भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर रघुराम राजन ने अपने स्कूली दिनों को याद करते हुए बताया कि उनके माता-पिता उनके (रघुराम राजन के) लिए स्कूल की वर्दी का कोट भी नहीं खरीद सकते थे, और स्कूल के ऑरकेस्ट्रा में बैन्जो बजाना बहुत पसंद था... हालांकि गुरुवार को देश की राजधानी नई दिल्ली स्थित अपने पुराने स्कूल में पहुंचे आरबीआई गवर्नर ने अपने बचपन की यादों को साझा करते हुए आज के विद्यार्थियों को आर्थिक उदारीकरण के दौर का अधिकाधिक लाभ उठाने का भी सुझाव दिया...
बचपन के दिनों को वैसे भी कोई नहीं भूल पाता, और फिर उन्हीं दिनों की यादों के जरिये अगली पीढ़ी को कुछ सिखाना अनूठी खुशी देता है... ऐसी ही खुशी रघुराम राजन के चेहरे पर दिखी, जब उन्होंने दिल्ली पब्लिक स्कूल की आरके पुरम शाखा में इस पीढ़ी के विद्यार्थियों, उनके अभिभावकों और अध्यापकों को संबोधित किया... उन्होंने बताया कि जब वर्ष 1974 में उन्होंने इस स्कूल में दाखिला लिया था, तब उनके माता-पिता को इसके लिए बेहद कड़े प्रयास करने पड़े थे, लेकिन यहां से वह बेहतर शख्स बनकर निकले... रघुराम राजन के अनुसार, वह ऐसा वक्त था, जब उनके पास कोट नहीं होता था, और वह स्वेटर पहनकर स्कूल जाया करते थे...
पिछले कुछ दशकों में बेहतरी की दिशा में आए बदलावों का ज़िक्र करते हुए रघुराम राजन ने कहा, "मुझे कहना होगा कि मेरे पास मेरा अपना कोट नहीं था... अपने हाईस्कूल का अधिकतर समय मैंने स्वेटर पहनकर बिताया, क्योंकि मेरे माता-पिता उस समय कोट खरीदने की स्थिति में थे ही नहीं..."
उन्होंने बच्चों से यह भी बांटा कि जब वह स्कूली शिक्षा खत्म करके यहां से निकले, बहुत ज़्यादा मौके भी उपलब्ध नहीं थे, क्योंकि उनके वक्त के सभी बच्चे इंजीनियरिंग या मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेना चाहते थे... उन्होंने कहा, "आज आप लोगों के पास बहुत, बहुत सारे मौके होते हैं... आपके पास मीडिया में बहुत मौके हैं... आप शेफ बन सकते हैं... आप प्रोफेसर बन सकते हैं... आप सेंट्रल बैंकर बन सकते हैं... और भी बहुत कुछ बना जा सकता है आज... लेकिन मैं यह नहीं कह रहा हूं कि आप लोगों के लिए यह सब हासिल करना आसान होगा, क्योंकि भले ही चुनने के लिए आज बहुत कुछ है, लेकिन चुनौतियां भी ज़्यादा हैं... इसकी वजह यह है कि अब तकनीक और वैश्वीकरण के कारण हमारे वक्त की तुलना में प्रतियोगिता भी बहुत बढ़ गई है..."
रघुराम राजन ने उन दिनों की वे यादें भी साझा कीं, जब वह स्कूल के ऑरकेस्ट्रा का हिस्सा हुआ करते थे... उन्होंने कहा, "मैं बैन्जो बजाया करता था... मैं संगीत में अच्छा नहीं था, और सिर्फ धीमी धुनों पर ही बजा सकता था... जब धुन तेज़ हो जाया करती थी, मैं वैसे ही हाथ चलाया करता था... मैं सालों तक ऐसा ही करता रहा, लेकिन किसी को पता नहीं चल पाया..."
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