फोटो सौजन्य : AFP
नई दिल्ली:
बिजली के तार वाली बाड़ लगाने और एयरगन का उपयोग करने सहित कई तरीके अपनाए जाने के बावजूद बंदरों की समस्या से निपटने में असफल रहने के बाद एनडीएमसी ने अब परंपरागत तरीका अपना कर उन्हें खाने का लालच देकर पिंजरे में बंद करने का निर्णय लिया है।
नई दिल्ली नगर पलिका परिषद (एनडीएमसी) के अधिकार क्षेत्र वाले इलाके में लगभग 8500 बंदर हैं और नगर निकाय ने हाल में बिजली के तार वाली बाड़ लगाने सहित कई तरीके अपनाये और इसमें लाखों रुपये खर्च कर दिए। बिजली के तार वाली बाड़ पर पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने आपत्ति की थी।
एक वरिष्ठ एनडीएमसी अधिकारी ने बताया, हमने बंदर संकट से निपटने के लिए कई तरीके अपनाए, लेकिन पशु अधिकार कार्यकर्ताओं की आपत्ति के कारण बाद में हमें इन्हें वापस लेना पड़ा। अब हमने परंपरागत तरीका अपनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया, जहां पर बंदरों की उपस्थिति होगी वहां पर हम एक पिंजरा रखेंगे और बंदर पकड़ने वाले उन्हें खाने का लालच देकर उन्हें फंसाएंगे। यह प्रक्रिया कठिन और समय लगने वाला होगा, लेकिन यहां अधिक विकल्प मौजूद नहीं है। एनडीएमसी ने लंगूर रखने वालों की भर्ती सहित, उन्हें दूर भगाने के लिए लंगूरों की आवाज निकालने वालों की समस्या, एयर गन और रबर की गोलियों के इस्तेमाल के बाद यह तरीका अपनाया है।
इस साल मार्च में, इस इलाके में भवनों में एक कम क्षमता वाला बिजली का तार लगाया था जिस पर प्रति इमारत 5,00,000 खर्च आया था, हालांकि इस प्रक्रिया को रोकने के लिए नगर निकाय को एक पशु अधिकार संगठन द्वारा कानूनी नोटिस भेजे जाने के बाद इस योजना से पीछे हटना पड़ा। इस याचिका में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की दलील दी गई थी।
नई दिल्ली नगर पलिका परिषद (एनडीएमसी) के अधिकार क्षेत्र वाले इलाके में लगभग 8500 बंदर हैं और नगर निकाय ने हाल में बिजली के तार वाली बाड़ लगाने सहित कई तरीके अपनाये और इसमें लाखों रुपये खर्च कर दिए। बिजली के तार वाली बाड़ पर पशु अधिकार कार्यकर्ताओं ने आपत्ति की थी।
एक वरिष्ठ एनडीएमसी अधिकारी ने बताया, हमने बंदर संकट से निपटने के लिए कई तरीके अपनाए, लेकिन पशु अधिकार कार्यकर्ताओं की आपत्ति के कारण बाद में हमें इन्हें वापस लेना पड़ा। अब हमने परंपरागत तरीका अपनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया, जहां पर बंदरों की उपस्थिति होगी वहां पर हम एक पिंजरा रखेंगे और बंदर पकड़ने वाले उन्हें खाने का लालच देकर उन्हें फंसाएंगे। यह प्रक्रिया कठिन और समय लगने वाला होगा, लेकिन यहां अधिक विकल्प मौजूद नहीं है। एनडीएमसी ने लंगूर रखने वालों की भर्ती सहित, उन्हें दूर भगाने के लिए लंगूरों की आवाज निकालने वालों की समस्या, एयर गन और रबर की गोलियों के इस्तेमाल के बाद यह तरीका अपनाया है।
इस साल मार्च में, इस इलाके में भवनों में एक कम क्षमता वाला बिजली का तार लगाया था जिस पर प्रति इमारत 5,00,000 खर्च आया था, हालांकि इस प्रक्रिया को रोकने के लिए नगर निकाय को एक पशु अधिकार संगठन द्वारा कानूनी नोटिस भेजे जाने के बाद इस योजना से पीछे हटना पड़ा। इस याचिका में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की दलील दी गई थी।
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