनिट (एयू) की दूरी पर स्थित है. एयू पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी बताने वाला एक पैमाना है. उदाहरण के लिये प्लूटो करीब 34 एयू की दूरी पर स्थित है. इसलिए ‘2015 टीजी 387’ इस वक्त सूर्य से प्लूटो की दूरी से भी करीब ढाई गुणा दूर है.
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अमेरिका में कार्नेगी इंस्टीट्यूट फॉर साइंस के अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि यह पिंड बेहद विस्तृत कक्षा में मौजूद है और यह कभी सूर्य के निकट नहीं आया है. इस बिंदु को ‘पेरिहेलियन’ कहते हैं यानि ग्रह-कक्षा का वह बिंदु जिस पर कोई ग्रह सूर्य के निकटतम होता है. सिर्फ ‘2012 वीपी 113’ और ‘सेडना’ का पेरिहेलिया ‘2015 टीजी 387’ से ज्यादा है जो क्रमश: 80 और 76 एयू की दूरी पर स्थित है.
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‘2015 टीजी 387’ तीसरा सबसे अधिक पेरिहेलियन दूरी वाला पिंड है, हालांकि इसकी कक्षीय अर्धप्रमुख धुरी ‘2012 वीपी 113’ और ‘सेडना’ से बड़ी है. इसका मतलब है कि ‘2015 टीजी 387’, शेष दोनों से सूर्य से कहीं अधिक दूरी तय करता है. ‘2015 टीजी 387’ उन ज्ञात पिंडों में से एक है जो गुरुत्वाकर्षणीय प्रभाव के कारण कभी सौर मंडल के विशाल ग्रहों जैसे कि नेप्चून (वरुण) और बृहस्पति के समीप नहीं आया है.
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कार्नेगी से स्कॉट शेप्पर्ड ने कहा, ‘2015 टीजी 387, 2012 वीपी 113 और सेडना जैसे इन कथित आंतरिक और्ट बादल वाले पिंड सौर मंडल के सबसे ज्ञात पिंडों से अलग-थलग हैं, जो उन्हें अत्यधिक रोचक बनाती है.’ और्ट बादल या और्ट क्लाउड एक गोले के रूप का धूमकेतुओं का बादल है जो सूर्य से लगभग एक प्रकाश-वर्ष के दूरी पर हमारे सौरमंडल को घेरे हुए है. उन्होंने कहा, ‘‘सौर मंडल के किनारे बाहरी भाग में क्या कुछ घटित हो रहा है, यह जानने के लिये इन पिंडों का इस्तेमाल किया जा सकता है.’
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‘2015 टीजी 387’ तीसरा सबसे अधिक पेरिहेलियन दूरी वाला पिंड है, हालांकि इसकी कक्षीय अर्धप्रमुख धुरी ‘2012 वीपी 113’ और ‘सेडना’ से बड़ी है. इसका मतलब है कि ‘2015 टीजी 387’, शेष दोनों से सूर्य से कहीं अधिक दूरी तय करता है. ‘2015 टीजी 387’ उन ज्ञात पिंडों में से एक है जो गुरुत्वाकर्षणीय प्रभाव के कारण कभी सौर मंडल के विशाल ग्रहों जैसे कि नेप्चून (वरुण) और बृहस्पति के समीप नहीं आया है.
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