फिल्म से ली गई तस्वीर
मुंबई:
अक्षय कुमार और निमरत कौर की फिल्म 'एयरलिफ्ट' ने बॉक्स ऑफिस पर 100 करोड़ रुपये के कलेक्शन का आंकड़ा पार कर लिया है। वहीं, बॉलीवुड भी इस फिल्म की तारीफ करते नहीं थक रहा है। इस बीच इससे जुड़ी एक और कहानी सामने आई है, जो फिल्म में नहीं दिखाई गई।
एयर इंडिया के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि युद्ध से तबाह कुवैत से बड़े पैमाने पर भारतीय लोगों को निकाला गया था। उन्होंने कहा कि वहां से लोगों को निकालने का काम बिल्कुल सटीकता से किया गया था और इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है।
एयर इंडिया के जनसंपर्क प्रमुख थे जीतेंद्र भार्गव
एयर इंडिया के पूर्व कार्यकारी निदेशक जीतेंद्र भार्गव ने मंगलवार को फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा कि 'एयरलिफ्ट' फिल्म ने 25 साल पहले कुवैत में रह रहे एक लाख 70 हजार भारतीयों को वहां से निकालने की कहानी को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। किस प्रकार इसे गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया, यह एक रोचक कहानी है।
भार्गव बताते हैं कि वह एयर इंडिया के जनसंपर्क प्रमुख थे। उनका काम रोज मीडिया में बयान जारी करना था कि पिछले 24 घंटों में कितने हवाई जहाज में कितने लोग सुरक्षापूर्वक अम्मान से भारत के विभिन्न शहरों में लाए गए। साथ ही अगले दिन कितने विमान उड़ान भरने वाले हैं।
जीतेंद्र भार्गव याद करते हुए कहते हैं कि चूंकि उस जमाने में गूगल नहीं था, जहां से हम कोई भी सूचना बड़ी आसानी से पा सकते हैं, तो मैं गिनीज बुक के प्रकाशक का पता ढूंढ़ने के लिए ईरोज सिनेमा के पास एक किताब की दुकान गया और वहां गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की एक प्रति खरीदी।
गिनीज बुक के संपादक को भेजा गया खत
उसके बाद जीतेंद्र भार्गव ने गिनीज बुक के संपादक को एक खत भेजकर (उस जमाने में ईमेल नहीं थे) नागरिक विमानन कंपनी द्वारा किए गए किसी बचाव अभियान की जानकारी रिकॉर्ड में होने की सूचना मांगी। एक पखवाड़े बाद गिनीज बुक के संपादक का जबावी पत्र आया कि उनके किताब में ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है। इस दौरान लोगों को लाने का काम लगातार चलता रहा।
एयर इंडिया ने अपने सारे विमानों को इस काम में लगा दिया था। यहां तक कि इसके लिए एयर इंडिया और वायुसेना दोनों ने मिलकर अपने विमानों को इस काम में लगा दिया, क्योंकि आनेवालों की तादात लाखों में थी।
ऐसे शामिल किया गया 'गिनीज बुक' में 'एयर इंडिया' का नाम
भार्गव ने कहा कि बचाव कार्य पूरा होने के बाद उन्होंने गिनीज बुक वालों को इस अभियान से जुड़ी सभी जानकारियों, जैसे मुसाफिरों की संख्या, विमानों की संख्या, उड़ान की संख्या, उड़ान के घंटे, समूचे अभियान में लगा वक्त आदि से जुड़े दस्तावेजों के साथ पत्र भेजा। गिनीज बुक वालों ने इस रिकॉर्ड को स्वीकार कर लिया और विधिवत एक पत्र के माध्यम से हमें सूचित किया।
उसके बाद हमें काफी लंबा इंतजार करना पड़ा और कई महीनों बाद जब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस का अगला अंक प्रकाशित हुआ तो उसमें एयर इंडिया की उपलब्धि भी शामिल थी। वह बताते हैं कि एक बार फिर वह उसी बुक स्टोर में गए और अपनी कंपनी के अभिलेखागार में रखने के लिए गिनीज बुक की एक प्रति खरीदी। एयर इंडिया की यह उपलब्धि अभी भी एक विश्व रिकॉर्ड है, जिसे 13 अगस्त से 11 अक्टूबर, 1990 के बीच अंजाम दिया गया था।
उस समय कुवैत में 1,70,000 से ज्यादा भारतीय फंसे हुए थे और उन लोगों को अम्मान से मुंबई लाने के लिए एयर इंडिया के विमानों ने कुल 488 उड़ानें भरीं थी। यह दूरी 4000 किलोमीटर से भी ज्यादा थी। यह अभियान खाड़ी युद्ध के दौरान चलाया गया था, जिसमें कुवैत और इराक में रह रहे भारतीय लोगों को बचाया गया था।
एयर इंडिया के एक पूर्व अधिकारी ने बताया कि युद्ध से तबाह कुवैत से बड़े पैमाने पर भारतीय लोगों को निकाला गया था। उन्होंने कहा कि वहां से लोगों को निकालने का काम बिल्कुल सटीकता से किया गया था और इसे गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज किया गया है।
एयर इंडिया के जनसंपर्क प्रमुख थे जीतेंद्र भार्गव
एयर इंडिया के पूर्व कार्यकारी निदेशक जीतेंद्र भार्गव ने मंगलवार को फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा कि 'एयरलिफ्ट' फिल्म ने 25 साल पहले कुवैत में रह रहे एक लाख 70 हजार भारतीयों को वहां से निकालने की कहानी को एक बार फिर चर्चा में ला दिया है। किस प्रकार इसे गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज किया गया, यह एक रोचक कहानी है।
भार्गव बताते हैं कि वह एयर इंडिया के जनसंपर्क प्रमुख थे। उनका काम रोज मीडिया में बयान जारी करना था कि पिछले 24 घंटों में कितने हवाई जहाज में कितने लोग सुरक्षापूर्वक अम्मान से भारत के विभिन्न शहरों में लाए गए। साथ ही अगले दिन कितने विमान उड़ान भरने वाले हैं।
जीतेंद्र भार्गव याद करते हुए कहते हैं कि चूंकि उस जमाने में गूगल नहीं था, जहां से हम कोई भी सूचना बड़ी आसानी से पा सकते हैं, तो मैं गिनीज बुक के प्रकाशक का पता ढूंढ़ने के लिए ईरोज सिनेमा के पास एक किताब की दुकान गया और वहां गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स की एक प्रति खरीदी।
गिनीज बुक के संपादक को भेजा गया खत
उसके बाद जीतेंद्र भार्गव ने गिनीज बुक के संपादक को एक खत भेजकर (उस जमाने में ईमेल नहीं थे) नागरिक विमानन कंपनी द्वारा किए गए किसी बचाव अभियान की जानकारी रिकॉर्ड में होने की सूचना मांगी। एक पखवाड़े बाद गिनीज बुक के संपादक का जबावी पत्र आया कि उनके किताब में ऐसा कोई रिकॉर्ड नहीं है। इस दौरान लोगों को लाने का काम लगातार चलता रहा।
एयर इंडिया ने अपने सारे विमानों को इस काम में लगा दिया था। यहां तक कि इसके लिए एयर इंडिया और वायुसेना दोनों ने मिलकर अपने विमानों को इस काम में लगा दिया, क्योंकि आनेवालों की तादात लाखों में थी।
ऐसे शामिल किया गया 'गिनीज बुक' में 'एयर इंडिया' का नाम
भार्गव ने कहा कि बचाव कार्य पूरा होने के बाद उन्होंने गिनीज बुक वालों को इस अभियान से जुड़ी सभी जानकारियों, जैसे मुसाफिरों की संख्या, विमानों की संख्या, उड़ान की संख्या, उड़ान के घंटे, समूचे अभियान में लगा वक्त आदि से जुड़े दस्तावेजों के साथ पत्र भेजा। गिनीज बुक वालों ने इस रिकॉर्ड को स्वीकार कर लिया और विधिवत एक पत्र के माध्यम से हमें सूचित किया।
उसके बाद हमें काफी लंबा इंतजार करना पड़ा और कई महीनों बाद जब गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्डस का अगला अंक प्रकाशित हुआ तो उसमें एयर इंडिया की उपलब्धि भी शामिल थी। वह बताते हैं कि एक बार फिर वह उसी बुक स्टोर में गए और अपनी कंपनी के अभिलेखागार में रखने के लिए गिनीज बुक की एक प्रति खरीदी। एयर इंडिया की यह उपलब्धि अभी भी एक विश्व रिकॉर्ड है, जिसे 13 अगस्त से 11 अक्टूबर, 1990 के बीच अंजाम दिया गया था।
उस समय कुवैत में 1,70,000 से ज्यादा भारतीय फंसे हुए थे और उन लोगों को अम्मान से मुंबई लाने के लिए एयर इंडिया के विमानों ने कुल 488 उड़ानें भरीं थी। यह दूरी 4000 किलोमीटर से भी ज्यादा थी। यह अभियान खाड़ी युद्ध के दौरान चलाया गया था, जिसमें कुवैत और इराक में रह रहे भारतीय लोगों को बचाया गया था।
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