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This Article is From Dec 26, 2012

मुंबई : अब आईडी नहीं, तो पीसीओ से फोन भी नहीं कर पाएंगे

मुंबई : अब आईडी नहीं, तो पीसीओ से फोन भी नहीं कर पाएंगे
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पुलिस ने बिना आईडी कार्ड दिखाए पीसीओ से फोन करने पर पाबंदी लगा दी है, इसलिए जिनके पास पहचानपत्र नहीं होगा, उनके लिए फोन करना मुमकिन नहीं रह जाएगा।
मुंबई: मुंबई में लगातार बढ़ती होक्स कॉलों से निपटने के लिए पुलिस ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिससे भले ही उनकी जांच में फायदा हो, लेकिन आम और गरीब आदमी के परेशान होने के आसार बढ़ जाएंगे। पुलिस ने बिना आईडी कार्ड दिखाए पीसीओ से फोन करने पर पाबंदी लगा दी है, इसलिए जिन लोगों के पास कोई पहचानपत्र नहीं होगा, उनके लिए पब्लिक फोन बूथ से फोन करना मुमकिन नहीं रह जाएगा।

मुंबई पुलिस के कमिश्नर डॉ सत्यपाल सिंह ने कहा, हमने जो आदेश दिया है, उसके तहत पीसीओ से फोन करने के इच्छुक लोगों को न सिर्फ आईडी कार्ड दिखाना होगा, बल्कि पीसीओ चलाने वाले के रजिस्टर में अपनी जानकारी भी लिखवानी होगी। इस तरह अगर कोई आदमी गलत कॉल करता है, तो पुलिस को जांच के दौरान फायदा मिल सकेगा।

डॉ सिंह के मुताबिक यह एंटी-टेरर स्टेप है। उन्होंने कहा, जिस तरह मुंबई पुलिस रियल एस्टेट वालों से किरायेदारों की जानकारी मांगती है, मोबाइल फोन के सिमकार्ड बेचने वालों से कार्ड खरीदने वालों की जानकारी मांगती है, उसी तरह अब पीसीओ चालकों से भी फोन करने वालों की जानकारी मांगी जाएगी।

दरअसल, मुंबई में होक्स कॉलरो की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है, और आमतौर पर ऐसे कॉल किसी मॉल या रेलवे स्टेशन में बम आदि रखा होने की जानकारी देने के लिए आते हैं। ऐसे कॉल पीसीओ बूथ से भी किए जाते हैं, जिससे कॉलर को ढूंढना नामुमकिन हो जाता है। जानकारों का कहना है कि एक रुपया खर्च कर किए गए ऐसे झूठे कॉल को रोकने के लिए सरकार को लाखों रुपये खर्च करने पड़ते हैं।

जब भी ऐसे होक्स कॉल आते हैं, पुलिस की तरफ से सबसे पहले बॉम्ब डिस्पोज़ल स्क्वॉड को भेजा जाता है, जिसमें बम निष्क्रिय करने वाले एक अधिकारी के साथ कम से कम 10 पुलिसकर्मी होते हैं, और दो स्निफर डॉग्स भी भेजे जाते हैं। इनके अलावा किसी भी तरह की एमरजेंसी के लिए एम्बुलेंस और फायर ब्रिगेड की गाड़ियों को भी घटनास्थल पर बुलाया जाता है। इसके बाद किसी भी मॉल को पूरी तरह खाली कराकर बम ढूंढने में कम से कम चार घंटे तक खर्च हो जाते हैं। ऐसे में अगर बम किसी ट्रेन में रखे जाने की खबर हो, तो रेलवे के लिए भी लाखों के नुकसान के साथ-साथ मुसाफिरों की भी घंटों फजीहत होती है।

ऐसा भी नहीं है कि इस तरह की कॉल पर रोक लगाने के लिए जांच एजेंसियां कुछ नहीं कर रही हैं। आरपीएफ, यानि रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स ने तो होक्स कॉल कर परेशान करने वालों के खिलाफ आतंकवाद विरोधी कानून के तहत कार्रवाई करने का मन बना लिया था। पुलिस के मुताबिक अभी तक आईपीसी की जिन धाराओं के तहत होक्स कॉलरों पर कार्रवाई होती है, उनमें सिर्फ छह महीने की सजा दी जा सकती है। आमतौर पर अदालतें भी ऐसे शरारती लोगों के खिलाफ सख्त रुख नहीं अपना पातीं, क्योंकि ज्यादातर मामलों में कॉलर का मकसद मजाक होता है।

अब देखना होगा कि मुंबई पुलिस कमिश्नर का यह कदम कितना कारगर साबित होता है, क्योंकि आज के दौर में जहां हर दूसरे शख्स के पास मोबाइल फोन की सुविधा मौजूद है, वहीं पीसीओ से दरअसल, ऐसे गरीब लोग कॉल करते हैं, जिनके लिए हमेशा आईडी कार्ड रखना मुमकिन ही नहीं होता।

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