विज्ञापन
This Article is From Oct 08, 2016

दो बार कैंसर को दी मात, छह की उम्र में काटना पड़ा था हाथ, पढ़ें हिम्मत और जुनून की कहानी

दो बार कैंसर को दी मात, छह की उम्र में काटना पड़ा था हाथ, पढ़ें हिम्मत और जुनून की कहानी
'सीक्रेट लोकेटर्स' नाम की पोस्ट प्रोडक्शन कंपनी चलाते हैं रचित.
नई दिल्ली: कहते हैं कि यदि आपने आगे बढ़ने की ठान ली है तो हर मुश्किल आपके सामने घुटने टेक देती है. ऐसी ही एक मिसाल हैं मुंबई के रहने वाले रचित कुलश्रेष्ठ, जो हिम्मत और जुनून की जीती जागती मिसाल हैं. 'ह्यूमंस ऑफ बॉम्बे' नाम के फेसबुक पेज पर रचित ने अपनी कहानी शेयर की है.

वह लिखते हैं, 'जब मैं पांच साल का था तब मुझे कैंसर हो गया था, छह की उम्र में डॉक्टरों को मेरा बांया हाथ काटना पड़ा था. वह काफी मुश्किल दौर था. दूसरे बच्चे मेरा मज़ाक उड़ाते थे, मैं खेलना चाहता था पर मुझे उनकी तुलना में उतने मौके नहीं मिलते थे. बड़ा हुआ तो मैंने अपनी स्थिति को स्वीकार किया और खुद ही अपने गायब हाथ का मज़ाक बनाने लगा.'

जब गोलकीपिंग कर टीम को जिताया
बकौल रचित, 'मैं हमेशा से फुटबॉल का बहुत बड़ा फैन रहा हूं, इसलिए गोलकीपर बनने के लिए मैं दिन रात मेहनत करता. आखिर मेरी मेहनत रंग लाई और मुझे स्कूल की फुटबॉल टीम में चुन लिया गया. जब सामने वाली टीम के कोच को पता चला कि मैं गोलकीपिंग कर रहा हूं तो उन्होंने घोषणा कर दी कि उनकी टीम कम से कम छह गोल से जीतेगी. लेकिन मैं परेशान नहीं हुआ. मैंने अपना बेहतरीन प्रदर्शन किया और हमारी टीम 4-2 के स्कोर से वह मैच जीत गई. उस दिन मुझे अहसास हुआ कि मैं अगर कोशिश करूं तो कुछ भी हासिल कर सकता हूं.'

वह बताते हैं, 'मैंने बहुत सारी चीज़ें करने की कोशिश की, मैंने कॉल सेंटर, मूवी रेंटल स्टोर में काम किया, कुछ समय तक वेटर और कुछ समय तक होटल मैनेजर का भी काम किया. मैंने बारटेंडिंग में भी हाथ आज़माया है. मैं बहुत ज्यादा घूमने लगा. जब मैं गोवा में था तब कविताएं लिखने लगा. एक नए अनुभव के लिए मैंने 'कैंडी फ्लिप' नाम की एक फिल्म में असिस्टेंट डायरेक्टर का भी काम किया और तभी मुझे इस काम से प्यार हो गया. इसके बाद मैंने 'सीक्रेट लोकेटर्स' नाम की खुद की कंपनी शुरू की जो फिल्मों के पोस्ट प्रोडक्शन का काम करती है. आज मैं अपने सपनों की जिंदगी जी रहा हूं.'

जब दूसरी बार उभरा कैंसर
रचित के अनुसार साल 2014 में उनका कैंसर दोबारा उभर आया लेकिन इस बार भी उन्होंने इसे मात दी. 'जीवन में ऐसी चीज़ें होती रहती हैं, निर्भर करता है कि आप इसे कैसे डील करते हैं. मैं इन्हें हल्के में लेकर इनसे निबटकर आगे बढ़ना पसंद करता हूं. मुझे लगता है दूसरों को भी यही करना चाहिए. उन्हें मुझ पर दया नहीं दिखानी चाहिए. मैं डिसेबल नहीं डिफ्रेंटली एबल हूं. लोगों को यह समझना चाहिए. मुझे देखो मैं क्रिकेट, चेस, टेबल टेनिस खेलता हूं. मैंने 13,500 फीट ऊंचे पहाड़ की, 75 लीटर के बैकपैक के साथ दो बार चढ़ाई कर ली है. क्या आपको लगता है कि मुझे किसी की दया की ज़रूरत है?'

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
Previous Article
चाचा ने एकदम से वक्त बदल दिया...अनोखे करवाचौथ से इंटरनेट पर छिड़ी बहस, कुछ ने काटी मौज तो वहीं कुछ ने जताई आपत्ति
दो बार कैंसर को दी मात, छह की उम्र में काटना पड़ा था हाथ, पढ़ें हिम्मत और जुनून की कहानी
51 लाख रुपये के रंग-बिरंगे नोटों से सजा मां दुर्गा का पंडाल, भव्य दरबार की खूबसूरती देख मंत्रमुग्ध हुए लोग, Video वायरल
Next Article
51 लाख रुपये के रंग-बिरंगे नोटों से सजा मां दुर्गा का पंडाल, भव्य दरबार की खूबसूरती देख मंत्रमुग्ध हुए लोग, Video वायरल
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com