सालों की महनत से वैज्ञानिकों ने नेपच्यून (Neptune) के पास रहस्यमय चांद खोज निकाला है. नेपच्यून सोलर सिस्टम का 8वां ग्रह है. इसे चौथा सबसे बड़ा ग्रह माना जाता है. यहां हाइड्रोजन, हीलियम और मीथेन गैस पाई जाती है. SETI नाम की संस्था (SETI Institute in Mountain View) ने इस चांज की खोज की है. जिसका नाम हिप्पेकैंप (Hippocamp) रखा गया है. SETI वायुमंडल में चीजों के बारे में खोज करती है. हिप्पेकैंप (Hippocamp) चांद से काफी छोटा है. नेपच्यून (Neptune) में एक नहीं बल्कि 13 चांद हैं.
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नेप्च्यून (Neptune) के ही दूसरे चांद प्रोटियस को सबसे बड़ा माना जाता है. हिप्पेकैंप प्रोटियस (Proteus) के काफी करीब है. नेपच्यून के नए चांद का साइज करीब 18 मील है. यह भारत के इकलौते चांद से करीब 100 गुना छोटा है. वैज्ञानिकों की मानें तो प्रोटियस (Proteus) का टूटा हिस्सा ही हिप्पेकैंप (Hippocamp) हो सकता है, ये इससे बहुत करीब है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, कॉमेट प्रोटियस से टकराया होगा और टूटकर नया चांद बन गया होगा. हिप्पेकैंप काफी ठंडा है. नेप्च्यून का सबसे बड़ा चांद प्रोटियस भी काफी ठंडा है.
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Seti इंस्ट्रिट्यूट इन माउनटेन व्यू के मार्क शोवॉल्टर ने कहा- 'सबसे पहले ये समझना मुश्किल था कि नेपच्यून में छोटा चांद कैसे मौजदू हो सकता है. पहले जिस जगह प्रोटियस था अब उस जगह हिप्पोकैंप है. लेकिन ये प्रोटियस से काफी छोटा है.' प्रोटियस और हिप्पोकैंप की बीच की दूरी 7,500 मील (12,070 किलोमीटर से ज्यादा) है.
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नासा एम्स रिसर्च के जैक लिसॉअर ने कहा- 'धूमकेतु के आबादी के अनुमानों के आधार पर, हमें पता है कि बाहरी सोलर सिस्टम के कई चांद पर धूमकेतु ने हमला किया होगा. जिससे एक चांद से कई चांद बन गए होंगे. धूमकेतु की वजह से कई चांद बुरी तरह ध्वस्त हो गए हैं.' हिप्पोकैंप का वर्णन ग्रीक पौराणिक कथाओं में है. इसका मतलब विशाल समुद्री जीव होता है. जो आगे से घोड़े की तरह और पीछे से मछली की तरह लगता है.
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इस अध्ययन में Seti के एम. शोवॉल्टर और आर. फ्रेंच, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया के आई.डी पैटर, नासा एम्स रिसर्च सेंटर के जे. लिसॉअर शामिल थे.
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