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This Article is From Apr 09, 2017

पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को महिला IAS ने कहा 'गोरों की नकल', नौकरी पर लटकी तलवार

पीएम नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट को महिला IAS ने कहा 'गोरों की नकल', नौकरी पर लटकी तलवार
महिला आईएएस ऑफिसर ने द हिंदू में आर्टिकल लिखकर खुले में शौचमुक्त अभियान पर रखी अपनी राय. तस्वीर: प्रतीकात्मक
नई दिल्ली: मध्य प्रदेश कैडर की महिला आईएएस अधिकारी दीपाली रस्तोगी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ड्रीम प्रोजेक्ट खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) भारत अभियान को औपनिवेशिक मानसिकता से ग्रस्त बताया है. दीपाली के इस आर्टिकल को सोशल मीडिया पर काफी शेयर किया जा रहा है. लोग अपने-अपने हिसाब से इस पर अपनी राय दे रहे हैं. दीपाली ने ओडीएफ पर अपनी राय अंग्रेजी अखबार 'द हिंदू' में प्रकाशित आर्टिकल में जाहिर किया है. आर्टिकल में दीपाली ने लिखा, 'गोरों के कहने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुले में शौचमुक्त अभियान चलाया, जिनकी वॉशरूम हैबिट भारतीयों से अलग है'.  दीपाली आगे लिखती हैं, 'गोरे कहते हैं कि खुले में शौच करना गंदा है तो हम इतना बड़ा अभियान ले आए. हम मानते हैं कि शौचालय में पानी की जगह पेपर का उपयोग करना गंदा होता है तो क्या गोरे भी शौचालय में पेपर की जगह पानी का इस्तेमाल करने लगेंगे?'  

उन्होंने लिखा है, ग्रामीण क्षेत्रों में खेत पर छोड़ी गई शौच तेज धूप में सूख जाती है. अगले दिन वह खाद बन जाती है. अगर ये लोग टैंक खुदवाकर शौचालय बना भी लें तो उसमें लगने वाला पानी कहां से लाएंगे. ग्रामीणों को लंबा फासला तय करके पानी लाना होता है. इतनी मेहनत से अगर कोई दो घड़े पानी लाता है तो क्या वह एक घड़ा टायलट में डाल सकता है? बिलकुल नहीं.

सचिव स्तर की अधिकारी के इस बर्ताव को सर्विस रूल्स के खिलाफ बताया जा रहा है. एमपी के मुख्य सचिव बीपी सिंह के हवाले से मीडिया में प्रकाशित खबरों में कहा जा रहा है कि वे इस मामले की जांच खुद करेंगे इसके बाद ही कोई फैसला लिया जाएगा.

दीपाली फिलहाल आदिवासी विकास आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं. मामला मीडिया में आने के बाद से आईएएस दीपाली ने कुछ भी बयान देने से मना कर दिया है. 

दीपाली के इस बर्ताव को आचरण संहिता की कंडिका-7 का उलंघन बताया जा रहा है. इसके तहत कोई भी लोकसेवक सरकारी नीति, कार्यक्रम के खिलाफ सार्वजनिक रूप से आलोचना नहीं कर सकता है. सामान्य प्रशासन विभाग की सचिव रश्मि अरुण शमी का कहना है कि पूरे मामले का परीक्षण कराया जा रहा है.

इस मामले में बीजेपी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि किसी लोक सेवक का भारत सरकार की नीतियों का विरोध करना जायज नहीं है. वहीं कांग्रेस की ओर से मानक अग्रवाल ने दीपाली का समर्थन किया है.

मालूम हो कि जेएनयू की घटना के बाद कलेक्टर रहते समय अजय गंगवार ने सोशल मीडिया में कमेंट पोस्ट किया था, जिसके बाद उन्हें कलेक्टर पद से हटा दिया गया. उनका समर्थन राजेश बहुगुणा व तत्कालीन आईएएस लक्ष्मीकांत द्विवेदी ने किया था, लेकिन दोनों पर कार्रवाई नहीं हुई. इसी तरह आईएएस अधिकारी रमेश थेटे और निलंबित आईएएस शशि कर्णावत भी विवादित रह चुके हैं.
 

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