
अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया के विमान हादसे की जांच को लेकर एक बड़ा अपडेट आया है. सूत्रों के हवाले से एनडीटीवी को पता चला है कि हादसे की जगह से मिले विमान के ब्लैक बॉक्स का एक हिस्सा काफी ज्यादा क्षतिग्रस्त लग रहा है. यह संभवतः विमान के क्रैश होने के बाद लगे जोरदार इम्पैक्ट की वजह से हुआ होगा. इसे जांच के लिए अमेरिका, ब्रिटेन के अलावा सिंगापुर भेजे जाने पर विचार किया जा रहा है. ब्लैक बॉक्स के दूसरे हिस्से की जांच भारत की ही एक लैब में कराई जा सकती है.
गौरतलब है कि अहमदाबाद से 12 जून को लंदन के लिए उड़ने के 36 सेकंड बाद एयर इंडिया की उड़ान एआई-171 क्रैश हो गई थी. ड्रीमलाइनर विमान के मलबे से ब्लैक बॉक्स बरामद किया गया था. इसके दो हिस्से होते हैं. कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (सीवीआर) और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (एफडीआर). इन्हें सामूहिक रूप से ब्लैक बॉक्स कहा जाता है. इसी ब्लैक बॉक्स से हादसे की वजह के बारे में पुख्ता जानकारी मिल सकती है. इस ब्लैक बॉक्स में उड़ान के अंतिम क्षणों की गतिविधियां जैसे ऊंचाई, गति और कॉकपिट में हुई बातचीत की जानकारी रिकॉर्ड होती रहती है.
फिलहाल ब्लैक बॉक्स के ये दोनों उपकरण एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) की कड़ी निगरानी में हैं. एनडीटीवी को सूत्रों से पता चला है कि क्रैश की वजह से इनकी बाहरी सतह को नुकसान हुआ है. ऐसे में अगर सावधानी से काम नहीं किया गया तो डेटा क्षतिग्रस्त होने का खतरा पैदा हो सकता है. पता चला है कि ब्लैक बॉक्स के दोनों उपकरणों में से एक ज्यादा क्षतिग्रस्त लग रहा है. अब ये तय किया जाना है कि इन्हें जांच के लिए कहां पर भेजा जाए.
जांच से जुड़े सूत्रों के हवाले से एनडीटीवी को जानकारी मिली है कि ब्लैक बॉक्स को जिन जगहों पर भेजने पर विचार किया जा रहा है कि उनमें अमेरिका, यूके, सिंगापुर के अलावा भारत के लखनऊ में स्थित HAL फैसिलिटी भी शामिल है. विकल्पों में अमेरिका की NTSB , यूके की सिविल एविएशन अथॉरिटी और सिंगापुर भी शामिल हैं.
पता चला है कि ब्लैक बॉक्स के बाहरी हिस्से को ज्यादा नुकसान पहुंचा है. हो सकता है कि अंदर भी इसका इम्पैक्ट हुआ हो. ऐसे में इसका डेटा बेहद सावधानी से निकालने की जरूरत है. डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉइस रिकॉर्डर का पूरा डेटा बाइनरी फॉर्म में होता है. मतलब कंप्यूटर की तरह 0 और 1 के फॉर्मेट में सेव रहता है. इस डेटा को जांच के लिए बाइनरी से इंजीनियरिंग फॉर्मेट में ट्रांसफर किया जाता है. उसी के बाद जानकारी हासिल की जा सकती है. इस जानकारी के आधार पर हादसे की वजह से असल वजह का पता लगाया जाता है.
एनडीटीवी को जो जानकारी मिली है, उसके मुताबिक ब्लैक बॉक्स की हालत को देखते हुए एक्सपर्ट कोई रिस्क लेना नहीं चाहते. वे चाहते हैं कि इसे सुरक्षित तरीके से ही खोला जाए ताकि अंदर सेव डेटा को नुकसान न पहुंचे. इसके लिए अमेरिका, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे विकल्पों पर विचार किया जा रहा है.
पता चला है कि दूसरे ब्लैक बॉक्स को कम नुकसान हुआ है. वह सुरक्षित स्थिति में है. ऐसे में माना जा रहा है कि उस ब्लैक बॉक्स की जांच भारत में ही कराई जा सकती है. यह जिम्मा लखनऊ स्थित HAL की फैसिलिटी को सौंपा जा सकता है. बहरहाल अंतिम फैसला हर तरह के संभावित खतरे को देखकर ही लिया जाएगा.
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