हरदा (मध्य प्रदेश):
भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा पर जारी तनाव को लेकर भले ही राजनैतिक और राजनयिक रिश्तों में खटास हो, पर पाकिस्तान में रहने वाली एक मुस्लिम बहन को उसके हिन्दू भाई का प्यार हिन्दुस्तान ले ही आया, और वह राखी बांधने हरदा पहुंची।
पाकिस्तान से 15 दिन के वीजा पर भारत आई शाहिदा खलील ने अपने भाई पंकज बाफना को रक्षाबंधन के दिन राखी बांधी, और ऐसा करते हुए उनकी आंखें नम हो गईं।
पाकिस्तान के कराची शहर में रहने वाली शाहिदा खलील ने बताया कि हमारा परिवार मूलत: हरदा का ही रहने वाला है, लेकिन बाद में हम पाकिस्तान चले गए थे। हमारे परिवार के लोग आज भी हरदा में रहते है। मैं बचपन से पंकज बाफना को राखी बांधती थी, लेकिन उसके बाद मेरा हिन्दुस्तान आना नहीं हुआ।
शाहिदा के अनुसार, वह यहां आने के लिए वीजा मांगती थी, पर नहीं मिलता था। अब पांच साल की मेहनत और भाग-दौड़ के बाद वीजा मिला, सो, तीन दिन पहले वह हरदा आ गई। उनके मुताबिक, "मेरी तमन्ना थी कि राखी पर मेरा हिन्दुस्तान जाना हो और मेरी तमन्ना पूरी हुई..."
शाहिदा ने कहा, "आज सालों बाद मैंने पंकज भाई को राखी बांधी, और मैं आज बहुत खुश हूं... अल्लाह से दुआ है मेरे भाई और उसके परिवार को खुश रखे तथा दोनो मुल्कों में अमन और भाईचारा रहे..."
पंकज बाफना ने राखी बंधवाते हुए कहा, "आज बचपन की यादें ताजा हो गईं... वर्षों बाद मेरी बहन शाहिदा घर आई और उसने राखी बांधी, मुझे तोहफे में गणेश की प्रतिमा भी दी... शाहिदा का मानना है कि भगवान गणेश हर दुखों को दूर करने वाले हैं, और शाहिदा की यही दुआ है कि हमारे परिवार में सुख-शांति रहे..."
पंकज की मां इन्दुबाला बाफना ने कहा, "आज का दिन मैं कभी नहीं भुला पाऊंगी... मेरे बेटे पंकज और बेटी शाहिदा का यह भाई-बहन का प्रेम समाज के लिए मिसाल है... ऐसा ही प्रेम दोनों देशों में बना रहना चाहिए..."
पाकिस्तान से 15 दिन के वीजा पर भारत आई शाहिदा खलील ने अपने भाई पंकज बाफना को रक्षाबंधन के दिन राखी बांधी, और ऐसा करते हुए उनकी आंखें नम हो गईं।
पाकिस्तान के कराची शहर में रहने वाली शाहिदा खलील ने बताया कि हमारा परिवार मूलत: हरदा का ही रहने वाला है, लेकिन बाद में हम पाकिस्तान चले गए थे। हमारे परिवार के लोग आज भी हरदा में रहते है। मैं बचपन से पंकज बाफना को राखी बांधती थी, लेकिन उसके बाद मेरा हिन्दुस्तान आना नहीं हुआ।
शाहिदा के अनुसार, वह यहां आने के लिए वीजा मांगती थी, पर नहीं मिलता था। अब पांच साल की मेहनत और भाग-दौड़ के बाद वीजा मिला, सो, तीन दिन पहले वह हरदा आ गई। उनके मुताबिक, "मेरी तमन्ना थी कि राखी पर मेरा हिन्दुस्तान जाना हो और मेरी तमन्ना पूरी हुई..."
शाहिदा ने कहा, "आज सालों बाद मैंने पंकज भाई को राखी बांधी, और मैं आज बहुत खुश हूं... अल्लाह से दुआ है मेरे भाई और उसके परिवार को खुश रखे तथा दोनो मुल्कों में अमन और भाईचारा रहे..."
पंकज बाफना ने राखी बंधवाते हुए कहा, "आज बचपन की यादें ताजा हो गईं... वर्षों बाद मेरी बहन शाहिदा घर आई और उसने राखी बांधी, मुझे तोहफे में गणेश की प्रतिमा भी दी... शाहिदा का मानना है कि भगवान गणेश हर दुखों को दूर करने वाले हैं, और शाहिदा की यही दुआ है कि हमारे परिवार में सुख-शांति रहे..."
पंकज की मां इन्दुबाला बाफना ने कहा, "आज का दिन मैं कभी नहीं भुला पाऊंगी... मेरे बेटे पंकज और बेटी शाहिदा का यह भाई-बहन का प्रेम समाज के लिए मिसाल है... ऐसा ही प्रेम दोनों देशों में बना रहना चाहिए..."
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