
रोबोट (प्रतीकात्मक फोटो)
न्यूयॉर्क:
अमेरिका और जर्मनी के शोधार्थियों के एक दल ने ऐसा तरीका खोज निकाला है, जिसकी मदद से रोबोट इंसानों की तरह चल और दौड़ सकेंगे। इस शोध ने भविष्य में रोबोट को जंग के मैदान में सैनिकों के तौर पर उतारने के दरवाजे खोल दिए हैं। अध्ययन सफल रहा तो रोबोट्स सशस्त्र बलों की तरह काम कर सकेंगे। इमारतों में आग लग जाने पर दमकलकर्मी की तरह लोगों की जान बचा सकेंगे, साथ ही कारखानों और घरों में नई भूमिकाओं में कई काम कर सकेंगे।
ऑरेगोन स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक जोनॉथन हर्स्ट ने बताया कि हमने मूलरूप से मनुष्यों के चलने के तरीके के मौलिक विज्ञान का प्रदर्शन किया है। 'स्प्रिंग मास' अवधारणा पर आधारित इस प्रणाली का सिद्धांत एक दशक पहले सामने आया था। यह सिद्धांत यांत्रिक प्रणाली वाले निष्क्रिय गतिशीलता को कंप्यूटर नियंत्रण के साथ जोड़ता है। यह मनुष्यों की तरह चलने और अनिवार्य रूप से संतुलन बनाए रखने की क्षमता प्रदान करता है।
मानव के आकार के रोबोट का निर्माण शुरू
हाल ही में ऑरेगोन स्टेट यूनिवर्सिटी में मानव के आकार के रोबोट का निर्माण शुरू किया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये रोबोट संतुलन बनाए रखने के साथ ही ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चल सकते हैं। यह तकनीक ओएसयू के द्वारा इंसानों और जानवरों के चलने और दौड़ने की प्रक्रिया के गहन अध्ययन के बाद तैयार की गई है।
इस तकनीक के बारे में हर्स्ट ने कहा कि यह एक उदाहरण है कि कैसे हम भविष्य में इस पर पकड़ मजबूत कर सकते हैं। इस अध्ययन के सिद्ध हेने के बाद शोधकर्ताओं के अनुसार, गति की इस तकनीक से विकलांग लोगों की भी सहायता की जा सकेगी। यह निष्कर्ष पत्रिका 'आईईईई ट्रांजैक्शंस ऑन रोबोटिक्स' में प्रकाशित हुआ है।
ऑरेगोन स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक जोनॉथन हर्स्ट ने बताया कि हमने मूलरूप से मनुष्यों के चलने के तरीके के मौलिक विज्ञान का प्रदर्शन किया है। 'स्प्रिंग मास' अवधारणा पर आधारित इस प्रणाली का सिद्धांत एक दशक पहले सामने आया था। यह सिद्धांत यांत्रिक प्रणाली वाले निष्क्रिय गतिशीलता को कंप्यूटर नियंत्रण के साथ जोड़ता है। यह मनुष्यों की तरह चलने और अनिवार्य रूप से संतुलन बनाए रखने की क्षमता प्रदान करता है।
मानव के आकार के रोबोट का निर्माण शुरू
हाल ही में ऑरेगोन स्टेट यूनिवर्सिटी में मानव के आकार के रोबोट का निर्माण शुरू किया गया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये रोबोट संतुलन बनाए रखने के साथ ही ऊबड़-खाबड़ रास्तों पर चल सकते हैं। यह तकनीक ओएसयू के द्वारा इंसानों और जानवरों के चलने और दौड़ने की प्रक्रिया के गहन अध्ययन के बाद तैयार की गई है।
इस तकनीक के बारे में हर्स्ट ने कहा कि यह एक उदाहरण है कि कैसे हम भविष्य में इस पर पकड़ मजबूत कर सकते हैं। इस अध्ययन के सिद्ध हेने के बाद शोधकर्ताओं के अनुसार, गति की इस तकनीक से विकलांग लोगों की भी सहायता की जा सकेगी। यह निष्कर्ष पत्रिका 'आईईईई ट्रांजैक्शंस ऑन रोबोटिक्स' में प्रकाशित हुआ है।
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