इंदौर:
इस साल के पहले पूर्ण चंद्रग्रहण के दौरान बुधवार, 15 जून को सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की लुकाछिपी का रोमांचक नजारा भारत समेत दुनिया के अधिकांश भू-भागों में देखा गया। खगोलीय घटना के दौरान परिक्रमारत चंद्रमा पृथ्वी की छाया से पूरी तरह ढक गया।नेहरु तारामंडल की निदेशक एन रत्नाश्री ने बताया कि यह सदी का सबसे बड़ा और सबसे गहरा पूर्ण चंद्र ग्रहण था। ऐसा अगला चंद्र ग्रहण 2141 में पड़ेगा। पूर्ण चंद्रग्रहण की शुरूआत भारतीय समयानुसार 12 बज कर 52 मिनट और 30 सेकंड पर हुई और यह दो बज कर 32 मिनट, 42 सेकंड तक चला। साइंस पॉपुलराइजेशन ऐसोसिएशन ऑफ कम्युनिकेटर्स एंड एजुकेटर्स :स्पेस: से जुड़े सी बी देवगन ने बताया कि चंद्र ग्रहण तभी संभव है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक ही रेखा में आ जाएं। इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स के विज्ञान अधिकारी अरविंद परांजपे ने बताया कि पूर्वी अफ्रीका, पश्चिम एशिया, मध्य एशिया और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया में रहने वाले लोग पूर्ण चंद्र ग्रहण देख सके।मंगलवार को उज्जैन की जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ राजेंद्र प्रकाश गुप्त ने बताया था कि पूर्ण चंद्रग्रहण की शुरूआत भारतीय समय के मुताबिक बुधवार, 15 जून की रात 11 बज कर 52 मिनट छह सेकंड पर बजे होगी और यह रात तीन बज कर 32 मिनट और छह सेकंड पर खत्म हो जाएगा। कोई दो सदी पुरानी वेधशाला के अधीक्षक ने अपनी गणना के हवाले से बताया कि पूर्ण चंद्रग्रहण रात एक बज कर 42 मिनट छह सेकंड पर अपने चरम स्तर पर पहुंचेगा। इस वक्त चंद्रमा पृथ्वी की छाया से पूरी तरह ढक जाएगा। इस तरह सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा की त्रिमूर्ति की भूमिका वाला खगोलीय घटनाक्रम साढ़े तीन घंटे से ज्यादा समय तक चलेगा। खगोलीय घटनाओं में दिलचस्पी रखने वाले लोग कल 15 जून को होने वाले पूर्ण चंद्रग्रहण को इसकी लंबी अवधि के कारण बेहद खास मान रहे हैं। बहरहाल, गुप्त कहते हैं, देश में मानसूनी मेघों की हलचल शुरू हो चुकी है। ऐसे में अगर आप पूर्ण चंद्रग्रहण का शानदार नजारा देखना चाहते हैं तो वष्रा के देवता इंद्र से प्रार्थना कीजिये कि इस खगोलीय घटना के दौरान आकाश साफ रहे। उन्होंने बताया कि सौर परिवार के तीन सदस्यों की विशिष्ट स्थिति के कारण आकार लेने वाली यह खगोलीय घटना 10 दिसंबर को खुद को दोहरायेगी। इस दिन मौजूदा साल का दूसरा और आखिरी पूर्ण चंद्रग्रहण होगा। पूर्ण चंद्रग्रहण तब होता है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है। परिक्रमारत चंद्रमा इस स्थिति में पृथ्वी की ओट में पूरी तरह छिप जाता है और उस पर सूर्य की रोशनी नहीं पड़ती है।