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उद्योग संघ CII: GST का पुनर्गठन जरूरी; GST 2.0 में 3 रेट स्लैब हो

CII के मुताबिक, 'कुछ प्रोडक्ट जो 28% कैटेगरी में है, जैसे सीमेंट उन पर GST कम लगना चाहिए. इससे सीमेंट सस्ता होगा और आर्थिक गतिविधियां कंस्ट्रक्शन सेक्टर में तेज होंगी'.

उद्योग संघ CII: GST का पुनर्गठन जरूरी; GST 2.0 में  3 रेट स्लैब हो
  • निम्न आय वर्ग के हाथ में अधिक पैसा होना चाहिए: CII
  • CII ने GST के 5 स्लैब्स को घटाकर 3 स्लैब्स करने की सिफारिश की
  • 'दरों में कमी के लिए राज्यों के सहयोग की आवश्यकता'
  • CII ने GST के सरलीकरण को आवश्यक बताया
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उद्योग संघ कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (CII) के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव मेमानी ने कहा है कि आम आवश्यकता की चीजों (Essential Items) पर गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स यानि GST रेट घटाने की ज़रुरत है, और उन्हें सबसे निचले स्लैब में शामिल किया जाना चाहिए.

CII के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यभार संभालने के बाद मीडिया के साथ पहले मीडिया इंटरैक्शन में राजीव मेमानी ने कहा, 'GST व्यवस्था को आम लोगों और उद्योग जगत के लिए बेहतर और कारगर बनाने के लिए जरूरी है कि उसमें मौजूदा 5 स्लैब्स को घटाकर सिर्फ 3 स्लैब्स कर दिया जाए.'

CII के मुताबिक GST की सिर्फ 3 रेट स्लैब्स होना चाहिए

  1. आवश्यक वस्तुएँ (Essential Items) पर 5%
  2. Luxury and Sin Goods पर 28%
  3. बाकि सभी तरह के गुड्स 12% से 18% के बीच एक सिंगल रेट में रखे जाएं

CII के नए अध्यक्ष ने GST के पुनर्गठन की बढ़ती मांग पर एनडीटीवी द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, 'GST रेट का रेशनलाइजेशन जरूरी है. अगली GST कांउसिल की बैठक में GST रेट्स में रिडक्शन की उम्मीद है. GST व्यवस्था का सरलीकरण बेहद जरूरी है. GST रेट्स में बदलाव करने के लिए राज्यों को भी एक साथ आना पड़ेगा. जब तक सबसे निचले इनकम ग्रुप के 30% से 40% लोगों के हाथ में ज्यादा पैसा नहीं आएगा, आर्थिक विकास दर सस्टेनेबल नहीं होगा'.

'सीमेंट पर कम होना चाहिए GST'

CII के मुताबिक, 'कुछ प्रोडक्ट जो 28% कैटेगरी में है, जैसे सीमेंट उन पर GST कम लगना चाहिए. इससे सीमेंट सस्ता होगा और आर्थिक गतिविधियां कंस्ट्रक्शन सेक्टर में तेज होंगी'.

एनडीटीवी ने जब नए CII अध्यक्ष से पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स और इलेक्ट्रिसिटी जैसे सेक्टरों को GST व्यवस्था में शामिल करने के उनके सुझाव पर पुछा तो राजीव मेमानी ने कहा, 'पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को जीएसटी के दायरे में शामिल करने के लिए फिर से राष्ट्रीय सहमति बनाने की जरूरत है. इस पर पॉलिटिकल कंसेंसस बनाना होगा'.

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