शेफ विकास खन्ना ने जान बचाने वाले मुस्लिम परिवार के साथ इफ्तार की
नई दिल्ली:
भारत के ज़ायके को दुनिया भर में पहचान दिलाने वाले मशहूर शेफ विकास खन्ना (Chef Vikas Khanna) किसी परिचय के मोहताज नहीं. वे न सिर्फ बेहतरीन शेफ हैं बल्कि अच्छे इंसान भी हैं. विकास का विनम्र स्वभाव हर किसी को उनका कायल बना देता है. यही नहीं विकास हर साल रमज़ान के पाक महीने में रोज़ा रखते हैं. दरअसल, 1992 के मुंबई दंगों में एक मुस्लिम परिवार ने उनकी जान बचाई थी और उन्हें सम्मान देने के खातिर विकास रोज़ा रखते हैं. अब 26 साल बाद विकास फिर से उस मुस्लिम परिवार से मिलने में सफल हो पाए.
शेफ विकास खन्ना ने सुनाई आपबीती
विकास ने सोमवार को ट्वीट के जरिए इस बात की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उन्हें आखिरकार वो मुस्लिम परिवार मिल गया है जिसने दंगों में उनकी जान बचाई थी और अब वे उन्हीं के साथ अपना रोज़ा खोलेंगे. बाद में उन्होंने उस परिवार से मिलने के बाद साथ में इफ्तार की और ट्वीट किया: 'दिल को छू लेने वाली शाम. दिल. आंसू. दर्द. गर्व. हिम्मत. इंसानियत. आभार.'
आपको बता दें कि साल 2015 में विकास खन्ना ने मुंबई दंगों के दर्द को बयां करते एक फेसबुक पोस्ट लिखी थी: 'दिसंबर 1992 में जिस वक्त दंगे भड़के मैं उस वक्त मुंबई के सीरॉक शेराटन में ट्रेनिंग ले रहा था. हम कई दिनों तक होटल में ही कैद रहे. इकबाल खान, वसीम भाई (ट्रेनी शेफ और वेटर जिनसे हमेशा के लिए मेरा संपर्क टूट गया है) और उनके परिवार वालों ने उस वक्त मुझे पनाह दी और मेरा खयाल रखा. तब से मैं उन्हें धन्यवाद देने और उन्हें अपनी प्रार्थना में याद रखने के लिए रमज़ान के पाक महीने में एक दिन का रोज़ा रखता हूं. आप सभी को प्यार.'
भाईचारे की मिसाल! यहां मस्जिद की देख-देख करता है गुरुद्वारे का ग्रंथी
पिछले साल एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में शेफ विकास खन्ना ने विस्तार से उस घटना के बारे में बताते हुए कहा था कि कर्फ्यू की वजह से होटल का स्टाफ न तो बाहर जा पा रहा था और न ही अंदर आ पा रहा था. एक दिन उन्होंने सुना कि घाटकोपर में दंगों की वजह से हालात बेकाबू हो गए हैं और कई लोग घायल हो गए हैं. उन्हें अपने उस भाई की चिंता होने लगी जो उसी इलाके में रहता था. उन्हें वहां जाने का रास्ता नहीं मालूम था लेकिन फिर भी वे घाटकोपर की तरफ निकल पड़े.
इंटरव्यू में विकास ने बताया कि रास्ते में उन्हें एक मुस्लिम परिवार ने आगे न जाने की सलाह दी और उन्हें घर के अंदर कर लिया. तभी उस परिवार के घर में भीड़ आ धमकी और उनसे पूछने लगे कि ये लड़का कौन है. तब परिवार ने भीड़ को बताया, 'ये हमारा बेटा है.' फिर भीड़ वहां से चली गई.
भूखों को हर रोज़ खाना खिलाता है ये शख्स, कहता है- 'भूख का कोई मजहब नहीं होता'
अगले दो दिनों तक विकास उन्हीं के घर में रहे. उस मंजर को याद करते हुए विकास ने कहा था, 'मुझे नहीं मालूम था कि वो लोग कौन हैं और मैं उस वक्त कहां था. यही नहीं उसी परिवार ने अपने किसी रिश्तेदार को भेजकर शेफ विकास के भाई के बारे में पता लगाया कि वो पूरी तरह सुरक्षित है.
सोशल मीडिया पर भी उस मुस्लिम परिवार के साथ विकास खन्ना के मिलन की खूब तारीफ हो रही है.
शेफ विकास खन्ना ने सुनाई आपबीती
विकास ने सोमवार को ट्वीट के जरिए इस बात की जानकारी दी. उन्होंने बताया कि उन्हें आखिरकार वो मुस्लिम परिवार मिल गया है जिसने दंगों में उनकी जान बचाई थी और अब वे उन्हीं के साथ अपना रोज़ा खोलेंगे. बाद में उन्होंने उस परिवार से मिलने के बाद साथ में इफ्तार की और ट्वीट किया: 'दिल को छू लेने वाली शाम. दिल. आंसू. दर्द. गर्व. हिम्मत. इंसानियत. आभार.'
Heartwarming evening.
— Vikas Khanna (@TheVikasKhanna) June 12, 2018
All Heart. Tears. Pain. Pride. Courage. Humanity. Gratitude. This will be the most significant and important EID of my life. Thank you everyone to connect me with my souls. pic.twitter.com/apdposBSDe
आपको बता दें कि साल 2015 में विकास खन्ना ने मुंबई दंगों के दर्द को बयां करते एक फेसबुक पोस्ट लिखी थी: 'दिसंबर 1992 में जिस वक्त दंगे भड़के मैं उस वक्त मुंबई के सीरॉक शेराटन में ट्रेनिंग ले रहा था. हम कई दिनों तक होटल में ही कैद रहे. इकबाल खान, वसीम भाई (ट्रेनी शेफ और वेटर जिनसे हमेशा के लिए मेरा संपर्क टूट गया है) और उनके परिवार वालों ने उस वक्त मुझे पनाह दी और मेरा खयाल रखा. तब से मैं उन्हें धन्यवाद देने और उन्हें अपनी प्रार्थना में याद रखने के लिए रमज़ान के पाक महीने में एक दिन का रोज़ा रखता हूं. आप सभी को प्यार.'
भाईचारे की मिसाल! यहां मस्जिद की देख-देख करता है गुरुद्वारे का ग्रंथी
पिछले साल एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में शेफ विकास खन्ना ने विस्तार से उस घटना के बारे में बताते हुए कहा था कि कर्फ्यू की वजह से होटल का स्टाफ न तो बाहर जा पा रहा था और न ही अंदर आ पा रहा था. एक दिन उन्होंने सुना कि घाटकोपर में दंगों की वजह से हालात बेकाबू हो गए हैं और कई लोग घायल हो गए हैं. उन्हें अपने उस भाई की चिंता होने लगी जो उसी इलाके में रहता था. उन्हें वहां जाने का रास्ता नहीं मालूम था लेकिन फिर भी वे घाटकोपर की तरफ निकल पड़े.
इंटरव्यू में विकास ने बताया कि रास्ते में उन्हें एक मुस्लिम परिवार ने आगे न जाने की सलाह दी और उन्हें घर के अंदर कर लिया. तभी उस परिवार के घर में भीड़ आ धमकी और उनसे पूछने लगे कि ये लड़का कौन है. तब परिवार ने भीड़ को बताया, 'ये हमारा बेटा है.' फिर भीड़ वहां से चली गई.
भूखों को हर रोज़ खाना खिलाता है ये शख्स, कहता है- 'भूख का कोई मजहब नहीं होता'
अगले दो दिनों तक विकास उन्हीं के घर में रहे. उस मंजर को याद करते हुए विकास ने कहा था, 'मुझे नहीं मालूम था कि वो लोग कौन हैं और मैं उस वक्त कहां था. यही नहीं उसी परिवार ने अपने किसी रिश्तेदार को भेजकर शेफ विकास के भाई के बारे में पता लगाया कि वो पूरी तरह सुरक्षित है.
सोशल मीडिया पर भी उस मुस्लिम परिवार के साथ विकास खन्ना के मिलन की खूब तारीफ हो रही है.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं