जयपुर:
राजस्थान में 12 वर्ष का एक मानसिक रूप से कमजोर किशोर आठ वर्षों तक बेड़ियों में इसलिए जकड़ कर रखा गया क्योंकि उसका परिवार इलाज का खर्च उठाने में समर्थ नहीं है। यह जानकारी बच्चे के पिता ने गुरुवार को दी।
जयपुर से करीब 200 किलोमीटर दूर झुंनझनू जिले के मदनवा कस्बे के समीप गिदा गांव निवासी पंकज मेघवाल इस दौरान एक कमरे में बंद रहा। पंकज के पिता भंवर लाल मेघवाल ने इलाज के लिए राज्य सरकार से सहायता की मांग करते हुए यह जानकारी दी।
एक निजी विद्यालय में लिपिक का काम करने वाले भंवर लाल ने कहा, "चार वर्ष की उम्र तक वह एक सामान्य बच्चा था। एक दिन अचानक वह कांपने और चिल्लाने लगा। वह कुछ दिनों तक बीमार रहा और तब से उसने कभी सामान्य व्यवहार नहीं किया।"
बच्चे के पिता ने कहा, "शहर के महंगे इलाज का कोई परिणाम नहीं निकलने के बाद हम पंकज को चेन से या रस्सी से बांध कर रखने के लिए मजबूर हो गए।"
उन्होंने बताया कि पंकज अचानक अपने जबड़े भींच लेता है और हिंसात्मक हो जाता है।
भंवर लाल ने कहा, "यह स्थिति साल दर साल बढ़ती ही चली गई है। वह पत्थर फेंक कर हमारे घर के सामने से गुजरने वालों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने लगा।"
उन्होंने कहा, "गांव वालों ने शिकायत करनी शुरू कर दी। लोगों ने पंकज को काबू में रखने के लिए कहा। वह घर की चीजों को भी फेंकने लगता है। हमारे पास उसे बांध कर रखने के सिवाय और कोई चारा नहीं बचा है।"
उन्होंने स्वीकार किया पंकज को बंधा हुआ देखना अत्यंत दुखदायी है। जब भी अपने आसपास दूसरे बच्चों को खेलते देखते हैं तो हम रो पड़ते हैं।
जयपुर से करीब 200 किलोमीटर दूर झुंनझनू जिले के मदनवा कस्बे के समीप गिदा गांव निवासी पंकज मेघवाल इस दौरान एक कमरे में बंद रहा। पंकज के पिता भंवर लाल मेघवाल ने इलाज के लिए राज्य सरकार से सहायता की मांग करते हुए यह जानकारी दी।
एक निजी विद्यालय में लिपिक का काम करने वाले भंवर लाल ने कहा, "चार वर्ष की उम्र तक वह एक सामान्य बच्चा था। एक दिन अचानक वह कांपने और चिल्लाने लगा। वह कुछ दिनों तक बीमार रहा और तब से उसने कभी सामान्य व्यवहार नहीं किया।"
बच्चे के पिता ने कहा, "शहर के महंगे इलाज का कोई परिणाम नहीं निकलने के बाद हम पंकज को चेन से या रस्सी से बांध कर रखने के लिए मजबूर हो गए।"
उन्होंने बताया कि पंकज अचानक अपने जबड़े भींच लेता है और हिंसात्मक हो जाता है।
भंवर लाल ने कहा, "यह स्थिति साल दर साल बढ़ती ही चली गई है। वह पत्थर फेंक कर हमारे घर के सामने से गुजरने वालों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करने लगा।"
उन्होंने कहा, "गांव वालों ने शिकायत करनी शुरू कर दी। लोगों ने पंकज को काबू में रखने के लिए कहा। वह घर की चीजों को भी फेंकने लगता है। हमारे पास उसे बांध कर रखने के सिवाय और कोई चारा नहीं बचा है।"
उन्होंने स्वीकार किया पंकज को बंधा हुआ देखना अत्यंत दुखदायी है। जब भी अपने आसपास दूसरे बच्चों को खेलते देखते हैं तो हम रो पड़ते हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
जयपुर, झुंनझनू का मदनवा कस्बा, गिदा गांव, पंकज मेघवाल, भंवर लाल मेघवाल, Jaipur, Jhunjhunu, Pankaj Meghwal