प्रतीकात्मक तस्वीर
वाशिंगटन:
अंतरिक्ष मिशन का संचालन अब जल्द ही आप की नियंत्रण में हो सकता है, क्योंकि भारतीय मूल के एक वैज्ञानिक समेत अनुसंधानकर्ताओं की एक टीम एक छोटे अंतरिक्षयान का विकास कर रही है, जिससे अंतरिक्ष अन्वेषण के शौकिया लोग बेहद कम लागत में अपने छोटे उपग्रह अंतरिक्षयान में भेज सकेंगे।
एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर जेकन थंगा की अगुवाई में अमन चंद्रा समेत स्नातक छात्रों की एक टीम सनक्यूब फेम्टोसैट नामक अंतरिक्षयान का विकास कर रही है। थंगा ने 'अंतरिक्षयान के समूह' की कल्पना की है।
फिलहाल अंतरिक्षयान का प्रक्षेपण और प्रक्षेपण संबंधी खर्च 60,000-70,000 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा, 'इतने अधिक खर्च के कारण अधिकतर शिक्षण संस्थान और व्यक्ति अपने खुद के अंतरिक्षयान बनाने और उसे प्रक्षेपित करने के कार्य से महरूम हो जाते हैं।'
सनक्यूब फेम्टोसैट को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) भेजने में करीब 1,000 अमेरिकी डॉलर या धरती की निचली कक्षा में भेजने में 3,000 अमेरिकी डॉलर की लागत आएगी।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर जेकन थंगा की अगुवाई में अमन चंद्रा समेत स्नातक छात्रों की एक टीम सनक्यूब फेम्टोसैट नामक अंतरिक्षयान का विकास कर रही है। थंगा ने 'अंतरिक्षयान के समूह' की कल्पना की है।
फिलहाल अंतरिक्षयान का प्रक्षेपण और प्रक्षेपण संबंधी खर्च 60,000-70,000 अमेरिकी डॉलर प्रति किलोग्राम है। अनुसंधानकर्ताओं ने कहा, 'इतने अधिक खर्च के कारण अधिकतर शिक्षण संस्थान और व्यक्ति अपने खुद के अंतरिक्षयान बनाने और उसे प्रक्षेपित करने के कार्य से महरूम हो जाते हैं।'
सनक्यूब फेम्टोसैट को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) भेजने में करीब 1,000 अमेरिकी डॉलर या धरती की निचली कक्षा में भेजने में 3,000 अमेरिकी डॉलर की लागत आएगी।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है)
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