
13 वर्षीय लड़की ने अनजाने में पिन निगल लिया था. तस्वीर: प्रतीकात्मक
नई दिल्ली:
अफगानिस्तान की एक 13 वर्षीय लड़की ने अनजाने में पिन निगल लिया था. नई दिल्ली के एक अस्पताल में चिकित्सकों ने आपरेशन कर पेट से 6 सेमी का पिन निकाला और बच्ची की जान बचाई. वीपीएस रॉकलैंड हॉस्पिटल ने एक बयान में कहा कि लड़की ने सुबह कपड़ा पहनकर तैयार होते समय अनजाने में लोहे का नुकीला पिन निगल लिया था. उसे उपचार के लिए नई दिल्ली लाया गया. 24 घंटे के भीतर उसे आपात वीजा दिया गया. लगभग 72 घंटों तक यह पिन लड़की के भीतर रहा, उसके बाद उसकी सर्जरी की गई.
अस्पताल के सर्जिकल अंकोलॉजी, कार्डियोथोरेसिक एवं एनेस्थेसियोलॉजी विभागों के डॉक्टरों की टीमों ने सामूहिक रूप से मिलकर अफगानी लड़की को नया जीवन दिया है.
जिस पिन को उसने अनजाने में निगल लिया था, वह श्वसनी में घुस गया, जिससे गंभीर रूप से खांसी एवं बेचैनी होने लगी. एक्स-रे और सीटी स्कैन की शुरुआती तस्वीरों में पता चला कि यह पिन बाए द्वितीयक कैरीना में धंस गया था और बाई मुख्य फुफ्फुसीय धमनी में फंस गया.
वीपीएस रॉकलैंड हॉस्पिटल के वरिष्ठ थोरेसिक सर्जन एवं अंकोलॉजी सर्विसेज के निदेशक, डॉ. अरुण कुमार गिरि ने स्थिति के अनुरूप तुरंत कार्रवाई की.
डॉ. गिरि ने कहा, "पिन को बाहर निकालने के लिए वीडियो असिस्टेड इंडोस्कोपिक सर्जरी सर्वोत्तम विकल्प था. कार्डियक इमर्जेसी यूनिट को भी सूचित किया गया, ताकि आंतरिक रक्तस्राव के चलते ओपन हार्ट सर्जरी की आवश्यकता पड़ने पर उनकी सहायता ली जा सके. मरीज को मॉनिटर्ड केयर एनस्थेसिया दी गई, और रक्तचाप की नियमित जांच की जाती रही, ताकि हृदय की क्रियाशीलता सामान्य बनी रहे. ऑपरेशन में लगभग एक घंटे का समय लगा, जिसके बाद पिन बाहर निकाला जा सका और वो भी बिना किसी आंतरिक रक्तस्राव के."
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
अस्पताल के सर्जिकल अंकोलॉजी, कार्डियोथोरेसिक एवं एनेस्थेसियोलॉजी विभागों के डॉक्टरों की टीमों ने सामूहिक रूप से मिलकर अफगानी लड़की को नया जीवन दिया है.
जिस पिन को उसने अनजाने में निगल लिया था, वह श्वसनी में घुस गया, जिससे गंभीर रूप से खांसी एवं बेचैनी होने लगी. एक्स-रे और सीटी स्कैन की शुरुआती तस्वीरों में पता चला कि यह पिन बाए द्वितीयक कैरीना में धंस गया था और बाई मुख्य फुफ्फुसीय धमनी में फंस गया.
वीपीएस रॉकलैंड हॉस्पिटल के वरिष्ठ थोरेसिक सर्जन एवं अंकोलॉजी सर्विसेज के निदेशक, डॉ. अरुण कुमार गिरि ने स्थिति के अनुरूप तुरंत कार्रवाई की.
डॉ. गिरि ने कहा, "पिन को बाहर निकालने के लिए वीडियो असिस्टेड इंडोस्कोपिक सर्जरी सर्वोत्तम विकल्प था. कार्डियक इमर्जेसी यूनिट को भी सूचित किया गया, ताकि आंतरिक रक्तस्राव के चलते ओपन हार्ट सर्जरी की आवश्यकता पड़ने पर उनकी सहायता ली जा सके. मरीज को मॉनिटर्ड केयर एनस्थेसिया दी गई, और रक्तचाप की नियमित जांच की जाती रही, ताकि हृदय की क्रियाशीलता सामान्य बनी रहे. ऑपरेशन में लगभग एक घंटे का समय लगा, जिसके बाद पिन बाहर निकाला जा सका और वो भी बिना किसी आंतरिक रक्तस्राव के."
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)